तेरी गोद से उतर कर,तेरी अंगली पकड़
कर
मां… मैंने चलना सीख लिया
मत हो उदास, देख मैं चल सकता हूं…
दुनिया के इस भीड़ के संग, भले ही मैं
दौड़ नहीं पाता
जहां तू मेरे लिए अकसर सपने बुना करती
है
ये नीला आसमान कब से मुझे, ललकार रहा
है
एक बार उसे छू लेना चाहता हूं मैं
बस मुझ में हौसले की उडा़न और भर दे
मां
मत हो उदास, देख मैं चल सकता हूं..
मुझे दया
नहीं बस प्यार चाहिए
तेरी आशीषों की कुछ बौछार चाहिए
भले ही रास्ता थोड़ा कठिन है
दुनिया के हर रंग में, मैं रंग जाना
चाहता हूं मां
मत हो उदास देख मैं चल सकता हूं…
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महेश्वरी कनेरी