कविता
अविरल कल-कल
भावों की बहती सरिता
कभी युगों का कभी
मन का दर्पण कविता
सुखद अनुभूति की
सतरंगी संसार कविता
कभी भूखे की रोटी
कभी तलवार की धार कविता
कभी सखी ,कभी बेटी सी
मुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता
सदियों से गुंजित जग में
जन-जन की आवाज़ कविता
मन में उठते भावों
की परवाज कविता
ह्रदय भूमि में उपजी
लहलहाती गाती कविता
पल्लवित पुष्पित होकर
बढ़ती जाती कविता
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महेश्वरी कनेरी
सुन्दर प्रस्तुति कनेरी जी, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteह्रदय भूमि में उपजी
लहलहाती गाती कविता
पल्लवित पुष्पित होकर
बढ़ती जाती कविता
रचना भी सुन्दर चित्र भी सुन्दर.
ReplyDeleteबहुद सुन्दर रचना
ReplyDeleteशब्दों की नदी बन कर अविरल बहती कविता
ह्रदय भूमि में उपजी
ReplyDeleteलहलहाती गाती कविता
पल्लवित पुष्पित होकर
बढ़ती जाती कविता
मन के हर भाव को स्पष्ट करती
प्यारी सी कविता...... !!
कभी सखी ,कभी बेटी सी
ReplyDeleteमुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता
सब कुछ कहती कविता .... बहुत ही बढ़िया
कितने रूप धरती है कविता..
ReplyDeleteसब कुछ है कविता... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... आभार
ReplyDeleteकभी सखी ,कभी बेटी सी
ReplyDeleteमुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कवित, अविरल बहती कविता
बहुत सुन्दर भाव,,
ReplyDeleteकभी सखी ,कभी बेटी सी
मुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता...
मनमोहक कविता...
सादर.
कभी सखी ,कभी बेटी सी
ReplyDeleteमुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता
वाह ..कविता की सुन्दर परिभाषा .. बहुत अच्छी रचना
सदियों से गुंजित जग में
ReplyDeleteजन-जन की आवाज़ कविता
मन में उठते भावों
की परवाज कविता...
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन माहेश्वरी जी कविटी की खूबसूरत परिभाषा ही बन गई खुद एक कविता :)
bahut sunder kavita.acchee lgee
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव,,
ReplyDeleteकभी सखी ,कभी बेटी सी
मुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता.
.....
मन में उठते भावों
की परवाज कविता
अतिसुन्दर
ReplyDeleteसुखद अनुभूति की
ReplyDeleteसतरंगी संसार कविता
कभी भूखे की रोटी
कभी तलवार की धार कविता
बहुत सही और सच्ची बात कही आंटी।
सादर
बहुत ही सुन्दर भाव संयोजन्।
ReplyDeleteकोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......
ReplyDeleteहृदय से निकला सच्चा उद्गार काव्य रूप ग्रहण कर ही लेता है।
ReplyDeleteयह रचना भी उसी की एक मिसाल है।
ह्रदय भूमि में उपजी
ReplyDeleteलहलहाती गाती कविता
पल्लवित पुष्पित होकर
बढ़ती जाती कविता.
कविता के विभिन्न रूपों और आयामों को परिभाषित करती बेहद सुंदर प्रस्तुति. बहुत बधाई.
सदियों से गुंजित जग में
ReplyDeleteजन-जन की आवाज कविता
मन में उठते भावों
की परवाज कविता
कविताओं के संसार में सब कुछ समाहित हे।
बढि़या रचना।
सदियों से गुंजित जग में
ReplyDeleteजन-जन की आवाज़ कविता
मन में उठते भावों
की परवाज कविता
मन का आह्लाद ,टूटे साज़ की आवाज़ कविता ,गूंगे का गुड ,'दिग्विजय' की आवाज़ 'कविता ' बहुत अच्छी रचना है ,याद आ गईं ये पंक्तियाँ -
वियोगी होगा पहला कवि ,आह से निकला होगा गान ,
निकल कर अधरों से चुपचाप ,बही होगी कविता अनजान .
thanks Beeru bhaaI..
Deleteमैं अपने सभी मित्र जनो का आभार प्रकट करती हूँ.जिन्होने समय-समय पर मुझे हौसला दिया..
ReplyDeleteबेहतरीन कोमल भावों से भरी अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteप्रशंसनीय भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन ।
ReplyDeleteकविता की व्यापकता को सुंदरता से परिभाषित किया है, सहराहनीय.
ReplyDeleteअविरल कल-कल
ReplyDeleteभावों की बहती सरिता
कभी युगों का कभी
मन का दर्पण कविता
मनमोहक कविता...
प्रेमदिवस की शुभकामनाये,
di
ReplyDeletekavita ko behtreen dhang se ya yun kahen ki sahi v saral shabdon me aapne varnit kiya hai..
bahut bahut badhai
poonam
बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
सुखद अनुभूति की
ReplyDeleteसतरंगी संसार कविता
कभी भूखे की रोटी
कभी तलवार की धार कविता
bhavpoorn sundar rachana ke liye sadar abhar .
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ReplyDeleteकभी सखी ,कभी बेटी सी
मुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता
...जहाँ तक जाए नज़र , वही बन जाए कविता
Posted by रश्मि प्रभा... to अभिव्यंजना at 12 February 2012 05:30
Posted by mahendra verma to अभिव्यंजना at 11 February 2012 20:33
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सदियों से गुंजित जग में
जन-जन की आवाज कविता
मन में उठते भावों
की परवाज कविता
कविताओं के संसार में सब कुछ समाहित हे।
बढि़या रचना।
Posted by Anupama Tripathi to अभिव्यंजना at 10 February 2012 09:55 has left a new comment on your post "कविता":
ReplyDeleteआपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार ११-२-२०१२ को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
bahut achchi lagi.....
ReplyDelete"कभी सखी ,कभी बेटी सी
ReplyDeleteमुखरित प्यार कविता
कभी जीवन का आधार
कभी पतवार कविता"
बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति!
देर से आने के लिए'सॉरी'|
ReplyDeleteहर क्षेत्र में कविता के महत्व को दर्शाती बहुत सुंदर प्रस्तुति|
अविरल कल-कल
ReplyDeleteभावों की बहती सरिता
कभी युगों का कभी
मन का दर्पण कविता
.....बहुत सुंदर...कविता को बहुत सुंदर परिभाषित किया है..
आपकी कविता सुन्दर सरस
ReplyDeleteऔर मन को लुभा रही है.
आनंदमय प्रस्तुति के लिए आभार जी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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