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Thursday, 31 May 2012

इंतजार



जीवन की ढ़लती शाम में ना जाने कितने बुजुर्ग कमजोर और थकते शरीर को लेकर अकेले पन के भंवर जाल में जकड़े हुए हैं केवल इस आस में कि विदेश में बसा बेटा एक दिन जरुर लौट कर आएगा । इन  बुजुर्ग माता पिता की आँखे पल पल इंतजार में पथरा जाती हैं पर लौट कर कोई नही आता.. बस इंतजार …सिर्फ इंतजार………


इंतजार

जो चला गया अब न

 आयेगा  इस पार

पंख मिला उड़ चले

 मुड़ के देखा न एक बार

पीछे क्या छोड़ा क्या तोड़ा

सोचा भी न एक बार

बोझिल टूटती सांसे,

सिर्फ आँसुओ का अंबार

थकी हारी इन आँखो में

 फिर भी है इंतजार

तरसता भटकता ढूँढ़ता

किसे ये मन बार-बार

जो चला गया अब न

 आयेगा इस पार

पंख मिला उड़ चले

 मुड़ के देखा न एक बार

**********

महेश्वरी कनेरी

Thursday, 24 May 2012

मैं नारी



मैं नारी,
कभी अबला कभी सबला,
कभी शक्ति स्वरुपा, कभी बेचारी
मैं नारी,
कभी माँ ,कभी बेटी बहन ,
कभी सहचरी बन ,रिश्ते निभाती
मैं नारी,
तृण-तृण चुन घर बसाती
निराशा की गहन रातों में
दीया बन जूझती
मैं नारी,
ह्रदय में पीर ,आँखों में नीर
होठों में मुस्कान लिए
 उन्मुक्त कंठ से
मुक्ति का गाना गाती
मैं नारी,
********
महेश्वरी कनेरी


Wednesday, 16 May 2012

माँ के दूध का कर्ज़

माँ के दूध का कर्ज़

बेटा , माँ को तीर्थ के बहाने
बाहर ले गया
और दूर कहीं छोड़ आया
सुबह से शाम हुई
बेटा न आया
माँ अधीर हो उठी
बेटा-बेटा कह रोने लगी
फिर
बेहोश हो वहीं गिर पड़ी
भीड़ में से एक ने उसे उठाया
दौड़ अस्पताल पहुँचाया
रात भर इलाज करवाया
सुबह माँ की जब आँख खुली
पास एक अजनवी को पाया
माँ ने सूनी आँखों से उसे देखा
मानो मन ही मन दुआ देरही हो
फिर धीरे से उसका हाथ थामा
और बोली -बेटा तुम जो भी हो
आज तुमने अपनी माँ के दूध का कर्ज़ चुकाया है
अजनवी पैरों मैं गिर पड़ा और बोला
अभी बेटा होने का फर्ज़ बाकी है
मेरे साथ मेरे घर चलो, माँ.. 
मेरा घर खाली है
आप के आने से भर जाएगा….
**************
और इस तरह एक अजनवी बेटा बन कर बूढ़ी माँ को अपने घर ले गया, जिसे उसका अपना बेटा बोझ समझ कर बीच रास्ते में छोड़ गया था ……..
महेश्वरी कनेरी

Saturday, 12 May 2012

माँ

मैं और मेरी माँ


जब भी जीवन की कश्ती डगमगाई
माँ तुम बहुत याद आई..

शीतल पवन ने जब भी मुझे छुआ है
तेरे होने का अहसास हुआ है

बहुत कुछ दिया है ,कुछ कमी नहीं है
बस तेरी ममता की छाँव नही है

जब भी सफर में थक कर रुक जाऊँ
तेरे हाथों का सहारा मैं पाऊँ

हर पल साँसो में तुम बसती हो
दुआ बन मेरे संग चलती हो  
 
जि़क्र तेरा आया ,आँखें मेरी भर आई
माँ तुम बहुत याद आई..
*******
महेश्वरी कनेरी


Sunday, 6 May 2012

गीत मेरे तुम गाते रहना..

गीत मेरे तुम गाते रहना

मैं रहूँ या न रहूँ

गीत मेरे तुम गाते रहना

 खुशी हो चाहे गम

 यूँ ही गुनगुनाते रहना

 गीत मेरे तुम गाते रहना......

जब सब तरफ उदासी हो

तपित धरती प्यासी हो

सावन की फुहार बन

वहाँ तुम बरस जाना

गीत मेरे तुम गाते रहना.........

 जहाँ बेबसी बिलखती हो

भूख पल-पल सिसकती हो

दो वक्त की रोटी बन

 वहाँ तुम चले आना

गीत मेरे तुम गाते रहना.........

जब सब तरफ अँधेरा हो

दुखों का डेरा हो

नव प्रभात किरण बन

 वहाँ तुम छा जाना

गीत मेरे तुम गाते रहना.........

जिक्र मेरा कहीं आजाए

आँखें नम तब होजाए

हर धडकन में उनकी

यादें बन बस जाना

 गीत मेरे तुम गाते रहना.......

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महेश्वरी कनेरी