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Thursday 27 March 2014

गीत

 गीत 

वक्त के पन्नों में, मैं गीत लिख रही हूँ

जो दर्द तुमनें दिए वही बिन रही हूँ…..

धड़कन में मेरी यादें सुबक रही हैं

उन यादों को मैं ,आज लौटा रही हूँ

वक्त के पन्नों में ,मैं गीत लिख रही हूँ

मौसमों की तरह तुम भी बदल गए हो

देखा न मुड़के कभी ,मैं वही की वही हूँ

वक्त के पन्नों में ,मै गीत लिख रही हूँ

दो कदम ही चले थे, फिर खो गए तुम

राह सूनी मगर ,मैं तो चल रही हूँ

वक्त के पन्नों में , मैं गीत लिख रही हूँ


   ***********

महेश्वरी कनेरी

24 comments:

  1. बहुत सुन्दर गीत.....
    वक्त के पन्नों में, मैं गीत लिख रही हूँ
    जो दर्द तुमनें दिए वही बिन रही हूँ…
    बहुत बढ़िया ..
    सादर
    अनु

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (28-03-2014) को "जय बोलें किसकी" (चर्चा अंक-1565) "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपकी लिखी रचना शनिवार 29 मार्च 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  4. बहु सुन्दर अहसासों सुन्दर अभिव्यक्ति !
    लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !

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  5. शब्द कहें मन की सब बातें,
    स्मृतियों की सुन्दर पातें।

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  6. बहुत सुन्दर गीत...
    http://mauryareena.blogspot.in/

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  7. बहुत सुंदर भाव..

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  8. बहुत खूबसूरत रचना दीदी लिखी आप
    सादर

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  9. बहुत सुंदर ..... शब्दों से रिश्ता बना रहे .....

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  10. mn ke bhaw shabdon ke moti bn chhalak rahe hain ....sundar geet .....

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  11. हृदयस्पर्शी रचना !

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  12. बहुत महीन सी भावों को समेटा ह आपने इस रचना में , पढ कर अच्छा लगा..

    संजय भास्कर
    शब्दों की मुस्कराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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  13. बहुत बहुत ही सुन्दर लिखा है.. बधाई..

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  14. बहुत सुन्दर गीत आदरणीया

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  15. बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना...

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  16. आपकी कविता बहुत ही अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  17. mere hriday ko chhu gai....

    shubhkamnayen

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