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Tuesday, 23 July 2013

अहसास...

अहसास


माँ

ह्रदय में वात्सल्य का सागर

होठों में दुलार की मुस्कान

आँखों में ममता के आँसू

यही तो है माँ की पहचान


रंग

रंगों का संसार निराला है

हर रंग में खुद को ढ़ाला है

कुछ रंग से खुशी चुराई

कुछ रंग में दर्द को पाला है


धुँआ

कहीं कोई चिंगारी नहीं

हर सांस पर जुल्म का पहरा

सब तरफ धूँआ ही धुँआ

जितना उभरते उतना ही गहरा


बागवान

मन के धरातल में

जब भी हसरतों के फूल खिलते हैं

अपना ही बागवान नोंच कर बिखेर देता है


जुल्म

हादसों की इस ज़मीन पर

हर रोज़ जुल्म उगा करते हैं

जुल्म के इन पौधे से

दर्द और आँसू ही बहा करते हैं


जलती लौ

पिघलते मोम की जलती लौ हूँ

कब पिघल कर ढल जाऊँ

जब तक सांस है तन पर


तब तक जलती ही जाऊँ


***************

महेश्वरी कनेरी
.

28 comments:

  1. बेहतरीन शब्द संयोजन .... हर रचना में गहरा अहसास

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  2. बहुत बहुत सुन्दर.....
    हर क्षणिका मन को छूती हुई...
    लाजवाब!!

    सादर
    अनु

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  3. हर रोज़ जुल्म उगा करते हैं

    जुल्म के इन पौधे से

    दर्द और आँसू ही बहा करते हैं
    ......क्षणिका मन को छूती हुई.
    बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।

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  4. सभी लाजवाब क्षणिकाएं, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. जलती लौ रोशन करे, कई हृदय आगार |
    धुँवा छुपाये बाँटती, माँ ही सच्चा प्यार |
    माँ ही सच्चा प्यार, बागवानी में माहिर |
    हरदम सींच सँवार, करे ना लेकिन जाहिर |
    बढ़े जगत में जुल्म, यहाँ होती ना गलती |
    दुष्ट मना की मित्र , चिता निश्चय ही जलती ||

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  7. बहुत ही बढ़िया आंटी !


    सादर

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति, बहुत शुभकामनाये

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  9. प्राण जब तक, प्रण रहेगा,
    साथ मन चलता रहेगा।

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  10. बेहद खूबसूरत क्षणिकाएँ

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  11. बहुत सुंदर शब्द संयोजन......
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति !!

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  12. सुन्दर प्रस्तुति ....!!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (24-07-2013) को में” “चर्चा मंच-अंकः1316” (गौशाला में लीद) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. आभार शास्त्री जी ..

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  13. बहुत अच्छी रचना, बहुत सुंदर



    मुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
    "आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
    http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
    और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
    http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html

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  14. गहन भाव युक्त सुन्दर क्षणिकाएं...

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  15. बहुत ही सुंदर गहन भाव अभिव्यक्ति...

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  16. सभी क्षणिकाएं बहुत अच्छी हैं .... बधाई..

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  17. बहुत खूबसूरत एहसास ...
    दिल को छूते हुए ...

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  18. बहुत सुंदर क्षणिंकाऎं !

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  19. हादसों की इस ज़मीन पर

    हर रोज़ जुल्म उगा करते हैं

    जुल्म के इन पौधे से

    दर्द और आँसू ही बहा करते हैं

    माँ, रंग, धुंआ, बागबान, जुल्म और जलती लौ
    निःशब्द करती बेहतरीन *********

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  20. 'कुछ रंग से खुशी चुराई
    कुछ रंग में दर्द को पाला है'

    इसी तरह चलता है जीवन!
    क्षणिकाओं में पिरोये सभी एहसास पहुँच रहे हैं हमतक!

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  21. बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं...

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  22. किसी कवि की रचना देखूं !
    दर्द उभरता , दिखता है !
    प्यार, नेह दुर्लभ से लगते ,
    क्लेश हर जगह मिलता है !
    क्या शिक्षा विद्वानों को दूं ,टिप्पणियों में, रोते गीत !
    निज रचनाएं ,दर्पण मन का, दर्द समझते मेरे गीत !

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