abhivainjana


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Monday 12 November 2012

मिलकर मनाएं चलो दिवाली





मिलकर मनाएं चलो दिवाली
रह जाए न देखो ,कोई कोना खाली
घर –घर दीपों की झड़ी लगादें
मिलकर मनाएं चलो दिवाली……

नव ज्योति के झिलमिल पंखो से
आओ हटा दें हर घर से अँधेरा
करें जगमग आस किरणों को
लाएं फिर एक नया सवेरा
मिलकर मनाएं चलो दिवाली…..

चमक रोशनी की कुछ ऐसी हो
कि राह भटक जाए ‘अंधेरा’
फिर कभी न हो किसी ह्रदय में
उदासी का यूँ गहन बसेरा
मिलकर मनाएं चलो दिवाली....

 मानव के ह्रदय भूमि पर,
जलती रहे सदैव दिव्य प्रकाश
फिर आलैकिक होगा घरती पर
दिव्यता का सघन आभास 
मिलकर मनाएं चलो दिवाली….
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दीपावली की सभी मित्र बंधुओ को हार्दिक 

शुभकामनाएं

 महेश्वरी कनेरी

Saturday 3 November 2012

मंज़िल तेरी उस पार है



थकना नहीं ,ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार है
पंख फैला ,उड़ता चल
हर सांस में विश्वास भर
उड़ते हुए आकाश पर
कैसी थकन कैसी तपन
भूल तन के पीर को
श्रम से किस्मत बदल
बाधाओं से डरना नहीं
राह में रुकना नहीं
चाहे घनेरी रात हो
लक्ष पर रख कर नज़र
तू चल अपनी डगर
चिंता तज ,मत हो विकल
क्यों बहाता नीर रे ?
छल से बुना संसार है
निकल इस जंजाल से
चलना अभी दूर है
थकना नहीं ओ पंछी मेरे
मंज़िल तेरी उस पार है
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महेश्वरी कनेरी