पीपल (छन्द - गीतिका)
ऐतिहासिक वृक्ष पीपल, मौन वर्षो से खड़े
पारहे आश्रय सभी है ,गोद में छोटे बड़े
मौन तरुवर हो अडिग तुम , श्रृष्टि का वरदान हो
हे सकल जग प्राणदाता, सद् गुणों की खान हो
हो घरोहर पूर्वजों का ,पीढियों से मान है
पूजते नर और नारी,भक्ति आस्था ग्यान है
सर्वव्यापी सर्वदा हो चेतना बन बोलते
सर्वसौभाग्य
हे तरुवर, धर्म रस हो घोलते
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महेश्वरी कनेरी
मित्रों कुछ घरेलु व्यवस्था के कारण आज बहुत समय बाद ब्लांग पर आना हुआ ...माफी चाहुँगी... छंद विधा में यह मेरा प्रथम प्रयास है..उम्मीद है आप सभी मुझे प्रोत्साहित करेंगे.....आभार