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Saturday 28 January 2012

ऋतुराज बसंत



ऋतुराज बसंत

लो ऋतुराज बसंत फिर आए

सजधज धरती पर छाए ।

हर्षित धरती पुलकित उपवन
सुगंध बिखेरे पवन इठलाए
शाखों ने फ़िर ओढ़ी चुनरी
झूम-झूम कर राग सुनाए

लो ऋतुराज बसंत फिर आए……

कोंपल खिले फूल मुस्काये

हुआ फिर नवजीवन दर्शन।

पीली-पीली चादर ओढ़े 
खेत सरसों के फिर लहराये

लो ऋतुराज बसंत फिर आए……

हुआ श्रृंगार अब धरती का
ली भोर ने फिर अंगडा़ई ।
स्वागत-स्वागत बसंत तुम्हारा
डाल- डाल पर पंछी गाए

लो ऋतुराज बसंत फिर आए……….

**********


    ब्लांग जगत में ये मेरी पहली पोस्ट थी , जिसे मैंने ४अप्रेल२०११ में डाली थी । उस वक्त मैं आप सब के लिए अपरिचित थी किन्तु आज  लोगों के प्यार  स्नेह और प्रेरणा ने मुझे यहाँ तक पहुँचा दिया । आप सब की आभारी हूँ कि आज मेरे चाहने वालो की संख्या १०१ तक पहुँच गई है। ये निश्चित ही मेरे लिये बहुत ही गर्व की बात है । मै आशा करती हूँ कि आप सब का स्नेह और प्यार मुझे ऐसे ही मिलता रहे..धन्यवाद..

  बसंत ऋतु की आप सब को हार्दिक शुभकामनाएँ

महेश्वरी कनेरी

Monday 23 January 2012

तुम्हीं कहो मैं क्या लिखूँ..

तुम्हीं कहो मैं क्या लिखूँ

कुछ आस लिखूँ विश्वास लिखूँ
या जीवन का परिहास लिखूँ
भीगी सी वो रात लिखूँ
या आँखों की बरसात लिखूँ
       तुम्हीं कहो मैं क्या लिखूँ
तुम्हें दूर कहूँ या पास कहूँ
प्यारा एक अहसास लिखूँ
अपनों के जज्बात लिखूँ
या सपनों की सैगात लिखूँ
      तुम्हीं कहो मैं क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ
निश्छल मन का प्यार लिखूँ
सागर  की गहराई भर लूँ
या अम्बर का विस्तार लिखूँ
     तुम्हीं कहो मैं क्या लिखूँ
भवँरों का गुंजन गान लिखूँ
या कलियों की मुस्कान लिखूँ
बहती बसंत बहार लिखूँ
या धरती का श्रंगार लिखूँ
      तुम्हीं कहो मैं क्या लिखूँ
*********
महेश्वरी कनेरी

Wednesday 18 January 2012

एक चिनगारी


एक चिनगारी
सरदी से कँपकपाता मौसम
मुँह से निकलता धूआँ
जलने को अब क्या बचा
चन्द अरमान और चन्द सपने….?
उन्हें भी जला हाथ सेकते रहे
देखते ही देखते
सब सपने खाक हुये
जल कर सब राख हुए
कँपकपाहट फिर भी कम न हुई
बस था धूआँ ही धूआँ…
लेकिन …
अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने
शायद अगले वर्ष काम आ जाए..
******
महेश्वरी कनेरी…


Tuesday 10 January 2012

एक अद्भुत अविस्मरणीय संस्मण – अक्षरधाम दर्शन



एक अद्भुत अविस्मरणीय संस्मण – अक्षरधाम दर्शन

    कितनी ही बार दिल्ली में मेरा आना जाना रहा, लेकिन इस बार ३१दिसम्बर २०११ की वो अंतिम दिन एक अद्भुत अविस्मरणीय ज्ञानवर्धक संस्मण बन गया ।
   सभी जानते हैं भारत की राजधानी दिल्ली की संस्कृति वहाँ  की ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण रूप से प्रभावित रहा है । यह शहर कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से भरा हुआ है । भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग १२०० धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है।
   इन्हीं में से एक नवनिर्मित स्वामिनारायण अक्षरधाम एक अभिनव संस्कृति-तीर्थ स्थल है। यह एक अद्वितीय परिसर है। भारतीय कला,चिन्तन और मूल्यों का एक समयातीत सर्जन है ।जो भारतीय संस्कृति ज्योतिर्धर भगवान श्रीस्वामीनारायण [सन १७८९-१८३०] की पुण्य स्मृति में रचा गया है |
    संतविभूति प्रमुखस्वामी महाराज द्वारा केवल पाँच साल में निर्मित यह विशाल परिसर १०० एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह मंदिर दिल्ली में यमुना नदी के पास नोएडा मोड़ पर बना है. इस मदिंर को बनाने में 11 हजार शिल्पकारों की फौज लगी थी दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मंदिर परिसर होने के नाते २६ दिसंबर २००७ को यह गिनीज बुक आफ र्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया।  मंदिर में सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि इस पूरी इमारत में कहीं भी कंक्रीट और स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है यह पूरी इमारत गुलाबी बालुओ पत्थरों के खंड़ों को जो़ड़कर तैयार की गई है
     भारत की राजधानी में स्थित इस मंदिर को दुनिया के सात अजूबो में पांचवां स्थान मिला है लंदन की मैग्जीन रीडर्स डायजेस्ट ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर को 21 वीं के सात अजूबों में शामिल किया है। बेजोड़ स्थापत्य कला और आकार के आधार पर इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है रिपोर्ट में कहा गया है कि ताजमहल बेशक वास्तुशिल्प का अग्रणी उदाहरण है लेकिन दिल्ली स्थित यह मंदिर एक प्रमुख प्रतियोगी बन कर उभरा है। इस में कोई दो राय नहीं कि अक्षरधाम इस सदी के एक वास्तुशिल्प चमत्कार है  |
     स्वामीनारायण अक्षरधाम अपने सभी लुभावनी भव्यता, सुंदरता, बुद्धि, और आनंद में भारतीय संस्कृति के 10,000 साल के प्रतीक हैं| अक्षरधाम मंदिर मात्र मंदिर ही नहीं बल्कि देश की विभिन्न संस्कृतियों का ऐसा बेजोड संगम है जहां पर भारत की 10 हजार साल पुरानी रहस्यमय सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है।
   वास्तव में यह एक अभिनव संस्कृति तीर्थ है साथ ही यह अद्वितीय परिसर है  जहाँ भारतीय कला, प्रज्ञा, चिंतन और मूल्यों के  दर्शन होते हैं। ऐसी चीजों की गूढ जानकारी यहां उपलब्ध कराई गई है कि जिसे जानने के बाद हमें लगा कि  अरे ! हम तो अपने भारत से अभी तक अनभिज्ञ थे।
भारतीय संस्कृति के इस पावन परिसर में मेरी ये यात्रा दिव्य प्रेरणाओ से धन्य हो उठी, सिर गर्व से ऊँचा हो गया, ये सोच कर कि हम इस महान देश के वासी हैं ।

भगवान स्वामीनारायण के जीवन मूल्यों को प्रकाश और ध्वनि के माध्यम से बहुत सुन्दर प्रस्तुति
एक 11 वर्षीय योगी नीलकंठ के जीवन की महायात्रा पर एक विशाल स्क्रीन फिल्म 
रहस्यवादी भारत भूमि और भारत की आत्मा में एक महाकाव्य यात्रा  
 भारत की गौरवशाली विरासत के 10,000 साल की एक 12 मिनट आकर्षक नाव की सवारी का एक अद्भुत अनुभव 
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अक्षरधाम इस सदी के एक वास्तुशिल्प चमत्कार है.