तेरी गोद से उतर कर,तेरी अंगली पकड़
कर
मां… मैंने चलना सीख लिया
मत हो उदास, देख मैं चल सकता हूं…
दुनिया के इस भीड़ के संग, भले ही मैं
दौड़ नहीं पाता
जहां तू मेरे लिए अकसर सपने बुना करती
है
ये नीला आसमान कब से मुझे, ललकार रहा
है
एक बार उसे छू लेना चाहता हूं मैं
बस मुझ में हौसले की उडा़न और भर दे
मां
मत हो उदास, देख मैं चल सकता हूं..
मुझे दया
नहीं बस प्यार चाहिए
तेरी आशीषों की कुछ बौछार चाहिए
भले ही रास्ता थोड़ा कठिन है
दुनिया के हर रंग में, मैं रंग जाना
चाहता हूं मां
मत हो उदास देख मैं चल सकता हूं…
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महेश्वरी कनेरी
बहुत सुंदर मातृ दिवस की शुभकामनाऐं ।
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...मंगलकामनाएँ !!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण और सुंदर पंक्तियाँ...
ReplyDeleteसुकोमल भावनाओं से ओत प्रोत.माँ के आशीर्वाद से रची बसी
ReplyDeleteआभार
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआभार !
भले ही रास्ता थोड़ा कठिन है
ReplyDeleteपर तेरी ममता की छांव भी तो मेरे संग है
anokha bandhan jo unmukt prangan pradan karta hai ..sundar prastuti ...
बहुत सुन्दर ममतामयी रचना
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