केदारनाथ |
त्रासदी की वो रात…
भयानक खौफनाक मंज़र
विनाश
का अद्भूद सैलाब
देखते ही देखते सब तबाह होगया
क्रूर काल के हाथों सब स्वाह होगया
चीखते चिल्लाते हजारों जिन्दगी जलमग्न हुई
ले
डूबा हजारों ख्वाहिशें, हजारों ख्वाब
गाँव के गाँव बह गए
दुकान, मकान,घर,बस्तियाँ
सब मलवे का ढेर बन कर रह गए
दम तोड़ गई कितनी की चाहते,
कितनों के सपने….
जहाँ चारों पहर भक्तों की भीड़,
मुखरित होता शंख नाद ,
घंटियों की टनटनाहट
जय-जयकार का मधुर स्वर
गूँजता
आज वहाँ मातम ही मातम
अब तो उम्मीद भी लाशों की ढेर पर बैठी
आँसू बहा रही है..
किसकी नज़र लग गई ,
मेरे उत्तराखंड़ को
जो खण्ड-खण्ड हो गया
डरे हुए हर मन के भीतर
आज कई अनबुझ से प्रश्न
उलझ कर रह गए..
ऐसा क्यों हुआ..?????
****************
महेश्वरी कनेरी
पीड़ा मुखर हो गयी..
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
आभार शशि जी..
Deleteइसलिए हुआ क्योंकि प्रकृति खुद से छेड़ छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकती। यह सब हम इन्सानों के किये का ही फल है।
ReplyDeleteसादर
बढिया प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रकृति का प्रकोप
जल समाधि दे दो ऐसे मुख्यमंत्री को
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372774138029#c7426725659784374865
इस प्रकृति की त्रासदी के शिकार मेरे पड़ोसी रामकृष्ण गुप्ता और उसके बहन बहनोई हो गए,,,
ReplyDeleteRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteसार्थक और सुंदर अनुभूति
सादर
जीवन बचा हुआ है अभी---------
प्रलय का सजीव चित्रण कर दिया है .... यही प्रश्न सबके मन में बार बार उठ रहा है ।
ReplyDeleteत्रासदी की वो रात... भयानक मंजर.. ऐसा क्यों .
ReplyDelete
ReplyDeleteइंसान जब तक प्रकृति से सीख नहीं लेता तब तक यह त्तासदी होती रहेगी
latest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
किसको मालूम था,उस रात उफनती, वह
ReplyDeleteनदीं, देखते देखते ऊपर से, गुज़र जायेगी !
कैसे मिल पाएंगे ?जो लोग,खो गए घर से,
मां को,समझाने में ही,उम्र गुज़र जायेंगी !
मार्मिक
ReplyDeleteसटीक भाव शुद्ध प्रवाह
सुन्दर प्रस्तुति-
आपका आभार आदरणीया -
आभार आपका-
नियमित होने की कोशिश चल रही है-
सादर
वाह.सुन्दर.बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबहुत मार्मिक अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteइस क्यों का उत्तर कोई नहीं जानता..एक रहस्य है यह सृष्टि..
ReplyDeleteऐसा क्यों हुआ ... इसका उतर इन्सान के पास ही है ...
ReplyDeleteअपनी भूख पे काबू रखना होगा उसे ...
इस क्यों का कोई क्या जवाब दे :-(
ReplyDeleteमार्मिक वर्णन
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_3.html
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/06/blog-post_21.html
किसकी नज़र लग गई ,
ReplyDeleteमेरे उत्तराखंड़ को
जो खण्ड-खण्ड हो गया
डरे हुए हर मन के भीतर
आज कई अनबुझ से प्रश्न
उलझ कर रह गए..
ऐसा क्यों हुआ..?????
किसकी नज़र लग गई ,
मेरे उत्तराखंड़ को
जो खण्ड-खण्ड हो गया
डरे हुए हर मन के भीतर
आज कई अनबुझ से प्रश्न
उलझ कर रह गए..
ऐसा क्यों हुआ..?????
कुछ अपना किया धरा कुछ मालिक की मेहरबानी
उचित सवाल. अगर यह बात सच है की पूर्व सूचना थी और कुछ किया जा सकता था तो ये बहुत ही दुखद है.
ReplyDeleteप्रकर्ति की इस त्रासदी का जवाब शायद किसी के पास नहीं....
ReplyDeleteप्रलय का सजीव चित्रण कर दिया है आपने ....पर ऐसा क्यों हुआ..? सवाल बना हुआ है अभी
ReplyDeletedeforestation and dams are the cause.
ReplyDeleteआह... बस आह...
ReplyDeleteप्रकृति के साथ किये गये छेडछाड़ पर पर्दा डाले हुए है आपका ये "क्यों".
ReplyDeleteमानता हूँ कि मार्मिक रहा है पर सच्चाई यही है।