abhivainjana


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Thursday 27 March 2014

गीत

 गीत 

वक्त के पन्नों में, मैं गीत लिख रही हूँ

जो दर्द तुमनें दिए वही बिन रही हूँ…..

धड़कन में मेरी यादें सुबक रही हैं

उन यादों को मैं ,आज लौटा रही हूँ

वक्त के पन्नों में ,मैं गीत लिख रही हूँ

मौसमों की तरह तुम भी बदल गए हो

देखा न मुड़के कभी ,मैं वही की वही हूँ

वक्त के पन्नों में ,मै गीत लिख रही हूँ

दो कदम ही चले थे, फिर खो गए तुम

राह सूनी मगर ,मैं तो चल रही हूँ

वक्त के पन्नों में , मैं गीत लिख रही हूँ


   ***********

महेश्वरी कनेरी

Monday 17 March 2014


   रंग
रंगों का संसार  निराला है
हर रंग में  खुद को ढ़ाला है
कुछ रंग से खुशी चुराई मैंने
तो कुछ रंग से दर्द को पाला है
            *********           
    आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
महेश्वरी कनेरी