abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Monday 27 August 2012

वक्त की हेरा फेरी



वक्त की हेरा फेरी

कहने के लिए तो सफर में बहुत मिले
कुछ अपने ,कुछ पराए
न शिकवे थे न शिकायत
फिर भी..
जब होश आया
तब देखा..
कब अपने पराए हुए
और पराए कब अपने
वक्त की ये कैसी हेरा फेरी है
*********

तन्हाई
जब भी मन को टटोला
एक सूना पन बाहर आया
 और ये कह कर मुस्काया
जिन्दगी पहुँच चुकी है
उस मुकाम पर जहाँ तन्हाई
तन्हाई सिर्फ तन्हाई
**************

क्यों
हँसते-हँसते क्यों आँसू निकल आते है..?
और चलते-चलते क्यों साए भी छॊड़ जाते है ?
**********

जिन्दगी की चाक

जिन्दगी की चाक पर
हम तो सब को अपना बनाते चले थे
लेकिन व्यवहार की भट्टी पर आते ही
सब फटने फूटने और बिखरने लगे..
***************
महेश्वरी कनेरी

Monday 20 August 2012

हमारे बुजुर्ग..

हमारे बुजुर्ग..


हर बढ़ते कदम
उम्र की उस चौखट तक
पहुँचा देते हैं
जहाँ से लौट नही सकते
बस रह जाती हैं यादें,
और अनुभवों की एक भारी सी गठरी
बहुत कुछ कहने का मन करता है
पर सुनने वाला कोई नहीं
नितांत अकेला खालीपन लिये
सफर बोझिल सा लगता है
पर जीने की चाह नहीं मिटती
निढ़ाल शरीर, लड़खड़ाते कदम
आँखों में अपनों की चाहत लिए
आशीष लुटाते,
हमारे बुजुर्ग..
जिन्हें बेकार और बोझ समझ
किसी कोने में रख,भुला दिया जाता है
क्या सच हैं..?
 बुढ़ापा ! एक बोझ है..
परिवार के लिए..
एक अवरोधक
इस प्रगतिशील समाज के लिए ..
सोचो !..सोचो जरा..
मनन करो
कुछ विचारो
क्यों कि..
 कल हमें भी
उसी चौखट से गुजरना है
***********
महेश्वरी कनेरी..

Wednesday 15 August 2012

सच्ची आजा़दी के लिए..



पैंसठवे स्वतंत्रता दिवस
और ..तेरे आँखों में आँसू..?
याद कर …माँ
इसे पाने के लिए
कितने खून बहे
कितनी कोख उजड़ी
कितनों की माँग सूनी हुई
तब जाके ये आजादी मिली
उस वक्त तेरी आँखों में
आँसू नहीं,अंगारे थे
एक जुनून था
अपने घर को बचाने का
अपने बच्चों को आजा़दी दिलवाने का
तू लहूलुहान होती रही
और लड़ती रही
अंत मे जीत हमारी हुई
 और हम स्वतंत्र हो गए
आज पौंसठ वर्ष पूरे हो गए हैं
खुशियां मना ,ये उदासी ठीक नहीं
मुझे मालूम है..
तेरी उदास आँखे बता रही है
तेरा मन अंदर ही अंदर रो रहा है
और चीख- चीख कर कह रहा है
“मैंने ऐसी आजा़दी तो नहीं चाही थी
जिसमें भाई भाई के खून का प्यासा हो
धर्म और जाति के नाम पर दीवार खड़ी हो
सब तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार
अपने अपनों को नोच कर खाने को तैयार  “
सच है..ये सब सच है.. माँ !
पर उदास होने से क्या होगा ?
माना कि तेरे कुछ बच्चे रास्ता भटक गए हैं
पर ,उन्हें अब सही रास्ते पर लाना होगा
अगर इस दर्द से आजाद होना है तो आओ
एक और जंग की तैयारी करें
पहले अपनों के लिए लड़े थे
आज अपनों से लड़ना होगा…
अपनों के लिए अपने देश के लिए
और सच्ची आजा़दी के लिए..
फिर से लड़ना होगा…
*****************

स्वतंत्रता दिवस की सभी मित्रों को हार्दिक शुभ कामनाएँ!

महेश्वरी कनेरी

Saturday 11 August 2012

मैं फिर आऊँगा…



प्रस्तुत पंक्तियाँ उन स्त्रियों को समर्पित है जिनके पति उन्हें अकेला छोड़ इस दुनिया से कहीं दूर चले जाते हैं… और दे जाते है  एक दर्द और अकेलापन । अपनी रोती बिलखती सहचरी का ये दर्द उससे देखा नहीं जाता और जाते जाते अपने मूक होठॊं से ये संदेशा देता जाता हैं…….और .यही संदेशा उसकी प्रियसी  की ताकत और हिम्मत बन जाती है..जीने के लिए और क्या चाहिए….?
मैं फिर आऊँगा…
मत होना उदास प्रिये तुम
मैं फिर आऊँगा…
कभी भोर की किरणें बन
कभी साँझ की लाली बन
आँगन में तेरे बस जाऊँगा
मैं फिर आऊँगा…..
जो पल हमने साथ गुजारे
याद कर उनको मत रोना
कभी सावन का मेघ बन
कभी जलधार बन
 आँगन में तेरे बरस जाऊँगा
मैं फिर आऊँगा……
ठंडी हवा का झोंका
जब तुम को छू कर निकले
उसे मेरा अहसास समझना
कभी ओस की बूँद बन
कभी फूलों की खुशबू बन
 आँगन में तेरे खिल जाऊँगा
मैं फिर आऊँगा…
वक्त के रुपहले सायों को देख
तुम मत घबराना
कभी सबल शक्ति बन
कभी आस विश्वास बन
मैं तुम्हारे ही साथ रहूँगा
मैं फिर आऊँगा….
अकेली समझना न खुद को कभी
हर मोड़ पर मुझको पाओगी
कभी वृक्षो की छाह बन
कभी तुम्हारा साया बन
जीवन पथ पर साथ चलूँगा
मैं फिर आऊँगा….
मत होना उदास प्रिये तुम
मैं फिर आऊँगा
मैं फिर आऊँगा
**************
महेश्वरी कनेरी

Monday 6 August 2012

पता न था वक्त ऐसे बदल जाएगा




एक आग सी जलती थी मुझ में
आज राख का एक ढ़ेर हूँ मैं
मत छेड़ना इसे तुम
वरना सब कुछ बिखर जाएगा
पता न था वक्त ऐसे बदल जाएगा

अलमस्त सा उड़ता था गगन में
आज पंखहीन सा लाचार हूँ मैं
मत पूछना कुछ मुझे तुम
वरना दर्द फिर जाग जाएगा
पता न था वक्त ऐसे बदल जाएगा

एक खुशनुमा इमारत था कभी मैं
आज खंडहर बन गया हूँ मैं
मत छूना इसे कभी तुम
वरना गिरकर ढह जाएगा
पता न था वक्त ऐसे बदल जाएगा

वक्त का कफ़न ओढ़े
मौत से लड़ रहा हूँ मै
रोकना मत मुझे तुम
वरना मौत फिर जीत जाएगा
पता न था वक्त ऐसे बदल जाएगा
*******************
महेश्वरी कनेरी