गीत
वक्त के पन्नों में, मैं गीत लिख
रही हूँ
जो दर्द तुमनें दिए
वही
बिन रही हूँ…..
धड़कन में
मेरी यादें सुबक रही हैं
उन यादों को मैं ,आज लौटा रही
हूँ
वक्त के पन्नों में ,मैं गीत
लिख रही हूँ
मौसमों की तरह तुम भी बदल गए हो
देखा न मुड़के कभी ,मैं वही की
वही हूँ
वक्त के
पन्नों में ,मै
गीत लिख रही
हूँ
दो कदम ही चले
थे, फिर खो गए तुम
राह सूनी मगर ,मैं तो चल रही
हूँ
वक्त के पन्नों में , मैं
गीत लिख रही हूँ
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महेश्वरी कनेरी