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Tuesday 18 September 2012

जीने के लिए कुछ ………



कलम से मैंने अपनी
 दर्द के सारे बंधन तोड़ दिए
देखो ! ये सैलाब बन बहने लगा है
अब देखना है.
.कितने बह कर निकल जाते हैं
और कितने किनारे लग कर रुक जाते हैं
जो रुक जाते हैं,वो मेरे अपने हैं
अपनों से मिला हुआ
इसी लिए वो रुक जाते है ..शायद
अब, उन्हें फिर से संभाल कर रखना होगा
क्यों कि जीने के लिए कुछ दर्द तो चाहिए ही न…
 *******************
महेश्वरी कनेरी

32 comments:

  1. जीने के दर्द की दरकार ????
    शायद हां...
    एक गाना याद आया..
    क्या ख़ाक मज़ा था जीने में..जब दर्द नहीं था सीने में...

    बहुत प्यारी रचना है दी...
    सादर
    अनु

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  2. ओह , जो दर्द रुक जाये वो अपना ... बहुत खूबसूरती से उकेरा दर्द के भाव को

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  3. अपने अपने हिस्से के आसमान, बादल और आँसू।

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  4. सच कहा आपने, जीने के लिये कुछ दर्द भी जरूरी है.

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  5. दर्द नहीं तो जीने में मजा क्या ???
    सुन्दर रचना..
    :-)

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  6. बहुत बढ़िया रचना |
    शुभकामनायें दीदी ||

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  7. बहुत सुन्दर रचना.

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  8. मेरी ओर से आपको एवं आपके परिवार के सदस्यों को श्री गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सब को शुभ कामनाएं और प्रार्थना करता हूँ कि गणपति सब के मनोरथ सिद्ध करें एवं सबको बुद्धि, विद्या ओर बल प्रदान कर आप की चिंताएं दूर करें.....आप सबका सवाई सिंह आगरा
    `*•.¸¸.•*´¨`*•.¸¸.•*´
    ॐ गं गं गं गणपतये नमः !
    गणेश चतुर्थी मंगलमय हो !
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  9. दर्द न हो तो जीना बेमानी है ...ख़ुशी की अनुभूति दर्द से जुड़ी होती है.दर्द न हो तो भगवान् विस्मृत हो जाएँ और बिना भगवान् !!!

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  10. दर्द समय - समय पर सबकी खोज़ खबर लेता रहता है ... इसका होना बहुत जरूरी है जिंदगी में ...
    बहुत ही अच्‍छी अभिव्‍यक्ति
    आभार

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  11. यही तो जीने की धरोहर हैं।

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  12. दर्द साथ कहना जरूरी अहि ... क्योंकि ये अक्सर दवा भी बन जाता है ... जीने का बहाना भी तो जरूरी है ...

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  13. जिंदगी जीने के लिये,कुछ तो दर्द चाहिए ,,,,,आपने सच कहा,,,

    RECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का

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  14. बहुत ही बढ़िया आंटी!


    सादर

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  15. अब, उन्हें फिर से संभाल कर रखना होगा
    क्यों कि जीने के लिए कुछ दर्द तो चाहिए ही न…

    सही कहा आपने जीने के लिए गम या दर्द या कह दें सुकून के लिए कुछ न कुछ तो चाहिए

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  16. जीने के लिए दर्द ! दर्द न हुआ खुशी हो गयी...गहरा व्यंग्य...

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  17. जीने के लिए कुछ दर्द तो चाहिए ही न…
    दर्द दवा बन गया , अच्छा व्यंग . मेरे ब्लॉग 'अनुभूति " नया पोस्ट आपके इन्तेजार में हैं.

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  18. दर्द न भी संभाला तो खुद ब खुद आ जाएंगे...खुशी से उसकी दुश्मनी जो हैः)
    बेहतरीन रचना !!

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  19. जो रुक जाते हैं,वो मेरे अपने हैं
    अपनों से मिला हुआ
    इसी लिए वो रुक जाते है ..शायद
    अब, उन्हें फिर से संभाल कर रखना होगा
    क्यों कि जीने के लिए कुछ दर्द तो चाहिए ही न…

    सच कहा आपने

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  20. जीने के लिए कुछ दर्द तो चाहिए ही न…
    सुन्दर विचार. आप काव्यात्मक शैली में जो भी लिखती है, कविता बन जाती है. आभार!!

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  21. दर्द इस जीवन का अटूट हिस्सा है ...

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  22. अपनापन के मायनों को तलाशती बहुत गहन पंक्तियाँ..
    सादर
    मधुरेश

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  23. दर्द ही कभी जीवन बन जाता है...बहुत सुन्दर रचना

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  24. bilkul sahi kaha..jeene ke liye kuchh dard bhi jaroori hai

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  25. दर्द भी जरुरी है जीने के लिए, जीवन को समझने के लिए
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  26. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  27. कभी दर्द भी सही मुकाम तक पहुचाने में मददगार होता है.

    सुंदर प्रस्तुति.

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  28. दर्द के रिश्ते ही तो जीवन को सरल बना देते हैं महेश्वरी जी
    इस सुंदर कविता के लिए बधाई -अदितिपूनम


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