मन में उठने वाले हर भाव हर अह्सास को शब्दों में बाँध, उन्हें सार्थक अर्थों में पिरोकर एक नया आयाम देना चाह्ती हूँ । भावनाओ के इस सफर में मुझे कदम-कदम पर सहयोगी मित्रों की आवश्यकता होगी.. आपके हर सुझाव मेरा मार्ग दर्शन करेंगे...
मैंने अपने ब्लांगर भाई बहनों के ब्लांग में ‘हाइगा, हाइकु’ जैसे नए प्रयोगों को देखा , मुझे बहुत अच्छा लगा । उन्हीं से प्रेरित हो कर मैंने भी एक छोटी सी कोशिश की है उम्मीद है आप पसंद करेंगे।
ओह..
ReplyDeleteअब लिखना क्या
सब कुछ तो कह दिया आपने
वाह ... बहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर महेश्वरी जी...
ReplyDeleteआपके नन्ही नन्ही रचनाएँ इन चित्रों के साथ तो और भी असरदार मालुम होती हैं...
आपकी कोशिश नाकाम कैसे होती भला :-)
सादर
अनु
chitron ke sath aapne nyaay kiya hai unhi ke anuroop yeh prayaas sarahniye.
ReplyDeleteभाव चित्र वैचित्र्य हैं, अब्धिसार से शब्द ।
ReplyDeleteआम खास पर एक सा, बरसे पावन अब्द ।।
सारे एक-से-एक! बहुत ही सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
हर बोलती तस्वीर कुछ ख़ास है
ReplyDeleteजी हाँ इन नन्ही नन्ही कविताओं के साथ तस्वीरें भी बोल रही हैं यहाँ ... सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आभार आपका
ReplyDeleteहर तस्वीर बोलती सी प्रतीत होती है ..........
ReplyDeletekuch tasvire bolti hai kuch shabd bolte hai --------bahut sundar prastuti
ReplyDeleteइन तस्वीरों ने आपके शब्दों को और सार्थक बना दिया...सराहनीय प्रयास|
ReplyDeleteतस्वीरें भावाभिव्यक्ति को जीवंत कर देती हैं. बहुत सुंदर.
ReplyDeleteहां जी, ये सारी तस्वीरें बहुत कुछ बोलती हैं, और आपने जो बोल लगाए हैं तस्वीरों पर सीधे दिल पर असर करते हैं।
ReplyDeleteतस्वीरें भी बोलती हैं,
ReplyDeleteराज दिल के खोलती हैं,
कुछ तो रहती शांत तट सी,
कुछ लहर सी डोलती हैं.
मनभावन प्रयोगवाद, बधाई.............
सच में हर तस्वीर कुछ बोलती है..सुंदर प्रयोग
ReplyDeleteतस्वीरें और काव्य रचनाएं सभी मनभावन
ReplyDeletebahut sundar her tasvir me ek dard bhari kahani hai
ReplyDeleteबहुत खूब आंटी!....बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteसादर
लाजवाब पोस्ट, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रयोग है पर सन्देश मर्मघाती..
ReplyDeleteसन्देश और चित्र दोनों ही बहुत मर्मस्पर्शी और एक दूसरे के पूरक..बहुत सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeletehttp://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
कल 28/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... मधुर- मधुर मेरे दीपक जल ...
फिर वो ही शाम ,तनहा कुछ-कुछ उदास ,
ReplyDeleteरोज़ कुछ न कुछ खोने का एहसास .
हम मंजिल के मोड़ पे आके .
रुके से हैं ,
मत समझना हम थके हुए से हैं .
सम्पूर्ण बिम्ब हैं /मन के कुन्हासे ही नहीं इरादे भी हैं पक्के .......
बस कुछ लोगों को और साथ ले लें ,फिर चलतें हैं .
एहसासे ज़िन्दगी ही क्या हाइकु है सचित्र .
सफल प्रयास, स्पष्ट संदेश।
ReplyDelete....टिपण्णी क्या ? सब कुछ तो साथियों ने लिख दिया, बस मै उन्ही सबका समर्थन करता हूँ. आभार !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रों के साथ बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं!
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक लिखा है ... चित्र के साथ हूबहू बहता हुवा ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
वाह ...बहुत सुंदर .... बहुत संवेदनशील रचनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...कई हाइकु के प्रयोग देखे थे ...लेकिन अब तक कोई गले नहीं उतरा था ...पहली बार समझ में आया ...छू गया ...बहुत ही सुन्दर और सफल प्रयास !!!
ReplyDeleteदीदी ये बात अच्छी लगी वरना हाइकु तो एकदम समझ में नहीं आता मुझे ...तस्वीरें तो वैसे ही बोलती हैं आपने उन्हें और जुबान दे दी !!
ReplyDeletesamvedansheel haen sabhi tasveeren .aabhar,in tak pahuchane ke liye.
ReplyDeleteसचमुच बोलती हैं तस्वीरें....
ReplyDeleteसादर।
मैं अपने सभी मित्र जनो का आभार प्रकट करती हूँ.जिन्होने समय-समय पर मुझे हौसला दिया..
ReplyDeleteबेहद सटीक और खूबसूरती से लिखा गया हर शब्द ...
ReplyDeleteहाइगा-से अर्थपूर्ण और चित्रमय क्षणिकाएं. सभी बहुत अच्छी लगी, सफल प्रयोग, बधाई.
ReplyDeleteचित्रमय क्षणिकाएं
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...