abhivainjana


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Wednesday, 15 July 2015

फुहार (हायकू)

  मित्रों आज बहुत दिनो बाद ब्लांग मे आना हुआ...यहा बहुत कुछ बदला हुआ सा है ..कितनो के ब्लांग मे कोमेन्ट के लिए जगह ही नही मिली..बहुत कुछ समझ नही आया  खैर किसी तरह ये पोस्ट डाल रही हूं..आगे ्से यहां निरन्तर बनी रहुँगी,,,,


 फुहार पर कुछ हायकू लेकर प्रस्तुत हूँ

फुहार

गाएं फुहार
सखी,गीत हजार 
आई बहार
सावनी घटा
घीर आई सखी री
सुन पुकार
देखो सावन
बरसे रिम झिम
प्यास बुझाए
नन्ही फुहार
भीगोए तन मन
अब की बार
बूंद बूंद यूं
गिरते पात पर
मोती हो जैसे

*******
महेश्वरी कनेरी 

15 comments:

  1. माहेश्वरीजी, समय तो बदलता रहता है..सुंदर हायकू वर्षा ऋतु पर...स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर...

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16 - 07 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2038 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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    Replies
    1. आभार दिलबाग जी आप का...

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मेरा भारत महान - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. वाह भीगे भीगे सावन से सराबोर

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  5. बहुत सुंदर फुहारों से भिगोते हाइकु माहेश्वरी जी

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  6. बहुत सुंदर फुहारों से भिगोते हाइकु माहेश्वरी जी

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  7. बहुत सुंदर फुहारों से भिगोते हाइकु माहेश्वरी जी

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  8. हाइकू से जैसे रिमझिम बरस रही हो ... सुन्दर हाइकू हैं सभी ...

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  9. सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in

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  10. बहुत सुन्दर और मनभावन हाइकु...

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  11. सुन्दर कविता।
    इस स्वतत्रंता दिवस की शाम सुभाष रोड पर आयोजित एक कवि सम्मेलन में आपके साक्षात दर्शन से अभिभूत हूँ। आभार।

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