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Wednesday 18 January 2012

एक चिनगारी


एक चिनगारी
सरदी से कँपकपाता मौसम
मुँह से निकलता धूआँ
जलने को अब क्या बचा
चन्द अरमान और चन्द सपने….?
उन्हें भी जला हाथ सेकते रहे
देखते ही देखते
सब सपने खाक हुये
जल कर सब राख हुए
कँपकपाहट फिर भी कम न हुई
बस था धूआँ ही धूआँ…
लेकिन …
अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने
शायद अगले वर्ष काम आ जाए..
******
महेश्वरी कनेरी…


38 comments:

  1. अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने
    शायद अगले वर्ष काम आ जाए..

    बहुत ही बढ़िया आंटी।

    सादर

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  2. अदभुत बहुत सुन्दर,,,
    बधाई हो आपको

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  3. अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने
    शायद अगले वर्ष काम आ जाए... बिल्कुल... चिंगारी न हो तो परिवर्तन की आग लगेगी कैसे

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  4. अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने
    शायद अगले वर्ष काम आ जाए..
    वाह ...बहुत खूब ।

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  5. बहुत सुन्दर...
    जाने कबसे राह देख रही थी आपकी रचना की...
    सादर.

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  6. अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने! :) bahut achchi lagi rachna!

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  7. बहुत खूब ....मन में दबी चिंगारी ने ...शब्दों का रूप ले लिया ...

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  8. न चाहतें मिटतीं हैं न हौसले पस्त होतें हैं बस आदमी एक दिन चुक जाता है ,आदमियत फिर भी नहीं चुकती .अच्छी रचना पढवाई आपने 'चिंगारी एक बाकी है शायद अगले बरस काम आये ...हम हों न हों चिंगारी तो रहे ...

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  9. वाह...बेजोड़ रचना...बधाई

    नीरज

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  10. काश बँधकर रहे ऊष्मा..

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  11. अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने
    शायद अगले वर्ष काम आ जाए..
    ******
    ....मन में दबी चिंगारी ने ...शब्दों का रूप ले लिया ...

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  12. इस पर मेरी टिप्पणी नहीं दिखाई दे रही ... डैश बोर्ड से कमेंट्स के स्पैम में देखिये

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  13. बहुत सुंदर रचना बेहतरीन पोस्ट
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई

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  14. सच्चाई का बोध कराती लाजवाब रचना ।

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  15. भाव गहरे हैं..शब्द सुनहरे हैं ..
    मन को छु गयी
    kalamdaan.blogspot.com

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  16. एक चिन्गारी सुलगती रहनी चाहिये ………जीने के लिये

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  17. बहुत सुन्दर शब्द रचना |

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  18. इस चिंगारी को यूहीं दबाए रखिये.यह उर्जा का एक अदभूत स्रोत है..
    बहुत सुन्दर...

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  19. चिंगारी बुझने ने पाए..बहुत बढ़िया

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  20. अब भी एक चिनगारी दबा रखी है मैंने

    शायद अगले वर्ष काम आ जाए..

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...बधाई!

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  21. This comment has been removed by the author.

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  22. मैंने आपकी ब्लॉग पर पहली टिपण्णी की थी ,वो तो दिख ही नहीं रही है ....

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  23. एक -न -एक चिंगारी तो शेष रहनी ही चाहिए ....अर्थपूर्ण रचना

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  24. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

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  25. इस जीवन में जीने के लिए एक चिंगारी तो हमेशा बरकरार रहनी ही चाहिए....

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  26. अच्छी रचना ........
    बधाई ...
    मेरी नयी कविता तो नहीं उस जैसी पंक्तियाँ " जोश "पढने के लिए मेरे ब्लॉग पे आयें...
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

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  27. इस चिंगारी को सुलगने दो ....

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  28. yahi dabi chingari jeene ka sabab hai...ye bachi rahe to behtar hai...varna aur kya rakha hai jindgi k paimane me.

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  29. पहली बार आपकी ब्लॉग पर आया ...
    सच कहा आपने....मेरे अंदर की चिंगारी अभी जिंदा है ॥
    मेरे भी ब्लॉग पर आकर मार्ग दर्शन करे

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  30. खूब , मन को उद्वेलित करते भाव.....

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  31. चिंगारी तो बहुत कुछ कर सकती है

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  32. बेहतरीन रचना पढवाने के लिए सादर आभार.

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  33. jinda chingari se nikle bhav se nikli rachnaon ka swagat aur entjar rahega.

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  34. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।

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  35. उम्मीद की यही चिंगारी शेष रह जाती है.उद्वेलित करती रचना.वाह !!!!

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  36. दबी हुई चिंगारी उचित समय पर शोला बन जाती है।
    भावप्रवण कविता।

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