गौरैया
माँ ! आँगन में अपने
अब क्यों नहीं आती गौरैया
शाम सवेरे चीं चीं करती
अब क्यों नहीं गाती गौरैया
फुदक- फुदक कर चुग्गा चुगती
पास जाओ तो उड़ जाती
कभी खिड़की, कभी मुंडेर पर
अब क्यों नहीं दिखती गौरैया
माँ बतला दो मुझ को
कहाँ खोगई गौरैया ?
विकास के इस दौर में,बेटा !
मानव ने देखा स्वार्थ सुनेरा
काटे पेड़ और जंगल सारे
और छीना पंछी का रैन बसेरा
रुठ गई हम से अब हरियाली
पत्थर का बन गया शहर
अब आँगन बचा न चौबारा
सब तरफ प्रदूषण का कहर
न कीट पतंगे न चुग्गा दाना
बिन पानी सूखे ताल तलैया
क्या खाएगी कहाँ रहेगी
बेचारी नन्हीं सी गौरैया
भीषण प्रदूषण के कारण
लुप्त हो रहे दुर्लभ प्राणी
दिखेगी कैसे अब आँगन में
बेटा ! नन्हीं प्यारी गौरैया
*****************
महेश्वरी कनेरी
बहुत ही सहज भाव से माँ ने अपने बेटे को बात समझा दी, लेकिनः अब वक्त आ गया है जब इंसान सोचे की वह कहाँ जा रहा हैi
ReplyDeleteबहुत सुंदर. विकास की भेंट चढ़ गई है गोरैया.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कालबेलियों की दुनियां
बहुत सुंदर । मेरे घर में रोज रहती है 100 से ज्यादा गोरैया :)
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...गुम ही हो गयी है आँगन की चहक .....
ReplyDeleteइंसानो के गलती के कारण आज बहुत से दुर्लभ प्राणी लुप्त हो गए हैं ... बहुत सूंदर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteइंसान की बढ़ती तृष्णा प्रकृति के इन निरीह प्राणियों को निगलती जा रही है.
ReplyDeleteआभार आप का..
ReplyDeleteदुर्लभ होती जा रहीं है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ..........एक सही विचार रखा गया है कि क्यों नहीं आती गौरैया अब ............दुर्लभ होती जा रही है , शायद हमारे छोटे होते घरों में हमारी तरह कैद नहीं रहना चाहती ..........अब वो खुला आँगन कहाँ ...........
ReplyDeleteनिमित्र मात्र रूप में बढ़िया संदेश देती यह रचना , आदरणीय धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सच शहर में इनका विलुप्त होते जाना चिंतनीय स्थिति हैं। गाँव में गोरैयों की चहचाहट घर आँगन में देखना आज भी बहुत सुकून पहुंचता हैं मन को
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
कल 16/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
धन्यवाद यशवन्त
Deleteगौरैया , कौआ , आदि पक्षी लगातार कम होते जारहे हैं । गिद्ध तो कहीं दिखाई ही नही देता । लेकिन हम लोग इसपर गहराई से सोचते ही नही । पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव पशु-पक्षियों पर पड रहा है ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संदेश देती रचना .....
ReplyDelete
ReplyDeleteसन्देश देती बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!
RECENT POST आम बस तुम आम हो
गौरैया के दुःख को वाणी देती सुंदर रचना..
ReplyDeleteक्या बात है, वाह बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
ReplyDeleteहम कब संवेदनशील होंगे ?
ReplyDelete