लोकार्पण |
एक सुखद यादगार
जिन्दगी
में कुछ पल
ऐसे आते हैं
जो एक सुखद
यादगार बन अकसर
मन को गुदगुदाने लगते
हैं । ऐसा
ही सुखद पल
२२ सितम्बर को
मेरे जीवन में
भी आया ,जब मैंने अपनी
पुस्तक “सरस
अनुभूति” का
लोकार्पण किया था। मेरे अनुभव की
किताब में एक
और पन्ना जुड़
रहा था, ये
बात खुशी की है,मैं जानती थी
,पर ये नही जानती
थी कि ये
पल मुझे इतना
आत्म विभोर कर
जाएगा कि जिसे
मैं कभी भूला
नहीं पाऊँगी ।
सभागार में
उपस्थित सभी मित्रबंधु शुभचिन्तक, नए पुराने साथियों को
देख मेरा मन
गद्गद हो उठा
। पुराने साथियों में
मेरे तीस पैतीस
साल पुराने साथी
भी सम्मिलित थे
।सबसे सुखद आश्चर्य तो
तब हुआ जब
कार्य क्रम के
अंत में किसी
ने मुझ से
आकर कहा “बहुत
बहुत बधाई महेश्वरी जी” मै उन तीन विभूतियों को
देखती रही चेहरा
तो कुछ जाना
पहचाना लगा पर
समझ नहीं पारही
थी ।उन्होंने फिर
कहा “आभासी
दुनिया के मित्र” । बस मैं
समझ गई..
राजेश कुमारी जी, नूतन
गैरोला जी और
कल्पना.जी.जिनसे मैं पहली
बार मिल रही
थी। वो पल
मेरे लिए कितना
सुखद आश्चर्य से
भरा हुआ था
कि मैं शब्दों
में बया ही
नहीं कर सकती, सिर्फ महसूस ही
कर सकती हूँ
।
राजेश कुमारी जी, नूतन गैरोला जी कल्पना.जी.
कार्य क्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ जिसे मेरी बेटी स्वाति
ने प्रस्तुत किया तद्पश्चात गणेश स्तुति मेरी पोती काशवी ने नृत्य द्वारा प्रस्तुत
किया । पुस्तक के लोकार्पण के बाद मेरी ही पुस्तक से एक कविता “कुछ सांस बची है जीने को
आज मुझे जी भर जीने दो “को स्वरवद्ध कर स्वाति ने गाकर प्रस्तुत किया ।
पोती काशवी |
बेटी स्वाति |
ईश्वर की अनुकंपा और
सभी साथियों के
सहयोग से मेरी
पुस्तक “सरस अनुभूति” का
लोकार्पण बहुत ही
गरिमा पूर्वक संपन्न
हुआ।.मेरा
ये मानना है
कि.मेरी
पुस्तक “सरस अनुभूति” का
जन्म स्थल ब्लांग
जगत ही है
जहाँ पल पल
मेरी भावनाओ को
नया अहसास मिलता
रहा और मैं
उन्हें शब्दों में
पिरोती
रही इसी बीच कब मेरी “सरस अनुभूति” का
जन्म भी हो
गया मुझ पता
भी न चला।
मैं अपने
ब्लांग जगत के
सभी साथियों की
ह्रदय
से आभारी हूँ जिन्होंने समय
समय पर मेरे
ब्लांग पर आकर
टिप्पणियों द्वारा शुभकामनाओं द्वारा
मुझे उत्साहित करते रहे और मेरे
मनोबल को बढ़ाते
रहे ।बहुत बहुत धन्यवाद ।
शुभकामनाओ
सहित
महेश्वरी कनेरी