इंसान
का कद
इंसान का कद आज
इतना ऊँचा हो गया
कि इंसानियत उसमें
अब दिखती नहीं
दिल इतना छोटा होगया
कि भावनाएं उसमें अब
टिक
पाती नहीं
जिन्दगी कागज़ के फूलों सी
सजी संवरी दिखती तो है
पर प्रेम, प्यार और संवेदनाओ
की वहाँ खुशबू नहीं
चकाचौंध भरी दुनिया की
इस भीड़
में इतना आगे
निकल
गया इंसान
कि अपनों के आँसू
अब उसे दिखते नहीं
आसमां को छूने की जिद्द में
पैर ज़मी पर टिकते नहीं
सिवा अपने, छोटे-छोटे
कीड़े मकोड़े से दिखते सभी
कुचल कर उन्हें, आगे बढ़ो
यही सभ्य समाज की
नियति सी बन गई अब
ऐसा कद भी किस काम का
जिससे माँ का आँचल ही
छोटा
पड़ जाए
और पिता गर्व से उन
कंधों को थपथपा भी न पाए
जिस पर बैठ,वह
बड़ा हुआ था कभी
ऐसा कद भी किस काम का…
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महेश्वरी कनेरी
यही सच है....क्या करें..
ReplyDeleteबहुत अच्छी और सच्ची अभिव्यक्ति...
सादर
अनु
आधुनिकता की आपाधापी में जीवन के आदर्श तिरोहित होते जा रहे हैं , बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआज के परिवेश का सच ..... दुखद है
ReplyDeleteबहुत सुंदर :)
ReplyDeleteइन्सान अब अपना पीठ खुद थप थपाने में गर्व महसूस करने लगे |
ReplyDeletenew post ग्रीष्म ऋतू !
माहेश्वरी जी , आदमी नामक पशु (शरीर से हम सब पशु हैं ) अपना क़द इतना बढ़ा लिया है कि इंसानियत नामक चीज़ उसके सामने बड़ी तुच्छ हो गई है !
ReplyDeleteबढ़िया लेखन आदरणीय धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभार आप का..
ReplyDeleteजैसे पेड़ खजूर...सुन्दर भाव...
ReplyDeleteकल 30/मई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
Thanks Yashvant
Deletebahut sahi kaha aapne
ReplyDeletebadhai
rachana
काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteसच्चाई को उकेरती खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteजमीन से जुड़े रहना बहुत जरुरी है
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, प्रभावी रचना
सादर !
इंसान आज अपने से आगे किसी को नहीं देखना चाहता ...
ReplyDeleteबदलव की जरूरत है आज ...
सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा अप्पकी रचनाओ को पढ़कर , और एक अच्छे ब्लॉग फॉलो करने का अवसर मिला !
मेरे ब्लॉग की नवीनतम रचनाओ को पढ़े और अगर आपको सही लगे तो फॉलोवर बनकर कमेंट के रूप में सुझाव देकर हमारा मार्दर्शन करें !
बिल्कुल सच्ची अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभावपूर्ण ……
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक लिखा
ReplyDeleteमन को छूता हुआ
सादर---
आज के यथार्थ की बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
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