मित्रों आज बहुत दिनो बाद ब्लांग मे आना हुआ...यहा बहुत कुछ बदला हुआ सा है ..कितनो के ब्लांग मे कोमेन्ट के लिए जगह ही नही मिली..बहुत कुछ समझ नही आया खैर किसी तरह ये पोस्ट डाल रही हूं..आगे ्से यहां निरन्तर बनी रहुँगी,,,,
फुहार पर कुछ हायकू लेकर प्रस्तुत हूँ
फुहार
१
गाएं फुहार
सखी,गीत हजार
आई बहार
२
सावनी घटा
घीर आई सखी री
सुन पुकार
३
देखो सावन
बरसे रिम झिम
प्यास बुझाए
४
नन्ही फुहार
भीगोए तन मन
अब की बार
५
बूंद बूंद यूं
गिरते पात पर
मोती हो जैसे
*******
महेश्वरी कनेरी