मैं और मेरी माँ |
जब भी जीवन की कश्ती डगमगाई
माँ तुम बहुत याद आई..
शीतल पवन ने जब भी मुझे छुआ है
तेरे होने का अहसास हुआ है
बहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
बस तेरी ममता की छाँव नही है
जब भी सफर में थक कर रुक जाऊँ
तेरे हाथों का सहारा मैं पाऊँ
हर पल साँसो में तुम बसती हो
दुआ बन मेरे संग चलती हो
जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
माँ तुम बहुत याद आई..
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महेश्वरी कनेरी
बहुत सुंदर रचना और सुंदर तस्वीर भी ...!!
ReplyDeleteमाँ को नमन ...!!
माँ माँ बस माँ
ReplyDeleteआपकी भावाभिव्यक्ति ने निशब्द कर दिया...आभार
ReplyDeleteइतने सारे खूबसूरत एहसास एक साथ भावप्रणव रचना!
ReplyDeleteममतामयी माँ को नमन!!
माँ सिर्फ माँ "
ReplyDeleteबहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
ReplyDeleteबस तेरी ममता की छाँव नही है
दिमाग जानता है ,किसी की माँ जिन्दगी ,
भर ममता की छाँव नहीं दे सकती ,
मन संतोष क्यों नहीं करता *दीदी* .... ??
बहुत भाव प्रवण रचना ...माँ हमेशा ही याद आती है ॥
ReplyDeleteबहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
ReplyDeleteबस तेरी ममता की छाँव नही है
जब भी सफर में थक कर रुक जाऊँ
तेरे हाथों का सहारा मैं पाऊँ,....
बहुत सुंदर भावप्रणव खुबशुरत रचना,......
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
माँ ममता की छाँव है सदा...रचना बहाए ले जा रही है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं, लाजवाब रचना, इस रचना के लिए आभार,,,
ReplyDeleteआपका अपना
माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....माँ तो सिर्फ माँ होती है...... .माँ तुझे सलाम...
ReplyDeleteजब भी जीवन की कश्ती डगमगाई
ReplyDeleteमाँ तुम बहुत याद आई..
आह ...आँखें नम हुयीं आपकी रचना पढ़कर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
धन्यवाद..
Deleteबहुत सुंदर रचना
Deleteमां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।
marmik bhav...............
ReplyDeleteमाँ तुझे सलाम !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सेहत के दुश्मन चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थ - ब्लॉग बुलेटिन
बहुत सुंदर..........................
ReplyDeleteमाँ की गोद ने,उनके स्नेह ने देखिये कहाँ पहुंचा दिया .....
सादर.
माँ के बिना जिंदगी व्यर्थ होती
ReplyDeleteमाँ के बिना बंदगी व्यर्थ होती
माँ को नमन
बहुत मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति है माहेश्वरी जी ! पढ़ कर ऐसा अहसास होता है जैसे हम दोनों एक ही नाव में सवार हैं और एक जैसी अनुभूतियों को जी रहे हैं ! बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी भाव!
ReplyDeleteसादर!
जब जीवन हिलता डुलता है, माँ की याद बहुत आती है।
ReplyDeleteमाँ की ममता अपार ,जो पाए उसका बेड़ा पार ,
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें
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शनिवार, 12 मई 2012
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/
माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
ReplyDeleteकितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ दिवस विशेषांक - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteआज के दिन पर एक भावपूरित रचना के लिए आभार।
ReplyDeleteखूबसूरत एहसास, भावप्रणव रचना और बेहतरीन चित्र.
ReplyDeleteअभिनन्दन.
माँ को समर्पित एक भावपूर्ण कविता. बहुत सुन्दर ! आभार !!
ReplyDeleteजि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
ReplyDeleteमाँ तुम बहुत याद आई..
शुभकामनायें.
आज तलक वह मद्धम स्वर
ReplyDeleteकुछ याद दिलाये कानों में
मीठी मीठी लोरी की धुन
आज भी आये, कानों में !
आज जब कभी नींद ना आये,कौन सुनाये मुझको गीत !
काश कहीं से मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !
बहुत सुंदर ममता जी बहुत बहुत बधाई इस सार्थक रचना के लिए
ReplyDelete
ReplyDelete♥
हर पल साँसो में तुम बसती हो
दुआ बन मेरे संग चलती हो
बहुत भावना भरी रचना है…
आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी
सादर प्रणाम !
जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
माँ तुम बहुत याद आई…
हर पढ़ने वाले की आंख नम हुई होगी आपकी रचना से …
मां संबंधी इतनी सुंदर रचना के लिए आभार !
परमात्मा किसी से मां को दूर न करे …
और हां , इतने पुराने ज़माने का चित्र देखना बहुत अच्छा लगा …
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
माँ की जितनी स्तुति की जाए कम है। भावों से भरी अत्यंत सुंदर रचना। बधाई !
Deleteचित्र संजोती है यादों को...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...आँखें नम कर गईं.
जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
ReplyDeleteमाँ तुम बहुत याद आई..
beautiful lines with emotions and deep feelings
मां ही है जो हर वक्त साथ रहती है, साक्षात हों या स्मृतियों में।
ReplyDeleteभावप्रवण रचना।
माँ का स्नेह अतुलनीय है,
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति.
सादर,
मधुरेश
हर पल साँसो में तुम बसती हो
ReplyDeleteदुआ बन मेरे संग चलती हो
जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
माँ तुम बहुत याद आई..
आदरणीया महेश्वरी जी .बहतु सुन्दर भाव ..कोमल रचना ..किसी भी दुःख में बरबस माँ की याद जैसे ईश्वर की हम याद करें ..हर माँ को नमन ..अब तो उसकी दुवाएं साथ देती रहें और क्या चाहिए -आभार
भ्रमर ५
माँ पर इतनी सुंदर कविता है क्योंकि माँ स्वयं एक सुंदर कविता है. आपका आभार.
ReplyDeletemaa shabd apne aap mein pura sansaar hai... ispar kuchh bhi likha jaye khubsurat hi dikhta hai...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आंटी!
ReplyDeleteसादर
आपकी कविता पढ़कर आँख मेरी भर आई माँ तुम बहुत याद आई ...सीधे सीधे दिल में उतरते शब्द .....बस !!!आँख मेरी भर आई
ReplyDeleteमाँ ईश्वर का सबसे अनमोल वरदान !!
ReplyDeleteसुंदर रचना ... साभार ...