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Tuesday 2 July 2013

त्रासदी की वो रात…

केदारनाथ

त्रासदी की वो रात

भयानक खौफनाक मंज़र

विनाश का अद्भूद सैलाब

देखते ही देखते सब तबाह होगया

क्रूर काल के हाथों सब स्वाह होगया

चीखते चिल्लाते हजारों जिन्दगी जलमग्न हुई

ले डूबा हजारों ख्वाहिशें, हजारों ख्वाब

गाँव के गाँव बह गए

दुकान, मकान,घर,बस्तियाँ

सब मलवे का ढेर बन कर रह गए

दम तोड़ गई कितनी की चाहते,

कितनों के सपने….

जहाँ चारों पहर भक्तों की भीड़,

मुखरित होता शंख नाद ,

घंटियों की टनटनाहट

जय-जयकार का मधुर स्वर गूँजता

आज वहाँ मातम ही मातम

अब तो उम्मीद भी लाशों की ढेर पर बैठी

आँसू बहा रही है..

किसकी नज़र लग गई ,

मेरे उत्तराखंड़ को

जो खण्ड-खण्ड हो गया

डरे हुए हर मन के भीतर

आज कई अनबुझ से प्रश्न

उलझ कर रह गए..

ऐसा क्यों हुआ..?????


****************

महेश्वरी कनेरी

26 comments:

  1. Replies
    1. बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
      आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
      सादर...!
      शशि पुरवार

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    2. आभार शशि जी..

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  2. इसलिए हुआ क्योंकि प्रकृति खुद से छेड़ छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकती। यह सब हम इन्सानों के किये का ही फल है।


    सादर

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  3. बढिया प्रस्तुति
    प्रकृति का प्रकोप


    जल समाधि दे दो ऐसे मुख्यमंत्री को
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372774138029#c7426725659784374865

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  4. इस प्रकृति की त्रासदी के शिकार मेरे पड़ोसी रामकृष्ण गुप्ता और उसके बहन बहनोई हो गए,,,

    RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.

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  5. सार्थक और सुंदर अनुभूति
    सादर

    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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  6. प्रलय का सजीव चित्रण कर दिया है .... यही प्रश्न सबके मन में बार बार उठ रहा है ।

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  7. त्रासदी की वो रात... भयानक मंजर.. ऐसा क्यों .

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  8. इंसान जब तक प्रकृति से सीख नहीं लेता तब तक यह त्तासदी होती रहेगी
    latest post मेरी माँ ने कहा !
    latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )

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  9. किसको मालूम था,उस रात उफनती, वह
    नदीं, देखते देखते ऊपर से, गुज़र जायेगी !

    कैसे मिल पाएंगे ?जो लोग,खो गए घर से,
    मां को,समझाने में ही,उम्र गुज़र जायेंगी !

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  10. मार्मिक
    सटीक भाव शुद्ध प्रवाह
    सुन्दर प्रस्तुति-
    आपका आभार आदरणीया -

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    Replies

    1. आभार आपका-
      नियमित होने की कोशिश चल रही है-
      सादर

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  11. वाह.सुन्दर.बहुत बहुत बधाई...

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  12. बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति....

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  13. इस क्यों का उत्तर कोई नहीं जानता..एक रहस्य है यह सृष्टि..

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  14. ऐसा क्यों हुआ ... इसका उतर इन्सान के पास ही है ...
    अपनी भूख पे काबू रखना होगा उसे ...

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  15. इस क्यों का कोई क्या जवाब दे :-(

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  16. मार्मिक वर्णन
    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_3.html

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/06/blog-post_21.html

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  17. किसकी नज़र लग गई ,

    मेरे उत्तराखंड़ को

    जो खण्ड-खण्ड हो गया

    डरे हुए हर मन के भीतर

    आज कई अनबुझ से प्रश्न

    उलझ कर रह गए..

    ऐसा क्यों हुआ..?????

    किसकी नज़र लग गई ,

    मेरे उत्तराखंड़ को

    जो खण्ड-खण्ड हो गया

    डरे हुए हर मन के भीतर

    आज कई अनबुझ से प्रश्न

    उलझ कर रह गए..

    ऐसा क्यों हुआ..?????
    कुछ अपना किया धरा कुछ मालिक की मेहरबानी

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  18. उचित सवाल. अगर यह बात सच है की पूर्व सूचना थी और कुछ किया जा सकता था तो ये बहुत ही दुखद है.

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  19. प्रकर्ति की इस त्रासदी का जवाब शायद किसी के पास नहीं....

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  20. प्रलय का सजीव चित्रण कर दिया है आपने ....पर ऐसा क्यों हुआ..? सवाल बना हुआ है अभी

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  21. deforestation and dams are the cause.

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  22. प्रकृति के साथ किये गये छेडछाड़ पर पर्दा डाले हुए है आपका ये "क्यों".
    मानता हूँ कि मार्मिक रहा है पर सच्चाई यही है।

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