abhivainjana


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Wednesday 9 November 2011

कुछ साँस बची है जीने को...



कुछ साँस बची है जीने को

कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
            टूटे बिखरे सपनों को मैं
सहेज रही थी जीवन भर
आशा की इस बगिया में
दो बूँद बारिश का गिरने दो
कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
जीवन सागर के इन लहरों में
उफान भरा, तूफा़न भरा था
थक कर  खामोश हुए अब
             इस खामोशी को सुनने दो
कुछ साँस बची है जीने को,जी भर मुझ को जीने दो
ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
      मुट्ठी में भरी   रेत सी
    फिसल रही अब जिन्दगी
    क्या खोया क्या पाया मैंने
    आज इसे  बस रहने दो 
कुछ साँस बची है जीने को,जी भर मुझ को जीने दो
ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
  पत्थर के  निर्मोही जग में
  प्यार का  अहसास  नहीं है
  पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो
कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
          **************

38 comments:

  1. पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो ...

    बहुत खूब ... इस स्वार्थी जग की रीत को बाखूबी लिखा है आपने ...

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  2. पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो
    jag ki reet darshata katu satya sunderata se bayan kiya hai ....

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  3. बहुत सुन्दर आग्रह है...
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति महेश्वरी जी..
    बधाई.

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  4. पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो... aaj mujhe tum jeene do

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  5. ह्रदय तार के स्पंदन को
    आज मुझे तुम सुनने दो,
    खूबसूरत रचना सुंदर पोस्ट,.... बधाई |

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  6. क्या खोया क्या पाया मैंने
    आज इसे बस रहने दो

    बस अब यही तमन्ना है।
    बहुत अच्छी कविता रची है आंटी।

    सादर

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  7. जिन्दगी को जीने की आस ......मन को भा गई ....शब्दों से मन को छू लेने वाली कृति

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  8. जीवन को जीने के लिये पूरा आसमान मिले।

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  9. पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो

    ....बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर

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  10. बहुत खूब, सुन्दर रचना

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  11. जीवन सागर के इन लहरों में
    उफान भरा, तूफा़न भरा था
    थक कर खामोश हुए अब
    इस खामोशी को सुनने दो
    जीवन का यतार्थ बयां करती एक मार्मिक कविता. बहुत सुन्दर.... आभार !

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  12. गहरे भावोँ को शब्द की आवाज बख्शी है,बढ़िया प्रस्तुति ।

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  13. गहन भाव..... सच जीवन कितने सुख दुःख के रंग लिए होता ...ज़रा ठहर कर उन्हें देखें तो.....जियें तो ...

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  14. जीवन सागर के इन लहरों में
    उफान भरा, तूफा़न भरा था
    थक कर खामोश हुए अब
    इस खामोशी को सुनने दो..

    मन के संवेदनशील भावों को कहती अच्छी रचना

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  15. अच्छी प्रस्तुति

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  16. कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
    ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो...बहुत ही सार्थक भावो से भरपूर्ण.....

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  17. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-694:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  18. पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो
    कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
    ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो………………………………………………मन के भावो का बहुत भावपूर्ण चित्रण्।

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  19. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  21. aapki ye rachna padhke, ek gana yaad aa raha hai... "ye jeevan hai, is jeevan ka yahi hai, yahi hai, yahi hai ran-roop..."

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  22. सुन्दर भाव लिए हुए खुबसूरत पंक्तियाँ ..

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  23. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
    सादर बधाई...

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  24. ek ek pankti jeewan ke anubhav aur dhoop-chhav ko darsha rahi hai.

    sunder shabd shaili ne is abhivyakti ko anmol sunderta pradan ki hai.

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  25. कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
    ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
    बहुत सुन्दर पंक्तियों का संयोजन
    शुभकामनाएं!

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  26. जीवन सागर के इन लहरों में
    उफान भरा, तूफा़न भरा था
    थक कर खामोश हुए अब
    इस खामोशी को सुनने दो

    एक एक पंक्ति जीवनानुभवों को गहरे से व्यक्त कर रही है ...आभार इस सुन्दर रचना के लिए

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  27. भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
    बधाई.

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  28. बहुत ही भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

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  29. पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो

    जग की यही रीत है, उसका निर्मोही होना ही सही है।
    अच्छी कविता।

    ReplyDelete
  30. वाह, बहुत सुंदर रचना
    क्या कहने

    पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो

    बहुत खूब

    ReplyDelete
  31. कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
    ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो.

    बहुत खूबसूरत रचना. संवेदनशील और मार्मिक.

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  32. मुट्ठी में भरी रेत सी
    फिसल रही अब जिन्दगी
    क्या खोया क्या पाया मैंने
    आज इसे बस रहने दो ...
    सटीक लिखा है आपने! दिल को छू गई ये पंक्तियाँ!
    बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना ! बधाई!

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  33. .

    कुछ साँस बची है जीने को,जी भर मुझ को जीने दो
    ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने दो
    पत्थर के निर्मोही जग में
    प्यार का अहसास नहीं है
    पल-पल पीया है आँसू मैंने
    आज इसे तुम बहने दो
    कुछ साँस बची है जीने को ,जी भर मुझ को जीने दो
    ह्रदय तार के स्पंदन को ,आज मुझे तुम सुनने ....

    Awesome !

    Very nice creation .

    .

    ReplyDelete
  34. बहुत सुंदर भाव ....

    मुट्ठी में भरी रेत सी
    फिसल रही अब जिन्दगी
    क्या खोया क्या पाया मैंने
    आज इसे बस रहने दो

    बस जब से जागरण हो जाये उसी समय से जीवन बदल जाता है.

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  35. टूटे बिखरे सपनों को मैं
    सहेज रही थी जीवन भर
    आशा की इस बगिया में
    दो बूँद बारिश का गिरने दो.very nice.

    ReplyDelete