गाय माता
(भुजंगप्रयात छन्द )
(भुजंगप्रयात छन्द )
गले से लगा बाँटते प्यार देखा
जुबा मौन है
बोलते भाव देखा
यही भक्ति
आस्था यही धर्म माना
यही प्रीत
प्यारी यही छाँव जाना
बड़े प्यार
से दूध माँ तू पिलाती
तभी गाय माता
सदा तू कहाती
दही दूध तेरा
सभी को लुभावे
अभागा वही
है इसे जो न पावे
नहीं माँगती
सिर्फ देती सभी को
नहीं दर्द
माँ बाँटती है किसी को
झुका शीश आशीष
को माँ दया दे
रहूँ पूजता
माँ सदा ये दुवा दे
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महेश्वरी कनेरी