abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Saturday, 12 May 2012

माँ

मैं और मेरी माँ


जब भी जीवन की कश्ती डगमगाई
माँ तुम बहुत याद आई..

शीतल पवन ने जब भी मुझे छुआ है
तेरे होने का अहसास हुआ है

बहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
बस तेरी ममता की छाँव नही है

जब भी सफर में थक कर रुक जाऊँ
तेरे हाथों का सहारा मैं पाऊँ

हर पल साँसो में तुम बसती हो
दुआ बन मेरे संग चलती हो  
 
जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
माँ तुम बहुत याद आई..
*******
महेश्वरी कनेरी


43 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना और सुंदर तस्वीर भी ...!!
    माँ को नमन ...!!

    ReplyDelete
  2. आपकी भावाभिव्यक्ति ने निशब्द कर दिया...आभार

    ReplyDelete
  3. इतने सारे खूबसूरत एहसास एक साथ भावप्रणव रचना!
    ममतामयी माँ को नमन!!

    ReplyDelete
  4. माँ सिर्फ माँ "

    ReplyDelete
  5. बहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
    बस तेरी ममता की छाँव नही है
    दिमाग जानता है ,किसी की माँ जिन्दगी ,
    भर ममता की छाँव नहीं दे सकती ,
    मन संतोष क्यों नहीं करता *दीदी* .... ??

    ReplyDelete
  6. बहुत भाव प्रवण रचना ...माँ हमेशा ही याद आती है ॥

    ReplyDelete
  7. बहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
    बस तेरी ममता की छाँव नही है
    जब भी सफर में थक कर रुक जाऊँ
    तेरे हाथों का सहारा मैं पाऊँ,....

    बहुत सुंदर भावप्रणव खुबशुरत रचना,......

    MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

    ReplyDelete
  8. माँ ममता की छाँव है सदा...रचना बहाए ले जा रही है...

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं, लाजवाब रचना, इस रचना के लिए आभार,,,


    आपका अपना

    ReplyDelete
  10. माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....माँ तो सिर्फ माँ होती है...... .माँ तुझे सलाम...

    ReplyDelete
  11. जब भी जीवन की कश्ती डगमगाई
    माँ तुम बहुत याद आई..

    आह ...आँखें नम हुयीं आपकी रचना पढ़कर

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सुंदर रचना

      मां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
      जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।

      Delete
  13. marmik bhav...............

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर..........................
    माँ की गोद ने,उनके स्नेह ने देखिये कहाँ पहुंचा दिया .....
    सादर.

    ReplyDelete
  15. माँ के बिना जिंदगी व्यर्थ होती
    माँ के बिना बंदगी व्यर्थ होती

    माँ को नमन

    ReplyDelete
  16. बहुत मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति है माहेश्वरी जी ! पढ़ कर ऐसा अहसास होता है जैसे हम दोनों एक ही नाव में सवार हैं और एक जैसी अनुभूतियों को जी रहे हैं ! बहुत ही सुन्दर !

    ReplyDelete
  17. हृदयस्पर्शी भाव!
    सादर!

    ReplyDelete
  18. जब जीवन हिलता डुलता है, माँ की याद बहुत आती है।

    ReplyDelete
  19. माँ की ममता अपार ,जो पाए उसका बेड़ा पार ,
    कृपया यहाँ भी पधारें
    -
    शनिवार, 12 मई 2012
    क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
    क्यों और कैसे हो जाता है कोई ट्रांस -जेंडर ?
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    ReplyDelete
  20. माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
    कितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
    आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
    एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
    माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
    इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?

    ReplyDelete
  21. आज के दिन पर एक भावपूरित रचना के लिए आभार।

    ReplyDelete
  22. खूबसूरत एहसास, भावप्रणव रचना और बेहतरीन चित्र.

    अभिनन्दन.

    ReplyDelete
  23. माँ को समर्पित एक भावपूर्ण कविता. बहुत सुन्दर ! आभार !!

    ReplyDelete
  24. जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
    माँ तुम बहुत याद आई..
    शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  25. आज तलक वह मद्धम स्वर
    कुछ याद दिलाये कानों में
    मीठी मीठी लोरी की धुन
    आज भी आये, कानों में !
    आज जब कभी नींद ना आये,कौन सुनाये मुझको गीत !
    काश कहीं से मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !

    ReplyDelete
  26. बहुत सुंदर ममता जी बहुत बहुत बधाई इस सार्थक रचना के लिए

    ReplyDelete



  27. हर पल साँसो में तुम बसती हो
    दुआ बन मेरे संग चलती हो

    बहुत भावना भरी रचना है…

    आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी
    सादर प्रणाम !
    जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
    माँ तुम बहुत याद आई…

    हर पढ़ने वाले की आंख नम हुई होगी आपकी रचना से …
    मां संबंधी इतनी सुंदर रचना के लिए आभार !

    परमात्मा किसी से मां को दूर न करे …
    और हां , इतने पुराने ज़माने का चित्र देखना बहुत अच्छा लगा …

    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
    Replies
    1. माँ की जितनी स्तुति की जाए कम है। भावों से भरी अत्यंत सुंदर रचना। बधाई !

      Delete
  28. चित्र संजोती है यादों को...
    भावपूर्ण रचना...आँखें नम कर गईं.

    ReplyDelete
  29. जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
    माँ तुम बहुत याद आई..
    beautiful lines with emotions and deep feelings

    ReplyDelete
  30. मां ही है जो हर वक्त साथ रहती है, साक्षात हों या स्मृतियों में।
    भावप्रवण रचना।

    ReplyDelete
  31. माँ का स्नेह अतुलनीय है,
    मार्मिक प्रस्तुति.
    सादर,
    मधुरेश

    ReplyDelete
  32. हर पल साँसो में तुम बसती हो
    दुआ बन मेरे संग चलती हो

    जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
    माँ तुम बहुत याद आई..

    आदरणीया महेश्वरी जी .बहतु सुन्दर भाव ..कोमल रचना ..किसी भी दुःख में बरबस माँ की याद जैसे ईश्वर की हम याद करें ..हर माँ को नमन ..अब तो उसकी दुवाएं साथ देती रहें और क्या चाहिए -आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  33. माँ पर इतनी सुंदर कविता है क्योंकि माँ स्वयं एक सुंदर कविता है. आपका आभार.

    ReplyDelete
  34. maa shabd apne aap mein pura sansaar hai... ispar kuchh bhi likha jaye khubsurat hi dikhta hai...

    ReplyDelete
  35. बहुत ही बढ़िया आंटी!

    सादर

    ReplyDelete
  36. आपकी कविता पढ़कर आँख मेरी भर आई माँ तुम बहुत याद आई ...सीधे सीधे दिल में उतरते शब्द .....बस !!!आँख मेरी भर आई

    ReplyDelete
  37. माँ ईश्वर का सबसे अनमोल वरदान !!
    सुंदर रचना ... साभार ...

    ReplyDelete