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Sunday 9 October 2011

हथेली पर जान लेके चलने वाले



हथेली पर जान लेके चलने वाले
तूफ़ां से भला कहाँ डरते हैं
हिम्मत का पतवार थामे वे
अपनी राह खुद बना लेते हैं

बिजली बन कर बाधाओ पर
बेखौफ हो  टूट पड़ते हैं
मन में भर कर विश्वास
अग्नि पथ पर वे बढ़ते हैं

न कोसते किस्मत को वे
बिगड़ी खुद बना लेते हैं
दर्द से भरी हर लकीर को वे
खुद हाथों से मिटा देते हैं

धैर्य की भट्टी में तप कर वे
लोहे को मोम बना देते हैं
चल कर तलवार की धार पर
नया इतिहास रचा लेते हैं

हथेली पर जान लेके चलने वाले
तूफ़ां से भला कहाँ डरते हैं..
*******

34 comments:

  1. सुंदर ...धैर्य और आत्मविश्वास से ही नया इतिहास रचा जाता है......

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  2. सच बात है, ऐसा ही कुछ हो अपने युवाओं में।

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  3. हिम्मत का पतवार थामे वे
    अपनी राह खुद बना लेते हैं....
    सचमुच... सार्थक प्रेरक गीत....
    सादर बधाई....

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  4. बिजली बन कर बाधाओ पर
    बेखौफ हो टूट पड़ते हैं
    मन में भर कर विश्वास
    अग्नि पथ पर वे बढ़ते हैं

    बहुत उत्साह बढ़ाती है आपकी यह कविता।
    ----
    कल 11/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. वाह …………उत्साह का संचार करती एक बेहद खूबसूरत कविता

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  6. वाह ...बहुत ही बढि़या लिखा है आपने ...आभार ।

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  7. जोश भरती हुई कविता!

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  8. न कोसते किस्मत को वे
    बिगड़ी खुद बना लेते हैं
    दर्द से भरी हर लकीर को वे
    खुद हाथों से मिटा देते हैं

    ....बहुत सारगर्भित और प्रेरक प्रस्तुति..

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  9. Very motivating and inspiring creation !

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  10. न कोसते किस्मत को वे
    बिगड़ी खुद बना लेते हैं--

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    बधाई स्वीकार करें ||

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  11. हिम्मत, बुद्धिमता, धैर्य और सहनशीलता आदि गुण ही आदमी को ऊपर उठाती है.... आपकी यह प्रेरणास्पद रचना हौसला बढाती है...
    इस सार्थक व सुन्दर रचना के लिए आभार !!

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  12. उत्साह बढ़ाती है आपकी यह कविता.

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  13. धैर्य की भट्टी में तप कर वे
    लोहे को मोम बना देते हैं
    चल कर तलवार की धार पर
    नया इतिहास रचा लेते हैं...prerna deti hai aapki yah rachna..sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  14. Himmat se hi bade-bade kaam siddh hote hain..
    saarthak utsahvardhan rachna prastuti ke liye dhanyavaad!

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  15. बहुत ख़ूबसूरत एवं प्रेरक रचना! बढ़िया प्रस्तुती!

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  16. saarthak aur sandeshprad rachnaa...

    धैर्य की भट्टी में तप कर वे
    लोहे को मोम बना देते हैं
    चल कर तलवार की धार पर
    नया इतिहास रचा लेते हैं

    shubhkaamnaayen.

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  17. जी, धीर-वीर मनुष्यों की बात ही और है।

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  18. प्रेरणादायी रचना

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  19. न कोसते किस्मत को वे
    बिगड़ी खुद बना लेते हैं
    दर्द से भरी हर लकीर को वे
    खुद हाथों से मिटा देते हैं

    भागयवाद की तुलना में कर्मवाद को श्रेष्ठ दर्शाती सुंदर और प्रेरक रचना।

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  20. ekdam prerak......aur sunder to alag se......

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  21. बहुत सुंदर , प्रेरक रचना .....
    शुभकामनायें !

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  22. सकारात्मक सन्देश देती कविता.

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  23. जीवन में उत्साह भर देने वाली प्रभावी रचना,मुझे बहुत अच्छी लगी,बधाई समय मिले तो मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है,

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  24. सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति.

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  25. न कोसते किस्मत को वे
    बिगड़ी खुद बना लेते हैं
    दर्द से भरी हर लकीर को वे
    खुद हाथों से मिटा देते हैं

    सही सन्देश प्रेषित करती प्रस्तुति.

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  26. हिम्मते मर्दा मदद डे खुदा .सहज अभिव्यक्ति प्रेरक और भाग्य वादियों को आइना दिखलाती .

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  27. न कोसते किस्मत को वे
    बिगड़ी खुद बना लेते हैं
    दर्द से भरी हर लकीर को वे
    खुद हाथों से मिटा देते हैं
    हथेली पर जान लेके चलने वाले
    तूफ़ां से भला कहाँ डरते हैं..

    बहुत सुंदर रचना..
    लोगों को सकारात्मक प्रेरणा देने वाली..

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  28. आज 14/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  29. हां........मन में हैं विश्वास

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  30. दर्द से भरी हर लकीर को वे
    खुद हाथों से मिटा देते हैं................बहुत सुंदर रचना............

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  31. बहुत ही प्रेरक कविता के लिए बधाई है और अभी खुशी इस बात पर भी हुई कि हमारे चिट्ठे समनामी हैँ ।

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