खाली पन्ने
बहते अश्रु जल ने शायद सब अक्षर मिटा दिए हैं
तभी तो जीवन की किताब के कुछ पन्ने खाली रह गए हैं
इन खाली पन्नो में फिर से कुछ लिख तो लूँ
लेकिन वो जज्बात वो अहसास कहाँ से लाऊँ
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
वही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
***********
महेश्वरी कनेरी
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
ReplyDeleteवही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
....बहुत गहन अभिव्यक्ति....
खाली पन्ने भी कुछ बयाँ करते हैं...
ReplyDeleteकोमल सा भाव लिए-
बहुत सुन्दर रचना ...
सादर नमन.
बहुत ही बढ़िया लिखा है आंटी।
ReplyDeleteसादर
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
ReplyDeleteवही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
सुंदर अभिव्यक्ति...
सूखे पन्नों के जोड़ में छिपी है, जीवन की नमी..
ReplyDeleteखाली पन्नों पर चाहे जो इबारत लिख लीजिये पर आरंभ तो करना ही होगा ...
ReplyDeleteजिसे मैं आरंभ समझती हूँ
ReplyDeleteवही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता ह…………हाय! ये कैसी बेबसी…………
आज गाने को दोहराने को जी कर रहा दीदी.... मेरी जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया....
ReplyDeleteलेकिन वो जज्बात वो अहसास कहाँ से लाऊँ
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
वही अंत हो जाता है
कहीं से आरंभ तो कीजिये.... :)
जीवन के कुछ पन्ने अधूरे रह जाते है,..
ReplyDeleteसुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति
new post...फुहार...तुम्हें हम मिलेगें...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआपको पढना वाकई सुखद अनुभव है।
ज़िन्दगी की किताब में
ReplyDeleteकई पन्ने होते हैं
कुछ पर खुशी के गीत
लिखे होते
कुछ पर भयावह किस्से
कुछ पन्ने रीते होते
वक़्त निकलने के बाद
लिखने की इच्छा पैदा करते
जन्म के साथ मृत्यु आरम्भ के साथ अंत.... यही है जीवन का सत्य ! सुंदर कविता...
ReplyDeleteयथार्थ को बयां करती हुई बेहतरीन रचना ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव हैं..बेहतरीन रचना |
ReplyDeleteआरम्भ का अधूरापन कहाँ भरता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक बातें, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteजिसे मैं आरंभ समझती हूँ, वही अंत हो जाता है
ReplyDeleteबहुत ही गहरी बात......
.बहुत गहन अभिव्यक्ति.यथार्थ को बयां करती हुई,,,,,,,,,
ReplyDeleteजिसे मैं आरंभ समझती हूँ
ReplyDeleteवही अंत हो जाता है
गहराई लिये हुए भाव
कमाल की बेहतरीन रचना.....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
सृनात्मकता का शब्द-द्वंद्व. सुंदर रचना.
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,,
ReplyDeleteदिल को छु लेनेवाले भाव...
बेहतरीन रचना :-)
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
ReplyDeleteवही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
***********
SACH LIKH HAI APNE ....YAHI HOTA HAI .
MERE NAYE POST APKE LIYE KUCHH KHAS HAI .
bahut sundar rachna, aarambh aur ant ka sangam aur punh khali panne-------------
ReplyDeleteभावपूर्ण बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सराहनीय प्रस्तुति,..
ReplyDeleteMY NEW POST ...सम्बोधन...
बहुत गहन अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३१) में शामिल की गई है/आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह लगन और मेहनत से हिंदी भाषा की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /
ReplyDeleteइस तरह कोरे पन्ने पर भी कुछ अदृश्य पंक्तियां उभर आती हैं।
ReplyDeleteबढि़या कविता।
उम्र के साथ वे एहसास वो ज़ज्बात भी खत्म हो जाते हैं ....
ReplyDeleteजब हम थे तुम नहीं ...
अब तुम हो हम नहीं .....
बहुत खूब लिखा है..बढि़या कविता,
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एक ब्लॉग सबका '
इन खाली पन्नो में फिर से कुछ लिख तो लूँ
ReplyDeleteलेकिन वो जज्बात वो अहसास कहाँ से लाऊँ
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
वही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
बहुत सुन्दर एहसासात हैं इस रचना में कुछ इस तरह से -बगैर एहसास के जी रहा हूँ इसलिए कि जब कभी एहसास लौटें खैर मकदम कर सकूं .
गहरे भाव!!
ReplyDeleteआंसुओं से मिटे शब्द वापस नहीं आयें तो अच्छा है ...
ReplyDeleteजीवन में कुछ नए शब्द तलाशने में आसानी हो जायेगी ... गहरे भाव लिए ...
इन खाली पन्नो में फिर से कुछ लिख तो लूँ
ReplyDeleteलेकिन वो जज्बात वो अहसास कहाँ से लाऊँ
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
वही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
मन की स्लेट पर तो कुछ न कुछ लिखा रह ही जाता है .व्यतीत फिर व्यतीत है उसका स्मरण क्या ?
khaali panno si zindagi hamari, sadaiv adhuri lagti hai, jabki jivan ka pal pal hum jite hain. sach hai, har baar पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है. sundar abhivyakti, badhai.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,गहरे भाव,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,.....
ReplyDeleteMY NEW POST...आज के नेता...
कविता का भाव बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव हैं..बेहतरीन रचना, इस रचना के लिए आभार
ReplyDeleteनई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
ReplyDeleteसबसे पहले दक्ष को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.!!
Active Life Blog
जिसे मैं आरंभ समझती हूँ
ReplyDeleteवही अंत हो जाता है
पन्ना फिर खाली का खाली रह जाता है
bahut khoob
गागर में सागर सा एहसास कराती सुंदर कविता। आभार।
ReplyDelete------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
मूस जी मुस्टंडा...
खुबसूरत अभिव्यक्ति ...... स:परिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं.....
ReplyDelete**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
ReplyDelete~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
*****************************************************************
♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
*****************************************************************
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
आदरणीय महेश्वरी जी
ReplyDeleteआजकल आप दिखती नहीं....कुछ नयी पोस्ट भी नहीं...
आपको होली की शुभकामनाएँ देती हूँ.....
सादर.
बढ़िया अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteरंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें !
मेरे सपने ,हर दम अपने ,
ReplyDeleteजागी आँखों का खाब बने
दीदी गेट वेळ सून ..
बिन सेहत सब सून ...
bahut achchi abhiwaykti.swasthya ka dhyan rakhiye .thanks.
ReplyDelete