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Wednesday, 15 May 2013

अनुज सागर..

अनुज सागर


यूँ मौन तपस्वी से

निश्छल अविचल ,हे अनुज सागर

क्यों ठहरे-ठहरे से शान्त पड़े हो

प्रकृति के प्रतिबिंब तुम

मूक ह्रदय से करते अभिनंदन

चंचल चाँदनी खेले उर में

किरणें करती जब आलिंगन

जब मस्त पवन छू कर निकले

तुम सिहर-सिहर खामोश रह जाते

क्यों उछाल नहीं भरते

गहन ह्रदय में क्या तुम्हारे ..तुम जानो

कलुषित मन मेरा जब भी अकुलाए

पास तुम्हारे मैं जाती

देख छबी अपनी ही तुम में

सम्मोहित सी होकर 

मन शान्त हो जाता

*************

*महेश्वरी  कनेरी 

28 comments:

  1. प्रकृति से सुंदर संलाप...

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  2. प्रकृति का सुंदर प्रस्तुतिकरण!! सादर ....

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  3. बहुत सुंदर .... रचना भी और चित्र भी ।

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण
    सादर

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण !!
    सादर ...

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  6. अभिव्यंजना को आपने शब्द और चित्र के माध्यम से व्यक्त कर मन को प्रेम सिक्त कर दिया आरोपण को भाव दिया बधाई

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  7. प्रकृति के कार्यकलाप का एहसास का सुन्दर चित्रण !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post हे ! भारत के मातायों
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  8. मर्मस्पर्शी चित्रण......

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  9. बहुत सुंदर और गहन भाव

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  10. धन्यवाद..दिलबाग जी..आभार

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  11. गहरी झील, गहरी भावना।

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  12. बहुत सुन्दर भावमयी शब्द चित्र...

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  13. गूढ़ गहन भावों की प्रतीकात्मक प्रस्तुति..........

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  14. सागर की शांत लहरें कभी कभी गहरा दर्द छिपाए रखती हैं अपने अंदर ....
    गहन अर्थ लिए सार्थक अभिव्यक्ति ...

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  15. कलुषित मन मेरा जब भी अकुलाए

    पास तुम्हारे मैं आ जाती

    देख छबी अपनी ही तुम में

    सम्मोहित सी होकर

    मन शान्त हो जाता
    मन के भावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं महेश्वरी जी हार्दिक बधाई

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  16. सागर की स्शंत लहरें अपने अंदर गहरा दर्द छुपाए होती हैं शाद इसलिए जब हम दुखी है और सागर किनारे जाते है तो मन शांत हो जाता है क्यूंकि दूसरे का दर्द देखने बाद ही यह एहसास होता है कि उसके दर्द के आगे हमारा दर्द तो कुछ भी नहीं या फिर जब दो दुखी मन मिलते हैं तब भी मन अक्सर शांति महसूस करने लगता है। बहुत सुंदर एवं सार्थक गहन भाव अभिव्यक्ति।

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  17. प्रकृति के प्रतिबिंब तुम

    मूक ह्रदय से करते अभिनंदन....bahut acchh pankti bahut kuchh sikha deti hamen ....

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  18. बहुत ही बढ़िया आंटी



    सादर

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  19. आशा बिष्ट has left a new comment on post "अनुज सागर..":
    वाह जितने भाव मन मे पढ़ते वक्त उमड रहे थे उन्हें व्यक्त करना मुस्किल है
    सुन्दर प्रस्तुति

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  20. अति सुन्दर काव्य कृति..

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  21. देख छबी अपनी ही तुम में

    सम्मोहित सी होकर

    मन शान्त हो जाता
    भावमय करते शब्‍द ...

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  22. सतह के ऊपर कुछ और, सतह के नीचे कुछ और गहन गंभीर ......बहुत सुंदर अभिव्यक्ति महेश्वरी जी....सुंदर भाव..सुंदर रचना ...


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  23. सागर का मानवीकरण दिल को छु रहा है ....
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  24. गहन ह्रदय में क्या तुम्हारे ..तुम जानो
    कलुषित मन मेरा जब भी अकुलाए
    पास तुम्हारे मैं आ जाती-------

    मन की भावुक अभिव्यक्ति
    सुंदर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर

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  25. Sometimes we too become lifeless and need to be awakened just like the sea.

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