abhivainjana


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Saturday, 4 February 2012


 ये पत्र एक दुखी माँ के ह्रदय की पुकार है ,उन सभी बेटों के लिए  जो अपने बूढ़े माँ बाप को अकेला छोड़ कर विदेश चले जाते हैं और पीछे मुड़ कर देखने की भी आवश्यकता नही समझते ……..

एक पत्र बेटे के नाम
बेटा ! घर कब आओगे ?
तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं
आँखें भी पथरा गई अब तो
बोलो कब तक आओगे ?
घर आँगन सब सूना सूना है
बोल सुनने को तरस गये हैं
बेटा घर कब आओगे ?..........
पैरों से लाचार तेरे बाबा
सूनी आँखों से बस
रस्ता देखते रहते है
मुख से कुछ न कहते हैं
जीवन संध्या भी ढल रही अब तो
न जाने कब आँख लग जाए
बेटा घर कब आओगे ?........
तुम्हारे जाने के बाद यहाँ
कितना कुछ बदल गया है
हरिया, जग्गू रमिया भी
सभी शहर चले गये हैं
घर गाँव सब बिरान हो गए हैं
खेत खलिहान सब उजड़ गए हैं
अब तो यहाँ गिनती के बस
बूढ़े ही बूढ़े रह गए हैं
बेटा ! घर कब आओगे ?
तुम्हारे जाने के बाद यहाँ
न कोयल कूकती है
 न घुघुती बोलती है
न होली न दिवाली लगती है
बसंत भी पतझड़ सा लगता है
आँखों के आँसू भी सूख गए हैं
तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं ।
बेटा ! घर कब आओगे ?
बोलो कब तक आओगे ?
******* 
महेश्वरी कनेरी


34 comments:

  1. निराशा भरी आस की भावुक अभिव्यक्ति

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  2. बेटे की आस लिए माँ के दुःख की बहुत बढ़िया रचना,सुंदर प्रस्तुति,
    फुहार....: कितने हसीन है आप.....

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  3. बहुत बहुत अच्छी रचना महेश्वरी जी..

    आपने भावुक कर दिया..
    मगर सच से कब तक आँख चुरा सकते हैं..

    सादर.

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  4. स्वार्थ के आगे क्या माता -पिता आजकल तो यही चल रहा है..
    मार्मिक प्रस्तुती है .....

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  5. बेहद मार्मिक चित्रण्।

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  6. वृद्ध माता-पिता के दिल की पुकार...सटीक एवं मार्मिक चित्रण!

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  7. वर्तमान समय में बुजुर्गों की स्तिथि का बहुत मार्मिक चित्रण...

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  8. बसंत भी पतझड़ सा लगता है ,
    आँखों के आँसू भी सूख गए हैं ,
    तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं.... !
    बेटा ! घर कब आओगे.... ?
    ************************************
    माता-पिता का इन्तजार कब समाप्त होगें ?
    दिल के दर्द को दर्शाती रचना.... !!

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  9. अपनों की आस कितना दुखी कर जाती है, भावयुक्त अभिव्यक्ति..

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  10. बेटे के लौटने की उम्मीद बस एक उच्छ्वास बन रह जाती है ... मार्मिक प्रस्तुति

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  11. बहुत मर्मस्पर्शी कविता लिखी हैं आंटी।

    सादर

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  12. भावमय करती अभिव्‍यक्ति ...सार्थकता लिये हुये ।

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  13. ये दर्द वही जानता है जिस पर बीतती है।

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  14. आज की परिस्थितियों में एकाकी होते बुजुर्ग बड़ी समस्या है
    विदेश ही नहीं वल्कि देश मे रह कर भी सम्मिलित रहने की प्रथा खत्म हो रही है चिंता का विषय है ....रचना सटीक है

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  15. रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन इस स्थिति को जन्म दे रहा है. 'रोज़गार के ग़म बहुत दिल फ़रेब होते हैं', ऐसा एक शायर कह गया है. आशा है गाँव में पीछे छूटे लोग समय के साथ अपनी राहतों के रास्ते ढूँढ लेंगे.

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  16. maa ke dard ki marmik prastuti, ati sundar.

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  17. न होली न दिवाली लगती है
    बसंत भी पतझड़ सा लगता है
    आँखों के आँसू भी सूख गए हैं
    तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं ।
    आदरणीया माहेश्वरी जी अभिवादन ..सच में समाज की हाल अब यही है मार्मिक दिल को छू लेने वाली रचना ..
    काश बेटे बेटी माँ बाप के प्रति प्यार लुटाते सजग हों ..
    भ्रमर ५

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  18. marmik ..............maa baap ke hriday ke marmik udgar

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  19. भावुक कर देने वाली रचना , सच में बुजुर्गों का मन तो सदैव अपने बच्चों के इंतजार में ही लगा रहता है.....

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  20. मार्मिक, सुन्दर प्रस्तुति!

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  21. हरिया, जग्गू रमिया भी
    सभी शहर चले गये हैं
    घर गाँव सब बिरान हो गए हैं
    खेत खलिहान सब उजड़ गए हैं
    अब तो यहाँ गिनती के बस
    बूढ़े ही बूढ़े रह गए हैं...

    एक मार्मिक यथार्थ जो पूछ रहा है---

    क्या यही है सभ्य, सुसंस्कृत,आधुनिक समाज ?

    आह भी और वाह भी....

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  22. बूढ़े मां-बाप के सूने जीवन की व्यथा इन पंक्तियों में साकार हो गई है।

    कुछ सीख देती हुई मार्मिक रचना।

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  23. गंभीर और चिन्ताजनक विषय को आपने सुंदरता से इस कविता में प्रस्तुत किया है. बधाई.

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  24. bahut hi marmik rachana ....antastal ko bhigo gayee.

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  25. शब्द शब्द..मार्मिक कविता|

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  26. आपकी रचना बहुत अच्छी लगी,..

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  27. वर्तमान समय की विसंगतियों को बड़ी सूक्ष्मता से अभिव्यक्त किया है आपने इस रचना में ..!

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  28. मार्मिक रचना ...समाज की यह विसंगति द्रवित कर देती है मन को

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  29. katu sach hai aapne jo likha hai .
    aaj kal aesa hi ho raha hai .aapne bahut mammik tarike se bhavon ko vyakt kiya hai
    rachana

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  30. अलग दुनिया रह बन गई है अब बूढों की .

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  31. man ko chhu lene wali rachana .......dhanywaad

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  32. जीवन संध्या भी ढल रही अब तो
    न जाने कब आँख लग जाए
    बेटा घर कब आओगे ?........

    मार्मिक मार्मिक मार्मिक

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  33. dil ko choo gai aapki rachanaa .badhaai aapko .


    आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली का (३०) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
    http://hbfint.blogspot.in/2012/02/30-sun-spirit.html

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