गीत मेरे तुम गाते रहना |
मैं रहूँ या न रहूँ
गीत मेरे तुम गाते रहना
खुशी हो चाहे गम
यूँ ही गुनगुनाते रहना
गीत मेरे तुम गाते रहना......
जब सब तरफ उदासी हो
तपित धरती प्यासी हो
सावन की फुहार बन
वहाँ तुम बरस जाना
गीत मेरे तुम गाते रहना.........
जहाँ बेबसी बिलखती हो
भूख पल-पल सिसकती हो
दो वक्त की रोटी बन
वहाँ तुम चले आना
गीत मेरे तुम गाते रहना.........
जब सब तरफ अँधेरा हो
दुखों का डेरा हो
नव प्रभात किरण बन
वहाँ तुम छा जाना
गीत मेरे तुम गाते रहना.........
जिक्र मेरा कहीं आजाए
आँखें नम तब होजाए
हर धडकन में उनकी
यादें बन बस जाना
गीत मेरे तुम गाते रहना.......
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महेश्वरी कनेरी
भावुक कर देने वाली कविता।
ReplyDeleteबहुत सुंदर महेश्वरी जी................
ReplyDeleteमन को भिगो गयीं आपकी ये पंक्तियाँ.....
सादर
अनु
बहुत सुंदर भाव ..... आभार
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना .....
ReplyDeleteकरने को कितना कुछ था,
ReplyDeleteकिन्तु सिमटता जीवन था,
बात हृदय की शब्द सूत्र में कह जाता हूँ,
अनुभव की पीड़ा बरसे, मैं सह जाता हूँ।
बहुत ही बढ़िया आंटी!
ReplyDeleteसादर
जहाँ बेबसी बिलखती हो
ReplyDeleteभूख पल-पल सिसकती हो
दो वक्त की रोटी बन
वहाँ तुम चले आना
गीत मेरे तुम गाते रहना........इस गीत को जीवन देते रहना
बिलकुल ।
ReplyDeleteगीत गाते रहेंगे हम ।।
आपको बहुत बहुत बधाई ।
सुन्दर प्रस्तुति ।।
्बहुत ही भावप्रवण गीत
ReplyDeleteभावनाओं का सागर लिए ... सुन्दर रचना है ...
ReplyDeleteबहुत खूब ! सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteमन को छूते भाव इस अभिव्यक्ति के ...बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी भावपूर्ण कविता...
ReplyDeleteभावपूर्ण ,उत्कृष्ट रचना .
ReplyDeleteबहूत हि बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteउत्कृष्ठ भाव से लिखी बेहतरीन रचना.
कसम तुम्हारी चाहत की है
ReplyDeleteगीत मेरे तुम गाते रहना !
बचपन से ही एक तमन्ना रही है,कि लोग मुझे याद रखें मगर क्या क्या यह संभव होता है ..?
विरले हैं जिन्हें बाद में कोई याद रखता है ...अपने से ही फुर्सत नहीं हैं दुनियां वालों को ...
Khubsurat abhivyakti...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी भावपूर्ण कविता...
ReplyDeleteमैं रहूँ या न रहूँ
ReplyDeleteगीत मेरे तुम गाते रहना
खुशी हो चाहे गम
यूँ ही गुनगुनाते रहना
गीत मेरे तुम गाते रहना.....
बहुत अच्छी दिल को छूती खूबशूरत रचना,..
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
जिग्र मेरा कहीं आजाए
ReplyDeleteआँखें नम तब होजाए
हर धडकन में उनकी
यादें बन बस जाना
गीत मेरे तुम गाते रहना.......आशावादी स्वरों से संसिक्त बेहद आश्वस्त करती रचना उम्मीद का दामन कसके थामे हुए कृपया 'ज़िक्र मेरा कहीं आजाये 'कर लें . .कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/
मंगलवार, 8 मई 2012
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस
जब सब तरफ उदासी हो
ReplyDeleteतपित धरती प्यासी हो
सावन की फुहार बन
वहाँ तुम बरस जाना
गीत मेरे तुम गाते रहना.........
Lovely creation !
.
जहाँ बेबसी बिलखती हो
ReplyDeleteभूख पल-पल सिसकती हो
दो वक्त की रोटी बन
वहाँ तुम चले आना
....बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना....
आशावादी रचना, बहुत सुन्दर, बधाई.
ReplyDeleteजो गीत बेबसों के लिये आशा का दीप बनकर आते हैं वह अमर हो जाते हैं...सुंदर रचना!
ReplyDeleteहर धडकन में उनकी
ReplyDeleteयादें बन बस जाना
गीत मेरे तुम गाते रहना.....bahut khoob....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता..
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteइस बार कुछ हट के - पुस्तक समीक्षा
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
श्रीमति आशालता सक्सेना का अनकहा सच !!
निराशा के सागर में भी आस के पन्छी को महफूज़ रखने का सुन्दर सन्देश देती प्यारी रचना
ReplyDeleteआभार