अहसास
माँ
ह्रदय में वात्सल्य का सागर
होठों में दुलार की
मुस्कान
आँखों में ममता के
आँसू
यही तो है माँ
की पहचान
रंग
रंगों का संसार निराला
है
हर रंग में खुद
को ढ़ाला है
कुछ रंग से खुशी
चुराई
कुछ रंग में दर्द
को पाला है
धुँआ
कहीं कोई चिंगारी नहीं
हर सांस पर जुल्म
का पहरा
सब तरफ धूँआ ही
धुँआ
जितना उभरते उतना ही
गहरा
बागवान
मन के धरातल में
जब भी हसरतों के
फूल खिलते हैं
अपना ही बागवान नोंच
कर बिखेर देता
है
जुल्म
हादसों की इस ज़मीन
पर
हर रोज़ जुल्म उगा
करते हैं
जुल्म के इन पौधे
से
दर्द और आँसू ही बहा
करते हैं
जलती लौ
पिघलते मोम की जलती लौ हूँ
कब पिघल कर ढल जाऊँ
जब तक सांस है तन पर
तब तक जलती ही जाऊँ
***************
महेश्वरी कनेरी
.
बेहतरीन शब्द संयोजन .... हर रचना में गहरा अहसास
ReplyDeletebhaut hi gahre bhaavo ki rachna,,
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteहर क्षणिका मन को छूती हुई...
लाजवाब!!
सादर
अनु
हर रोज़ जुल्म उगा करते हैं
ReplyDeleteजुल्म के इन पौधे से
दर्द और आँसू ही बहा करते हैं
......क्षणिका मन को छूती हुई.
बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
सभी लाजवाब क्षणिकाएं, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 24/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
आभार.आप का..
Deleteजलती लौ रोशन करे, कई हृदय आगार |
ReplyDeleteधुँवा छुपाये बाँटती, माँ ही सच्चा प्यार |
माँ ही सच्चा प्यार, बागवानी में माहिर |
हरदम सींच सँवार, करे ना लेकिन जाहिर |
बढ़े जगत में जुल्म, यहाँ होती ना गलती |
दुष्ट मना की मित्र , चिता निश्चय ही जलती ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
ReplyDeleteआभार.आप का
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति है
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
बहुत ही बढ़िया आंटी !
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति, बहुत शुभकामनाये
ReplyDeleteप्राण जब तक, प्रण रहेगा,
ReplyDeleteसाथ मन चलता रहेगा।
बेहद खूबसूरत क्षणिकाएँ
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द संयोजन......
ReplyDeleteबहुत अच्छी अभिव्यक्ति !!
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (24-07-2013) को में” “चर्चा मंच-अंकः1316” (गौशाला में लीद) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी ..
Deleteबहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteमुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
"आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
गहन भाव युक्त सुन्दर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकाएं
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं है !
latest दिल के टुकड़े
latest post क्या अर्पण करूँ !
बहुत ही सुंदर गहन भाव अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएं बहुत अच्छी हैं .... बधाई..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास ...
ReplyDeleteदिल को छूते हुए ...
बहुत सुंदर क्षणिंकाऎं !
ReplyDeletevery impressive
ReplyDeleteहादसों की इस ज़मीन पर
ReplyDeleteहर रोज़ जुल्म उगा करते हैं
जुल्म के इन पौधे से
दर्द और आँसू ही बहा करते हैं
माँ, रंग, धुंआ, बागबान, जुल्म और जलती लौ
निःशब्द करती बेहतरीन *********
'कुछ रंग से खुशी चुराई
ReplyDeleteकुछ रंग में दर्द को पाला है'
इसी तरह चलता है जीवन!
क्षणिकाओं में पिरोये सभी एहसास पहुँच रहे हैं हमतक!
बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं...
ReplyDeleteकिसी कवि की रचना देखूं !
ReplyDeleteदर्द उभरता , दिखता है !
प्यार, नेह दुर्लभ से लगते ,
क्लेश हर जगह मिलता है !
क्या शिक्षा विद्वानों को दूं ,टिप्पणियों में, रोते गीत !
निज रचनाएं ,दर्पण मन का, दर्द समझते मेरे गीत !