भोर की पहली किरण |
अँधेरी रात की
काली चादर को चीर
भोर की पहली किरण
जब धरती पर आई
सारी धरती सिन्दूरी रंग में रंगी
नव वधु सी शरमाई
शीतल मंद पवन ने छेड़ा
फिर जीवन का राग सुहाना
हिम शैल शिखर से फिसलती किरणें
घाटी पर आ सुस्ताई
अलसाई कलियों ने आँखें खोली
देख गुंजित भँवरे मुस्काए
रात कहर से भीगी थी
जो पलके फूलों की
चूम-चूम किरण
उनको सहलाए
निकले नीड़ से आतुर पंछी
स्वच्छंद गगन पर पंख फैलाए
दूर कहीं मंदिर की घंटी
मधुर ध्वनि से मुझे बुलाती
सत्यम शिवम सुन्दरम ,बस
यही भोर है मुझको भाती
यही भोर बस मुझे सुहाती
******************
महेश्वरी कनेरी
सत्यम शिवम सुन्दरम..की अनहद नाद की तरह सुन्दर रचना..बधाई..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना......जैसे सुबह का कोई राग.....
ReplyDeleteसादर
अनु
भोर की सुहानी किरण सबका मन हर्षित कर देती है...जैसा आपकी कविता ने किया.
ReplyDeleteनिकले नीड़ से आतुर पंछी
ReplyDeleteस्वच्छंद गगन पर पंख फैलाए
दूर कहीं मंदिर की घंटी
मधुर ध्वनि से मुझे बुलाती ||
बढ़िया प्रस्तुती |
सटीक ||
बधाई ||
शीतल मंद पवन ने छेड़ा
ReplyDeleteफिर जीवन का राग सुहाना
हिम शैल शिखर से फिसलती किरणें
घाटी पर आ सुस्ताई
प्रकृति की छटाएँ बिखेरती सुंदर कविता.
एक ऊर्जा और पवित्रता भर देती है भोर की पहली किरण
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....ऊर्जा प्रदान करने वाली रचना
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रण किया है इस रचना में |सुन्दर शब्द चयन और अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआशा
सारी धरती सुंदूरी रंग में रंगी
ReplyDeleteनव वधु सी शरमाई
शीतल मंद पवन ने छेड़ा
फिर जीवन का राग सुहाना
सुन्दर प्रकृति का चित्रण
सुहानी सुबह ....!!
ReplyDeleteसुंदर रचना ..
सुंदूरी रंग में रंगी
ReplyDeleteनव वधु सी शरमाई
सुबह का सुन्दर चित्रण...
मनमोहक रचना .....ऊर्जा और उत्साह लिए आती भोर की बात ....
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
धन्यवाद शास्त्री जी..आभार आप का
Deleteशिवं सुन्दरं चित्रण
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत भोर दिखाई है
ReplyDeleteमेरी आँखे अभी भी अलसाई हैं !
भोर का सुंदर चित्रण इस सुंदर गीत द्वारा अनुपम है. शुक्रिया आपका.
ReplyDeleteभोर की उजली किरण जैसी आपकी रचना ने दिल मोह लिए महेश्वरी जी बहुत खूब
ReplyDeleteयही भोर मुझे भी अच्छी लगती है
ReplyDeleteसुंदर चित्र उकेरा है आपने भोर का ...
सादर !
बहुत सुंदर..........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सिंदूरी सुबह का
ReplyDeleteअद्दभुत वर्णन..
बहुत सुन्दर मनभावन रचना..
:-) :-) :-) ;-)
निकले नीड़ से आतुर पंछी
ReplyDeleteस्वच्छंद गगन पर पंख फैलाए
दूर कहीं मंदिर की घंटी
मधुर ध्वनि से मुझे बुलाती
सत्यम शिवम सुन्दरम ,बस
यही भोर है मुझको भाती
यही भोर बस मुझे सुहाती ... कितनी सुहानी सुबह
भोर का बेहतरीन शब्द चित्र
ReplyDeleteसादर
sunder rachna..
ReplyDeleteप्रकृति की सुंदरता महसूस करने वाली चीज है ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रसतुति !!
bahut sunder rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन से सजी आति सुन्दर रचन...
ReplyDeleteसुंदर भोर ! जो है सबको भाती....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
वाह ... बहुत ही बढिया भावमय करते शब्द
ReplyDeleteमन में एक सात्विक ऊर्जा जगाती बहुत सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteअँधेरी रात की
ReplyDeleteकाली चादर को चीर
भोर की पहली किरण
जब धरती पर आई
सारी धरती सुंदूरी रंग में रंगी
नव वधु सी शरमाई
सुन्दर मनोहर चित्रण पौ फटने का ,सात्विक सौन्दर्य की छटा बिखेरती रचना .कृपया "सिन्दूरी" कर लें.
बहुत सुंदर शब्द चित्र खींचा है आपने।
ReplyDeleteबहुत मोहक चित्र !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भोर का नज़ारा।
ReplyDeleteसुन्दर मोहक रचना, बधाई.
ReplyDeletesundar shabd chitra....
ReplyDeleteMaheshwari, nicely written.. heart felt.. would love to see many more. also looking forward to your feedback on my poetry..
ReplyDeleteThanks and regards
Sniel
बस, यही भोर है मुझको भाती..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रण .
कल 29/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
स्वागत हैं ऐसे सुबह का
ReplyDeleteमंदिर की घंटी बजाती सी रचना |
ReplyDeleteलो रात गई; मुसकाता फिर महि की गोदी स्निग्ध भोर
ReplyDeleteहै धीर गगन चंचल सुनकर चंचल विहंग का मधुर शोर
सुप्रभात कहती हुई सुंदर कविता।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा कविता |
ReplyDeleteभोर की ताज़गी लिए रचना...
ReplyDelete~सादर !!!
निकले नीड़ से आतुर पंछी
ReplyDeleteस्वच्छंद गगन पर पंख फैलाए
refreshing lines.. I recalled all the beautiful mornings I had in past..
Thanks