फूलों से मुस्काता उद्यान हो
प्रेम का जहाँ मधु रस पान हो
न मज़हब की कही बात हो
धर्म हर इंसान का इंसान हो
लिख दूँ लहू से वो गीत अमर
जिस पर माँ तुझे अभिमान हो
हर हाथ में फहराएं पंचम तेरा
हर तरफ़ तेरा ही यश गान हो
जय हिंद
म कनेरी