मनहरण
धनाक्षरी में ...देश भक्ति गीत
तन मन
प्राण वारूँ वंदन नमन
करूँ
, गाऊँ
यशोगान सदा मातृ भूमि
के लिए ..
पावन मातृ भूमि ये , वीरों और शहीदों
की
जन्मे राम कृष्ण यहाँ हाथ सुचक्र लिए ,
ये
बेमिशाल देश है संस्कृति
भी विशेष हैं
, पूजते
पत्थर यहाँ आस्था
अनंत लिए
.शौर्य और
त्याग की भक्ति और
भाव की
, कर्म पथ
चले सभी हाथ में ध्वजा लिए .....
महेश्वरी कनेरी
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-02-2019) को "प्रेम का सचमुच हुआ अभाव" (चर्चा अंक-3242) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/02/2019 की बुलेटिन, " निदा फ़जली साहब को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteउम्दा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअति सुंदर लेख
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख है Movie4me you share a useful information.
ReplyDeletevery useful information. ..movie4me very very nice article
ReplyDeleteWhat a great post!lingashtakam I found your blog on google and loved reading it greatly. It is a great post indeed. Much obliged to you and good fortunes. keep sharing.shani chalisa
ReplyDeleteआपने बहुत ही शानदार पोस्ट लिखी है. इस पोस्ट के लिए Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.
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