abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Friday 6 July 2012

अगला जीवन

अगला जीवन 


जीवन की शाख पर बैठा
मन का पाखी
भोर का गीत सुनाता..
मैं कहती …
ये तो संध्या है
चीर निन्द्रा की आती बेला है
भोर बीते युग बीता
क्यों है याद दिलाता..?
बहुत जीया इस जीवन को
अब अगले सफर की बारी है
जीर्ण-क्षीण हुए इस चोगे को
बस बदलने की तैयारी है
ये तो जीवन चक्र है
इससे गुजरना पड़ता है
कैसा दुख , कैसा संताप
मोह माया ममता, तेरा मेरा
सब यही रह जाना है
जो मिला, यहीं मिला था
यहाँ का यहीं दे जाना है
खाली हाथ तो आये थे,
खाली हाथ ही जाना है
न भय न कोई चिन्ता
बस एक उत्सुकता है मन में
नया वेश नया परिवेश
कैसा होगा उस पार का देश..?
इस लिए हे पाखी ..
ऐसा कोई गीत सुना
जिससे चिर निन्द्रा में सो जाऊँ
फिर..
अगला जीवन भी तो जीना है…..


**********
महेश्वरी कनेरी

29 comments:

  1. नए परिवेश में मुझे भी साथ ले कर चलिएगा...मुझे भी देखना है...
    मेरा अनुरोध है इस सफ़र को अभी स्थगित रखें:)

    ReplyDelete
  2. 'ये तो जीवन चक्र है'
    अभी इस जीवन में ही कई चक्र शेष हैं...!
    ढ़ेरों उमंगों के साथ चलता रहे जीवन!

    ReplyDelete
  3. थोडा इंतजार कीजिये दीदी ...साथ मुझे भी देना है .... मुझे भी
    एक उत्सुकता है मन में
    नया वेश नया परिवेश
    कैसा होगा उस पार का देश..?
    (1) ससुर जी वृद्ध हैं ,उनकी सेवा कर ,विदा कर लूँ ....
    (2) बेटे की शादी कर दूँ .... बहु का स्वागत कर लूँ ....
    (3) बहु घर में रच-बस जाए .... सबका ख्याल रखेगी देख लूँ ....
    (4) पोता का मुहं देख ,साथ कुछ खेल लूँ ....
    (5) एक पोती भी दीदी ... बिटिया नहीं है न .... कन्यादान तो कर्ज है बाकी ....
    साथ चलेगें आप लिखेगीं तो पढ़नेवाला भी तो होना चाहिए .... :D

    ReplyDelete
    Replies
    1. Waah Vibha ji...Great comment...Loving it !

      Delete
  4. बहुत मार्मिक लिखी हैं आंटी!

    सादर

    ReplyDelete
  5. लोग जीने की कला सीखते हैं लेकिन आप मरने की कला सीखा रही हैं ... बहुत सुंदर रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जो सत्य है उसे क्यों नकारना..जिन्दा दिली से जीए है तो जिन्दा दिली से मरना भी चाहिए..उसके लिए खुद को तैयार कर रही हूँ संगीता जी..आभार..

      Delete
  6. उत्कृष्ट सोच-

    गाना गाना भोर का, संध्या बेला पास |
    मन का पाखी नासमझ, नहीं आ रहा रास |
    नहीं आ रहा रास, आस का झूला झूले |
    करे हास-परिहास, हकीकत शाश्वत भूले |
    दीदी की यह बात, नये परिधान पहन कर |
    नया देश परिवेश, देखना है जी भरकर ||

    ReplyDelete
  7. ये तो संध्या है
    चीर निन्द्रा की आती बेला है
    अगला जीवन भी तो जीना है
    जो आया उसे जाना है
    जैसे जीवन का स्वागत किया है
    वैसे ही मृत्यू का भी करना है.
    सुन्दर रचना...प्रार्थना करते हैं ईश्वर से आप ऐसे ही लिखती रहें, स्वस्थ और प्रसन्न रहें ... सादर

    ReplyDelete
  8. जिसने मरने की कला सीख ली, समझिये जीना आ गया..बहुत उत्कृष्ट रचना।

    ReplyDelete
  9. मरना एकदम सत्य है फिर काहे का रोस
    अगला जनम सुधारिये, आगे की तू सोच
    आगे की तू सोच, जी लिया जीवन अपना
    धरा यही रह जाय, पूरा करो अपना सपना
    मौत शाश्वत सत्य है,बनालो अगला परिवेश
    बुलावा कब आ जाये, जाना पड़े दूसरे देश,,,,,,

    RECENT POST...: दोहे,,,,

    ReplyDelete
  10. मेरी टिप्पणी स्पैम मे देखे...

    ReplyDelete
  11. जीना है पहले, जीकर जीना है पहले..

    ReplyDelete
  12. मृत्यु जीवन का सत्य है , जिसने स्वीकार किया , जीना सीख लिया !

    ReplyDelete
  13. यह भी जीवन से जुड़ा सत्य है....अद्भुत रचना

    ReplyDelete
  14. उम्र के बढने के साथ साथ ऐसे प्रष्न स्वाभाविक ही मन मे उठने लगते हैं जिन्हें आपने अच्छे शब्दों से सुन्दर आकार दिया है। सुन्दर रचना के लिये बधाई।

    ReplyDelete
  15. saty ka jivant chitran hai ...jaana to sabhi ko hai
    achchhi baat to ye hai ki biite palon ko saarthak jiya hai to avsaan kaa bhi swaagat karna chaahiye saarthak rachna aabhar

    ReplyDelete
  16. गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति ... आभार

    ReplyDelete
  17. बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....

    ReplyDelete
  18. बहुत जीया इस जीवन को
    अब अगले सफर की बारी है
    जीर्ण-क्षीण हुए इस चोगे को
    बस बदलने की तैयारी है... सत्य का आवरण

    ReplyDelete
  19. अगला जीवन भी तो जीना है ...........गहरे भाव !

    ReplyDelete
  20. जीवन का सत्य है ये...
    गहन भाव लिए उत्कृष्ट रचना...
    पर अभी के लिए ये स्माइल लीजिये...
    :-) :-) :-) :-) :-)

    ReplyDelete
  21. हकीकत को भुगतना बाकी है ...
    आभार इस सुंदर रचना के लिए !

    ReplyDelete
  22. मैं एक बार के जीवन में विश्वास रखता हूँ. अगले जन्म का संस्कार मुझे दिया तो गया है लेकिन वह काम नहीं करता, न ही उसका विचार सताता है. इसलिए कविता की आखिरी दो पंक्तियों को छोड़ दें तो बाकी की कविता मुझे बहुत अच्छे से संप्रेषित हुई है. बहुत ही बढ़िया कविता है.

    ReplyDelete
  23. नीरवता में भी आशा को अक्षुण रखें .....यही तो असली जीवन है
    सुन्दर संदेश देती हुई रचना
    आभार

    ReplyDelete
  24. उम्दा प्रस्तुति …………सुन्दर संदेश

    ReplyDelete
  25. उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete