होली पर … (कह मुकरी
) शुभ कामनाओ सहित
(१) घर
घर में उल्लास जगाता
प्रेम रंग चुपके से लाता
बरबस करता रहे ढिढोली
क्या सखि साजन..?
ना सखी होली
(२) हर
फागुन में वो आजाता
प्रेम
फाग की अलख जगाता
महल बस्ति हो या फिर खोली
रंग रंग उसकी हम जोली
क्या
सखि साजन..?
ना सखी होली
महेश्वरी कनेरी
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