गज़ल
बादलों का धूप पर
आज पहरा
हुआ
है
उदासी
का
सबब
और
गहरा
हुआ
है
वक्त से
कह
दो ज़्ररा
ठहर जाए
यही पर
मौसम यहाँ
खुशनुमा
हुआ है
अज़ब दुनिया का ये बाजार
सजा है
हर
रिश्ता
यहाँ
बिका
हुआ है
रात की स्याही से लिखी थी दर्दे-दास्तां
निशां जख्मों का और गहरा हुआ
है
हालात देश की मत पूछो तो अच्छा
है
इंसान यहाँ इंसान से डरा हुआ
है
देख खुशनुमा ये मंज़र हैरान
हूँ नैं
एक फूल से सारा चमन महका हुआ
है
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महेश्वरी कनेरी
गजल लिखने का ये मेरा पहला प्रयास है .. हो सकता है बहुत कमियाँ होंगी क्यों कि मुझे अभी शेर क़ो “बहर” में बाँधना नही आता सीख रही हूँ.
धन्यवाद
बहुत सुंदर ग़ज़ल...!!!
ReplyDeleteसब लाइने एक से बढ़ के एक अच्छा .... बहुत बहुत बधाई ...!
बहुत खूबसूरत गजल महेश्वरी जी ,खूबसूरत कोशिश की है आपने....बहुत खूब.....
ReplyDeletebahut achcha likhin......
ReplyDeleteबहुत अच्छे एहसास हैं दी.....लिखते रहे....बहर में आयेगी खुद-ब-खुद...
ReplyDeleteसादर
अनु
वाह बहुत अच्छी है !
ReplyDeleteहालात देश की मत पूछो तो अच्छा है
ReplyDeleteइंसान यहाँ इंसान से डरा हुआ है
...बहुत उम्दा अहसास...बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर भाव आदरणीया
ReplyDeleteदेख खुशनुमा ये मंज़र हैरान हूँ नैं
ReplyDeleteएक फूल से सारा चमन महका हुआ है
बहुत सुंदर अहसासों से सजी गजल...
हालात देश की मत पूछो तो अच्छा है
ReplyDeleteइंसान यहाँ इंसान से डरा हुआ है
प्रभावी ...... प्रासंगिक भाव ..
सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ ..एक बार यहाँ भी आयें और अवलोकन करें, धन्यवाद।
अज़ब दुनिया का ये बाजार सजा है
ReplyDeleteहर रिश्ता यहाँ बिका हुआ है
sabhi sher bdhiya lge ....bhar vhar ko chodiye yun hi likhte rahiye .....
हर एक शेर उम्दा और लाजवाब
ReplyDeleteसादर !
behtreen gazal...
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDeleteहालात देश की मत पूछो तो अच्छा है
ReplyDeleteइंसान यहाँ इंसान से डरा हुआ है ...
बहुत ही लाजवाब शेर ... आज के हालात का सही जायजा लिया है ...
लाजबाब,बेहतरीन गजल ...! प्रयास के बधाई ,,,,महेश्वरी जी ....
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं .....मुझे तो कुछ भी नही आता ,,जो दिल में आता है वो लिख देता हूँ ....
ReplyDeleteमुबारक हो ....शुभकामनायें भविष्य के लिए !
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteअज़ब दुनिया का ये बाजार सजा है
ReplyDeleteहर रिश्ता यहाँ बिका हुआ है
bahut achhe bhaav liye achi rachna
shubhkamnayen
nc
ReplyDeleteदेख खुशनुमा ये मंज़र हैरान हूँ नैं
ReplyDeleteएक फूल से सारा चमन महका हुआ है
bahut khoob
badhai
rachana
रोचक पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रंण है। धन्यवाद।
ReplyDeleteअज़ब दुनिया का ये बाजार सजा है
ReplyDeleteहर रिश्ता यहाँ बिका हुआ है
waaah ! bahut khuub !!
ghazal bahut umdaa hai.
bahut sunder......
ReplyDeleteबढ़िया प्रयास , उम्मीद है अगली और बढ़िया होगी !! मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeletevery well written dadiji.. :)
ReplyDeleteहालात देश की मत पूछो तो अच्छा है
ReplyDeleteइंसान यहाँ इंसान से डरा हुआ है ...
....................बहुत ही लाजवाब शेर