ये दिन |
रोज सुनहरी किरणों के संग आता है दिन
ढलते सूरज के संग गुजर जाता है दिन
रोज नई तारीखों को ले लाता है दिन
मुट्ठी में रेत सा फिसल जाता है दिन
आँखों में कल के सपने सजाता है दिन
वर्तमान में अतीत के पन्ने पलटता है दिन
मुश्किल घड़ियों में थम जाता है दिन
व्यस्थता में पंक्षी सा उड़ जाता है
दिन
पल-पल नया इतिहास रच जाता है दिन
कर्मठ जनों का संकल्प बन जाता है दिन
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महेश्वरी कनेरी