abhivainjana


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Saturday 24 September 2016

माँ तू बोली थी न


माँ तू बोली थी न
जब बाबा तेरे आएंगे
ढेर खिलौने लाएंगे
पर वो तो खाली हाथ लिए 
तिरंगा ओढे सोए हुए हैं
माँ ! क्या हुआ है बाबा को
क्यों बाहर इतनी भीड़ लगी हैं
जय जय सब क्यों बोल रहे है
अंदर दादी रोए रही है
तू काहे बेहोश पडी है
उठ ये तो बतला दे माँ
क्या हुआ है बाबा को
तू बोली थी
जब बाबा तेरे आएंगे
बैठा कांधे पर तुझको
 सारा गाँव घुमाएंगे
पर वो खुद ही बैठ
 कांधे  किसी के आए हैं
 सजे हुए है फूलो से
 यूँ ही खामोश पडे है
उठ ये तो बतला दे माँ
क्या हुआ है बाबा को
 क्यों चाची माथा तेरा पोछ रही है
रोते रोते चूड़ी तेरी तोड़ रही है
क्यों नहीं कुछ कहती हो माँ
क्यों यूँ चुप चाप पडी हो ?
 देखकर माँ की इस हालत को
 हताश हो गया था अब मुन्ना
भरकर आँखो में आँसू
 धम से बैठ गया वही पर  
 कौन पोछे अब आँसू  उसके ?
कौन दे उत्तर उन प्रश्नों के ?
तभी देख नानी ने उसको
 झट गोदी में उठा लिया
  सहलाकर बालो को उसके
बोली मेरा मुन्ना मेरा राजा
रोना नहीं तू हिम्मत रख
बहादुर बाप का बहादुर बेटा है तू
सुन बाबा तेरे मरे नही है, शहिद हुआ है
जान लुटा दी देश के खातिर उसने
आज नत मस्तक सारा देश हुआ है
सुनकर मुन्ना गोदी से उतरा
भर कर आँखों में आँसू
 निकट बाबा के जा बैठा
दो नन्हें हाथों को जोड़े
 मन ही मन कुछ वो बोला
समझ न सका कोई कुछ भी
 बस झर झर आँसू बह रहे थे सब के
 अब न थी कोई शिकायत
 न कोई प्रश्न न उत्तर   
 क्षणभर मे ही वो नन्हा बालक
 बडा हो गया था शायद
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महेश्वरी कनेरी