abhivainjana


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Friday, 12 July 2013

बोलते चित्र

बादल


नदी


पहाड़




लाशें


आसमान
**********

  महेश्वरी कनेरी

24 comments:

  1. प्रकृति का क्रोध ..... कविता और तस्वीर दोनों में
    सादर !

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  2. सुंदर चित्रों के भावपूर्ण सृजन ,

    RECENT POST ....: नीयत बदल गई.

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  3. नाराज़ प्रकृति का प्रहार ...

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  4. आसमां आपदा का साक्षी..
    सटीक.

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  5. कुपित प्रकृति के रूप और मनुष्य के लिये चेतावनी !

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  6. उन सबको कुछ तो है कहना,
    मान नहीं रख पाये जिनका।

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  7. सचित्र प्रकृति का चित्रण -अनुपम !
    latest post केदारनाथ में प्रलय (२)

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  8. प्रकृति का रोद्र रूप, खता हमारी , सार्थक अभिव्यक्ति

    यहाँ भी पधारे ,


    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_909.html

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  9. सचमुच बोलते चित्र....
    या कहूँ रोते सिसकते चित्र
    और शब्द भी.. ...

    सादर
    अनु

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  10. प्रकृति का कहर चित्र और शब्द दोनों में समाया हुआ है

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  11. मार्मिक शब्द चित्र

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  12. बेहद ही सटी पर मार्मिक चित्रण.

    रामराम.

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  13. चित्रों और शब्दों का संयोजन पोस्ट को बेहद प्रभावशाली बना रहा है, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  14. कल 14/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  15. Beautifully expressed !

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  16. संवेदनशील रचना अभिवयक्ति.....

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  17. आपने पञ्च तत्वों का बहुत सुन्दर वर्णन किया चित्रों ने इन्हें जीवंत कर दिया

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  18. वाकई में प्रकृति ने यहाँ ऐसा रूप धरा की शब्द ही नही निकल रहे बया करने को जुबा से..
    मन अभी भी इतना डरा हैं कि काले बदलो को देख चीखने को तैयार।।।
    आपकी अंतिम शब्द चित्र ने सम्मोहित कर दिया।
    वो आसमान आजकल वाकई में इतना शांत एवं निर्दोष बन बैठा है कि यकीन ही नही होता की जो कहर बरपा उसकी शुरुआत वही से हुई..

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  19. चित्रों पर तबाही की दास्तां लिख दी ... बहुत खूब

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  20. ufff.....ek jevant sa chitr prastut kiya hai aapne

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  21. चित्र भी बोलते हैं------
    मन को टटोलती और मर्म को समझाती छोटी-छोटी लेकिन गहरे भाव लिये
    केदारनाथ के कहर की मार्मिक अनुभूति व्यक्त की है
    सुंदर चित्र संयोजन और कविता के भाव
    सादर

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  22. सुंदर , शुभकामनाये ,
    यहाँ भी पधारे ,

    हसरते नादानी में

    http://sagarlamhe.blogspot.in/2013/07/blog-post.html

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