abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Friday, 6 April 2012

डाली


डाली

मैं तो सपाट सीधी सी एक डाली थी

जो न झुकी, न टूटी थी कभी

उम्र भी न झुका सकी थी मुझे

आसमां को छूने की जिद में

ऊपर ही ऊपर बढ़ती जाती थी

       लेकिन क्या कहूँ…..

      आज हार गई हूँ मैं

    देखो मुझे..

   मैं तो

    अपने ही फूलों के 

   बोझ से

    झुकी जारही हूँ…..टूटी जारही हूँ….

लेकिन ये हार ही मेरी जीत है

क्योंकि झुकना और टूटना

मेरी विनम्रता का द्योतक है

मेरी खुशी  है

मेरा मान सम्मान है

यही मेरे जीवन का सार है



महेश्वरी कनेरी

40 comments:

  1. बेहद गहन अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  2. गहन भाव पूर्ण अभिव्यक्ति !!!

    ReplyDelete
  3. मैं तो

    अपने ही फूलों के

    बोझ से

    झुकी जारही हूँ…..टूटी जारही हूँ….


    डाली के रूप मे एक परिवार के मुखिया की व्यथा कथा बहुत सरलता से बताई है आंटी।

    सादर

    ReplyDelete
  4. वाह! बहुत भाव पूर्ण रचना है।बधाई।

    ReplyDelete
  5. यही तो विनम्रता है..

    ReplyDelete
  6. जीवन का सच कहती
    मन की बात कहती ...सुंदर रचना ....!!...

    ReplyDelete
  7. bahut badi baat kahi hai rachna ke maadhyam se apne ajeej hi insaan ko jhuka dete hain gairon me kahaan dam hai.
    bahut gahan bhaavabhivyakti.

    ReplyDelete
  8. गहन भावयुक्त रचना... आभार...

    ReplyDelete
  9. यह झुकना हर्ष का द्योतक है और विनम्रता

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर................
    कितनी गहन बात कह दी आपने चंद शब्दों में......
    और जिन फूलों की वजह से झुकी है वो फूल उस डाली का मान भी तो हैं!!!!!!

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  11. ........बहुत उम्दा रचना

    ReplyDelete
  12. सुंदर प्रस्तुति...गहन अभिव्यक्ति..............

    ReplyDelete
  13. kya baat ?........umda abhivyakti

    ReplyDelete
  14. इंसान अपनों के दिए ग़मों से ही टूटता है .....सुन्दर अवं मर्मस्पर्शी !!!!!

    ReplyDelete
  15. जिस पर फूल और फल लगते हैं वही झुकता है ... ठूंठ झुकते नहीं टूट जाते हैं ... सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  16. सुन्दर, गहन भावों से भरी रचना...
    सादर

    ReplyDelete
  17. khubsurat bhaw ma'm...sahan sheel jhuk hi jaata hai saamjasy ke liye..

    ReplyDelete
  18. यह गुण विनम्रता से ही आता है।

    ReplyDelete
  19. अपने ही फलों के बोझ से झुक जाती है डाली।

    ReplyDelete
  20. वाह बहुत खूब ...झुकने वाली डाली पर ही फूल खिलते है ..ये ही इस जीवन का सार भी हैं .....

    ReplyDelete
  21. विनम्रता की विनम्र अभिव्यक्ति!सार्थक रचना|

    ReplyDelete
  22. क्योंकि झुकना और टूटना
    मेरी विनम्रता का द्योतक है

    लाजवाब रचना...बधाई

    नीरज

    ReplyDelete
  23. पेड़ों की तरह अपनी खाद बनना सिखा रही है यह रचना .कृपया 'जिद 'कर लें 'जिद्द' को .बेशक जिद से जिद्दी बना है .

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्वाद वीरू भाई ...कर लिया..

      Delete
  24. बहुत खूब....भावयुक्त रचना

    ReplyDelete
  25. सुन्दर गहन विचार व्यक्त करती रचना...
    बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति.....

    ReplyDelete
  26. जीवन का यह चक्र निरंतर, जो जाता वह आता ही है ..
    .

    ReplyDelete
  27. क्योंकि झुकना और टूटना
    मेरी विनम्रता का द्योतक है
    मेरी खुशी है
    मेरा मान सम्मान है
    यही मेरे जीवन का सार है

    वाह,
    बिल्कुल अनछुए भावों पर आपने कलम चलाई है।

    ReplyDelete
  28. मेरी खुशी है


    मेरा मान सम्मान है


    यही मेरे जीवन का सार हैbilkul sahi bat....

    ReplyDelete
  29. कल 09/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  30. दी,मैंने आपका वह हाइगा देखा था...टिप्पणी भी दिया था.
    हार्दिक आभार!आशा है आगे भी आपके हाइगा देख पाऊँगी.

    ReplyDelete
  31. बहुत खूब, बहुत सुंदर रचना,

    ReplyDelete
  32. bahut hi sundar rachana ....badhai sweekaren

    ReplyDelete
  33. क्योंकि झुकना और टूटना
    मेरी विनम्रता का द्योतक है ....
    बहुत खूब !भावयुक्त रचना

    ReplyDelete
  34. कल 10/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  35. बहुत ही सुन्दर कविता |ब्लॉग पर आने हेतु आभार |

    ReplyDelete
  36. लेकिन ये हार ही मेरी जीत है

    क्योंकि झुकना और टूटना

    मेरी विनम्रता का द्योतक है
    बहुत सुन्दर और सार्थक

    ReplyDelete
  37. falon se ladi daali hee jhuki rahti hai..khoob padha tha ise ..aaj aapke chintan ne naye roop me parosa..padhkar behad accha laga...sadar badhayee aaur amantran ke sath

    ReplyDelete