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Monday 30 September 2013

एक सुखद यादगार

लोकार्पण 
                एक सुखद यादगार

जिन्दगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जो एक सुखद यादगार बन अकसर मन को गुदगुदाने लगते हैं ऐसा ही सुखद पल २२ सितम्बर को मेरे जीवन में भी आया ,जब मैंने अपनी पुस्तकसरस अनुभूतिका लोकार्पण किया था। मेरे अनुभव की किताब में एक और पन्ना जुड़ रहा था, ये बात खुशी की है,मैं जानती थी ,पर ये नही जानती थी कि ये पल मुझे इतना आत्म विभोर कर जाएगा कि जिसे मैं कभी भूला नहीं पाऊँगी
    सभागार में उपस्थित सभी मित्रबंधु शुभचिन्तक, नए पुराने साथियों को देख मेरा मन गद्गद हो उठा पुराने साथियों में मेरे तीस पैतीस साल पुराने साथी भी सम्मिलित थे ।सबसे सुखद आश्चर्य तो तब हुआ जब कार्य क्रम के अंत में किसी ने मुझ से आकर कहाबहुत बहुत बधाई महेश्वरी जीमै  उन तीन विभूतियों को देखती रही चेहरा तो कुछ जाना पहचाना लगा पर समझ नहीं पारही थी ।उन्होंने फिर कहाआभासी दुनिया के मित्र बस मैं समझ गई.. राजेश कुमारी जी, नूतन गैरोला जी और कल्पना.जी.जिनसे मैं पहली बार मिल रही थी। वो पल मेरे लिए कितना सुखद आश्चर्य से भरा हुआ था कि मैं शब्दों में बया ही नहीं कर सकती, सिर्फ महसूस ही कर सकती हूँ

 राजेश कुमारी जीनूतन गैरोला जी कल्पना.जी.


कार्य क्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ जिसे मेरी बेटी स्वाति ने प्रस्तुत किया तद्पश्चात गणेश स्तुति मेरी पोती काशवी ने नृत्य द्वारा प्रस्तुत किया । पुस्तक के लोकार्पण के बाद मेरी ही पुस्तक से एक कविता “कुछ सांस बची है जीने को आज मुझे जी भर जीने दो “को स्वरवद्ध कर स्वाति ने गाकर प्रस्तुत किया ।

 पोती काशवी 
बेटी स्वाति

    ईश्वर की अनुकंपा और सभी साथियों के सहयोग से मेरी पुस्तक सरस अनुभूतिका लोकार्पण बहुत ही गरिमा पूर्वक संपन्न हुआ।.मेरा ये मानना है कि.मेरी पुस्तक सरस अनुभूतिका जन्म स्थल ब्लांग जगत ही है जहाँ पल पल मेरी भावनाओ को नया अहसास मिलता रहा और मैं उन्हें शब्दों में पिरोती रही इसी बीच कब मेरीसरस अनुभूतिका जन्म भी हो गया मुझ पता भी चला।
   मैं अपने ब्लांग जगत के सभी साथियों की ह्रदय से आभारी हूँ जिन्होंने समय समय पर मेरे ब्लांग पर आकर टिप्पणियों द्वारा शुभकामनाओं द्वारा मुझे उत्साहित करते रहे और मेरे मनोबल को बढ़ाते रहे ।बहुत बहुत धन्यवाद ।
 शुभकामनाओ सहित

महेश्वरी कनेरी

Sunday 8 September 2013

अवकाश प्राप्त शिक्षकों द्वारा शिक्षक दिवस


अवकाश प्राप्त केन्द्रीय विद्यालय टीचर्स एसोसिएशन देहरादून द्वारा आज केन्द्रीय विद्यालय हाथी बड्कला में बड़ी धूम धाम से शिक्षक दिवस मनाया गया ।इस एसोसिएशन के अन्तर्गत सभी अवकाश प्राप्त अघ्यापको की  हर तीसरे महिने के दूसरे रविवार को  बैठक होती है । इस दिन का हम बहुत बेसब्री से इंतजार करते है..कारण उस दिन हम अपने उन पुराने साथियों से मिलते है जिनके साथ हमने जवानी में अपने सुख सुख बाँटे हैं और कई बार एक साथ हँसे और रोए भी है उनके साथ मिल कर अपनी पुरानी यादें ताजी करने में बड़ा सकून मिलता है 

आज भी शिक्षक दिवस के अवसर पर विशेष बैठक का सुन्दर आयोजन किया गया था। आज के ही दिन जो अध्यापक ७५ वर्ष ले होजाते हैं उन्हॆं सम्मानित भी किया जाता है । आज तीन शिक्षकों को सम्मानित किया गया ,उन् से एक मेरी बहुत पुरानी सहेली श्रीमती कृष्णा शर्मा भी थी जो मेरे दोनों ही बच्चों की शिक्षिका भी रही हैं ।


 परंपरागत डा. सर्वपल्ली राधाकृष्न जी को पुष्प अर्पित कर नमन करते हुए उन्हें याद किया गया। केन्द्रीय विद्यालय के छात्र छात्राओ ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए सुन्दर गीत और भजन गाए ।इसके अतिरिक्त आज के गुरू और शिष्यों पर कुछ विचार विमर्श हुए ।शिक्षक और शिक्षार्थियों के कर्तव्यों पर प्रकाश  डाला गया ।
बहुत से पुराने साथियों से मिल कर बहुत अच्छा लगा।


Wednesday 4 September 2013

गुरू महिमा


शीश झुकाऊँ ,नमन करूँ

चरण पखारूँ सुबह शाम

विद्या बुद्धि के दाता 

हे गुरूवर तुम्हें प्रणाम....

खोल  ज्ञान चक्षु द्वार

भर देते दिव्य प्रकाश

दिशा देते ,राह दिखाते

 अमूल्य ज्ञान निष्काम

 हे गुरूवर तुम्हें प्रणाम………..

तुम  ज्ञान  गुण सागर

मैं मूर्ख बूँद समान

तुम  पुष्प कमल कुंज

मै कंटक हूँ नाकाम

हे गुरूवर तुम्हें प्रणाम………….

देवो में सर्वोच्च नाम तुम्हारा

कह  गये  संत कबीरा

तुम  बिन  ज्ञान अधूरा

गुरूचरण है साँचा धाम

हे गुरूवर तुम्हें प्रणाम…………….

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शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

महेश्वरी कनेरी