ये पत्र एक दुखी माँ के ह्रदय की पुकार है ,उन सभी बेटों के लिए जो अपने बूढ़े माँ बाप को अकेला छोड़ कर विदेश चले जाते हैं और पीछे मुड़ कर देखने की भी आवश्यकता नही समझते ……..
एक पत्र बेटे के नाम
बेटा ! घर कब आओगे ?
तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं
आँखें भी पथरा गई अब तो
बोलो कब तक आओगे ?
घर आँगन सब सूना सूना है
बोल सुनने को तरस गये हैं
बेटा घर कब आओगे ?..........
पैरों से लाचार तेरे बाबा
सूनी आँखों से बस
रस्ता देखते रहते है
मुख से कुछ न कहते हैं
जीवन संध्या भी ढल रही अब तो
न जाने कब आँख लग जाए
बेटा घर कब आओगे ?........
तुम्हारे जाने के बाद यहाँ
कितना कुछ बदल गया है
हरिया, जग्गू रमिया भी
सभी शहर चले गये हैं
घर गाँव सब बिरान हो गए हैं
खेत खलिहान सब उजड़ गए हैं
अब तो यहाँ गिनती के बस
बूढ़े ही बूढ़े रह गए हैं
बेटा ! घर कब आओगे ?
तुम्हारे जाने के बाद यहाँ
न कोयल कूकती है
न घुघुती बोलती है
न होली न दिवाली लगती है
बसंत भी पतझड़ सा लगता है
आँखों के आँसू भी सूख गए हैं
तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं ।
बेटा ! घर कब आओगे ?
बोलो कब तक आओगे ?
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महेश्वरी कनेरी
निराशा भरी आस की भावुक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेटे की आस लिए माँ के दुःख की बहुत बढ़िया रचना,सुंदर प्रस्तुति,
ReplyDeleteफुहार....: कितने हसीन है आप.....
बहुत बहुत अच्छी रचना महेश्वरी जी..
ReplyDeleteआपने भावुक कर दिया..
मगर सच से कब तक आँख चुरा सकते हैं..
सादर.
स्वार्थ के आगे क्या माता -पिता आजकल तो यही चल रहा है..
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुती है .....
बेहद मार्मिक चित्रण्।
ReplyDeleteवृद्ध माता-पिता के दिल की पुकार...सटीक एवं मार्मिक चित्रण!
ReplyDeleteवर्तमान समय में बुजुर्गों की स्तिथि का बहुत मार्मिक चित्रण...
ReplyDeleteबसंत भी पतझड़ सा लगता है ,
ReplyDeleteआँखों के आँसू भी सूख गए हैं ,
तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं.... !
बेटा ! घर कब आओगे.... ?
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माता-पिता का इन्तजार कब समाप्त होगें ?
दिल के दर्द को दर्शाती रचना.... !!
अपनों की आस कितना दुखी कर जाती है, भावयुक्त अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबेटे के लौटने की उम्मीद बस एक उच्छ्वास बन रह जाती है ... मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी कविता लिखी हैं आंटी।
ReplyDeleteसादर
भावमय करती अभिव्यक्ति ...सार्थकता लिये हुये ।
ReplyDeleteये दर्द वही जानता है जिस पर बीतती है।
ReplyDeleteआज की परिस्थितियों में एकाकी होते बुजुर्ग बड़ी समस्या है
ReplyDeleteविदेश ही नहीं वल्कि देश मे रह कर भी सम्मिलित रहने की प्रथा खत्म हो रही है चिंता का विषय है ....रचना सटीक है
रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन इस स्थिति को जन्म दे रहा है. 'रोज़गार के ग़म बहुत दिल फ़रेब होते हैं', ऐसा एक शायर कह गया है. आशा है गाँव में पीछे छूटे लोग समय के साथ अपनी राहतों के रास्ते ढूँढ लेंगे.
ReplyDeletemaa ke dard ki marmik prastuti, ati sundar.
ReplyDeleteन होली न दिवाली लगती है
ReplyDeleteबसंत भी पतझड़ सा लगता है
आँखों के आँसू भी सूख गए हैं
तुम्हें देखे बरस बीत गए हैं ।
आदरणीया माहेश्वरी जी अभिवादन ..सच में समाज की हाल अब यही है मार्मिक दिल को छू लेने वाली रचना ..
काश बेटे बेटी माँ बाप के प्रति प्यार लुटाते सजग हों ..
भ्रमर ५
marmik ..............maa baap ke hriday ke marmik udgar
ReplyDeleteभावुक कर देने वाली रचना , सच में बुजुर्गों का मन तो सदैव अपने बच्चों के इंतजार में ही लगा रहता है.....
ReplyDeleteमार्मिक, सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteहरिया, जग्गू रमिया भी
ReplyDeleteसभी शहर चले गये हैं
घर गाँव सब बिरान हो गए हैं
खेत खलिहान सब उजड़ गए हैं
अब तो यहाँ गिनती के बस
बूढ़े ही बूढ़े रह गए हैं...
एक मार्मिक यथार्थ जो पूछ रहा है---
क्या यही है सभ्य, सुसंस्कृत,आधुनिक समाज ?
आह भी और वाह भी....
बूढ़े मां-बाप के सूने जीवन की व्यथा इन पंक्तियों में साकार हो गई है।
ReplyDeleteकुछ सीख देती हुई मार्मिक रचना।
गंभीर और चिन्ताजनक विषय को आपने सुंदरता से इस कविता में प्रस्तुत किया है. बधाई.
ReplyDeletebahut hi marmik rachana ....antastal ko bhigo gayee.
ReplyDeleteशब्द शब्द..मार्मिक कविता|
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत अच्छी लगी,..
ReplyDeleteवर्तमान समय की विसंगतियों को बड़ी सूक्ष्मता से अभिव्यक्त किया है आपने इस रचना में ..!
ReplyDeleteमार्मिक रचना ...समाज की यह विसंगति द्रवित कर देती है मन को
ReplyDeletekatu sach hai aapne jo likha hai .
ReplyDeleteaaj kal aesa hi ho raha hai .aapne bahut mammik tarike se bhavon ko vyakt kiya hai
rachana
अलग दुनिया रह बन गई है अब बूढों की .
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDeleteman ko chhu lene wali rachana .......dhanywaad
ReplyDeleteजीवन संध्या भी ढल रही अब तो
ReplyDeleteन जाने कब आँख लग जाए
बेटा घर कब आओगे ?........
मार्मिक मार्मिक मार्मिक
dil ko choo gai aapki rachanaa .badhaai aapko .
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली का (३०) मैं शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/30-sun-spirit.html