ज़रा अज़मां कर देखिए
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बहुत कुछ बाकी है अभी,ज़रा अज़मां कर देखिए
जिन्दगी के हर रंग को जरा पास जाकर देखिए
अफ़सोस न होगा कभी उम्र के गुजर जाने की
कभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए
छोड़ खामोशी और तन्हाई के इस आलम को
कभी आसमां को सिर पर उठा कर तो देखिए
अपने दुःख-दर्द को भूल जाना चाहो अगर
तो किसी दुखी को गले से लगाकर तो देखिए
इतनी मासूमियत से कभी खुद को न देखिए
जब भी आईना देखे तो मुस्कुरा कर ही देखिए
खुशबू चमन में फैलाना चाहो अगर कभी
बस एक फूल को ज़रा हँसा कर तो देखिए
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महेश्वरी कनेरी
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बढिया
अफ़सोस न होगा कभी उम्र के गुजर जाने की
ReplyDeleteकभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए
वह क्या बात है
आशा की डोर थामे हर जीव चलता है
ReplyDeleteसच कहा आपने
इतनी मासूमियत से कभी खुद को न देखिए
जब भी आईना देखे तो मुस्कुरा कर ही देखिए
बहुत सुंदर भाव लिए हुए... आसमां को सर पर उठा कर देखिए... सादर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..मन को छूती हुयी।
ReplyDeleteमुस्कुराने से खुद को ही अच्छा लगता है...
ReplyDeleteबहुत अच्छी .....
सुंदर रचना
ReplyDeleteकभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए
ReplyDeleteजीवन जीने के उजलेपन को व्यक्त करती रचना
सार्थक पहल
सादर
खुशबू चमन में फैलाना चाहो अगर कभी
ReplyDeleteबस एक फूल को ज़रा हँसा कर तो देखिए
वाह .... बहुत ही अनुपम भाव
सादर
बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना की प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteअपने दुःख-दर्द को भूल जाना चाहो अगर
ReplyDeleteतो किसी दुखी को गले से लगाकर तो देखिए
आपका पोस्ट तो सारे दुख भुला देता है *दीदी*
सादर !!
वाह वाह बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत प्यारी....कोमल,निश्छल सी रचना...
ReplyDeleteसादर
अनु
खुशबू चमन में फैलाना चाहो अगर कभी
ReplyDeleteबस एक फूल को ज़रा हँसा कर तो देखिए,,,
वाह !!! बहुत बेहतरीन सुंदर गजल ,,
RECENT POST : बेटियाँ,
जिन्दगी जीने की कला समझाती सुंदर रचना ....
ReplyDeleteआभार!
बहुत बढ़िया आंटी
ReplyDeleteसादर
अफ़सोस न होगा कभी उम्र के गुजर जाने की
ReplyDeleteकभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए
शानदार प्रस्तुति
अफ़सोस न होगा कभी उम्र के गुजर जाने की
ReplyDeleteकभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए--जीवन में हर हाल में खुश रहने की कला का सन्देश देती रचना
बहुत सुन्दर लिखा है माहेश्वरी जी... आप देहरादून से है .. सादर नमन
ReplyDeleteअपने दुःख-दर्द को भूल जाना चाहो अगर
ReplyDeleteतो किसी दुखी को गले से लगाकर तो देखिए......वाकई बहुत सुकून मिलता है
प्रत्येक शेर जीवन को आनंदमय रखने के मंत्र दे रहा है. वाह !!!!!!!!
ReplyDeleteअपने दुःख-दर्द को भूल जाना चाहो अगर
तो किसी दुखी को गले से लगाकर तो देखिए
निसंदेह बहुत ही सुन्दर भाव..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचारों को व्यक्त किया आपने .......
ReplyDeleteवाह .... बहुत ही अनुपम भाव
ReplyDeleteसुंदर एवं भावपूर्ण सार्थक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
सच्ची बात है जी .....बच्चों का साथ हर गम भुला देता है
ReplyDeleteसचमुच बच्चों के साथ बच्चा बन जाना भुला देता है हर परेशानी को... बहुत सुखद अहसास देता है... अनुपम प्रस्तुति... आभार
ReplyDeleteबहुत लाजबाब अभिव्यक्ति ,,आभार
ReplyDeleteRecent post: ओ प्यारी लली,
अपने दुःख-दर्द को भूल जाना चाहो अगर
ReplyDeleteतो किसी दुखी को गले से लगाकर तो देखिए
सही है, सुखमय जीवन का सहज सत्य।
कभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए.
ReplyDeleteबहुत कुछ सिखाती है जिंदगी. सुंदर प्रस्तुति.
खुशबू चमन में फैलाना चाहो अगर कभी
ReplyDeleteबस एक फूल को ज़रा हँसा कर तो देखिए
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण और प्रेरक अभिव्यक्ति....
अपने दुःख-दर्द को भूल जाना चाहो अगर
ReplyDeleteतो किसी दुखी को गले से लगाकर तो देखिए
bahut sunder bhaav liye hue hai aapki rachna, ek ek shabd jeevan sangeet liye.
shubhkamnayen
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..... बच्चों के संग बच्चा बन मन भी निश्छल हो जाता है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव..आभार..
ReplyDeleteसुंदर...
ReplyDeleteबधाई आपको
शिवनाथ कुमार has left a new comment on post "ज़रा अज़मां कर देखिए ...":
ReplyDeleteदूसरों को ख़ुशी बाँटते चलना चाहिए
जीवन का आनंद दुगुना हो जाता है
सादर आभार!
बहुत ही प्रेरक और भावपूर्ण रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
उत्साह का नया रंग है यहाँ तो
ReplyDeleteआनंद से भरपूर
प्रेरणात्मक पंक्तियां
ReplyDeleteसन्देशप्रद भाव...
ReplyDeleteखुशबू चमन में फैलाना चाहो अगर कभी
बस एक फूल को ज़रा हँसा कर तो देखिए
बधाई.
अफ़सोस न होगा कभी उम्र के गुजर जाने की
ReplyDeleteकभी बच्चों के संग बच्चा बन कर तो देखिए....
बहुत सुन्दर भाव ,आभार
सुन्दर भाव...बहुत अच्छी रचना...बहुत-बहुत बधाई...
ReplyDeleteसुन्दर!
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