abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Saturday, 27 August 2011

तुम्हें शत-शत प्रणाम

श्री अन्ना हजारे
आज बारहवा दिन है । अन्न का एक दाना भी पेट में नही गया है ,और हमारी सरकार संसद में बैठे सिर्फ बहस बाजी और एक दूसरे पर छींटाकसी में समय नष्ट कर रही हैं ।  जब अन्ना जी के अमूल्य जीवन की परवाह नहीं है, तो हम आम जनता का दर्द को क्या समझेंगे ……अन्ना जी के स्वास्थ्य और दीर्ध आयु के लिये ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ…प्रस्तुत पंक्तियाँ अन्ना जी के समर्थकों को समर्पित ………
अन्ना एक नाम नही
एक अवाम है
अन्ना एक संघर्ष है
एक विश्वास है
एक आस है,अन्ना
अन्ना एक फैसला है
एक हौसला है,
सुखद सा अहसास
एक मिशाल है अन्ना
अन्ना एक पुकार है
भ्रष्टाचार पर मार है
गरीबों का मसीहा
भूखों की रोटी है अन्ना
अन्ना एक आँधी है
एक क्रान्ति ज्वाला
एक तूफा़न है अन्ना
अन्ना एक ईमान है
एक इम्तिहान है
खुशियों की खान है
जन-जन की जान है
हे दिव्य पुरुष महान
तुम्हें शत-शत प्रणाम है
******************

Monday, 22 August 2011

मेरे सपनों का संसार


 मेरे सपनों का संसार
  जहाँ जीवन का हर रंग बहे, ऐसा मुझे उपहार चाहिए
  सद्भावों का जहाँ फूल खिले, ऐसा मुझे संसार चाहिए ।
         उम्मीदों  का नील गगन हो
               होठों में मुस्कान सघन हो       
          गुनगुनाता अल्हड़ यौवन हो
   ऐसी खुशी अपार चाहिए , ऐसा मुझे संसार चाहिए   
         भूख गरीबी का न घर हो     
     अबला का न चीर हरन हो
      खुशहाल सुरक्षित बचपन हो
  ऐसा सबल आधार चाहिए, ऐसा मुझे संसार चाहिए ।
        जात-धर्म का न हो बन्धन
         भय आतंक का न हो क्रंदन
       निश्छल सरस सा जीवन
  ऐसा जीवन विस्तार चाहिए, ऐसा मुझे संसार चाहिए ।
       भ्रष्टाचार मुक्त जहान हो
     निस्वार्थ  हर काम हो
    निर्मल पावन घाम हो
      ऐसा जीवन सार चाहिए, ऐसा मुझे संसार चाहिए |       
     अहसासों की बहती वयार हो
    हर तरफ खुशी अपार हो
     बुजुर्गों का बरसता प्यार हो
 ऐसे प्यार की बौछार चाहिए, ऐसा मुझे संसार चाहिए |
****

Friday, 12 August 2011

ये पन्द्रह अगस्त


ये पन्द्रह अगस्त……….

सदियों के संघर्षो की,
सुलगती वेदनाओं की,
सिसकते आँसुओं की,
बुझते चिरागों की,
सरहदों पर रणबाँकुरों की.
मातृ-भूमि के सपूतों की,
शहीदों के बलिदानों की,
न्योछावर हुए दीवानों की,
आजादी के परवानों की,
न जाने कितनी अथक कहानियाँ
याद दिला जाती है
  ये पन्द्रह अगस्त……….
कल का भारत
 जय हिन्द.... जय भारत

Friday, 5 August 2011

…ये कैसा बदलाव…?


ये कैसा बदलाव…?

धरती वही आसमां वही , चाँद वही सूरज वही
सब कुछ वही बस,जीवन बदल रहा है ।

घर वही परिवार वही, रिश्ते वही नाते वही
सब कुछ वही बस,फ़र्ज बदल रहा है ।

आस वही परिहास वही ,भूख वही प्यास वही,
सब कुछ वही बस,ज़रुरतें बदल रही  हैं।

मंदिर वही मस्जि़द वही, ईश्वर वही भाक्ति वही
सब कुछ वही बस, आस्था बदल रही हैं।
उत्साह वही जोश वही ,हिम्मत वही संघर्ष वही,
सब कुछ वही बस,मकसद बदल रहे हैं।

 सपने वही चाहत वही, जूनुन वही मंजिल वही,
सब कुछ वही बस,रास्ते बदल रहे हैं।

धर्म वही जाति वही ,देश वही इंसान वही,
सब कुछ वही बस इंसानियत बदल रही  है



***************