मित्रों आज बहुत दिनो बाद ब्लांग मे आना हुआ...यहा बहुत कुछ बदला हुआ सा है ..कितनो के ब्लांग मे कोमेन्ट के लिए जगह ही नही मिली..बहुत कुछ समझ नही आया खैर किसी तरह ये पोस्ट डाल रही हूं..आगे ्से यहां निरन्तर बनी रहुँगी,,,,
फुहार पर कुछ हायकू लेकर प्रस्तुत हूँ
फुहार
१
गाएं फुहार
सखी,गीत हजार
आई बहार
२
सावनी घटा
घीर आई सखी री
सुन पुकार
३
देखो सावन
बरसे रिम झिम
प्यास बुझाए
४
नन्ही फुहार
भीगोए तन मन
अब की बार
५
बूंद बूंद यूं
गिरते पात पर
मोती हो जैसे
*******
महेश्वरी कनेरी
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteमाहेश्वरीजी, समय तो बदलता रहता है..सुंदर हायकू वर्षा ऋतु पर...स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16 - 07 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2038 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आभार दिलबाग जी आप का...
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मेरा भारत महान - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार आप का...
ReplyDeleteअति सुंदर !!!
ReplyDeleteवाह भीगे भीगे सावन से सराबोर
ReplyDeleteबहुत सुंदर फुहारों से भिगोते हाइकु माहेश्वरी जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर फुहारों से भिगोते हाइकु माहेश्वरी जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर फुहारों से भिगोते हाइकु माहेश्वरी जी
ReplyDeleteहाइकू से जैसे रिमझिम बरस रही हो ... सुन्दर हाइकू हैं सभी ...
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in
बहुत सुन्दर और मनभावन हाइकु...
ReplyDeleteसुन्दर कविता।
ReplyDeleteइस स्वतत्रंता दिवस की शाम सुभाष रोड पर आयोजित एक कवि सम्मेलन में आपके साक्षात दर्शन से अभिभूत हूँ। आभार।