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Tuesday 28 January 2014

मौन जब मुखरित हो जाता है…..

मौन जब मुखरित हो
शब्दों में ढल जाता है
मिट जाते भ्रम सभी
मन दर्पण हो जाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है…..
बोझिल मन शान्त हो
सागर सा लहराता है
वेदना सब हवा होजाती
भोर दस्तक देजाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है…..
धैर्य मन का सघन हो
विश्वास सबल हो जाता है
पतझड़ मन बसंत बन
कोकिल सा किलकाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है…..
सुखद अहसासों से भर
ह्रदय पुलकित होजाता है
विचारों में पंख लग जाते
नया इतिहास रच जाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है…..


*****************

महेश्वरी कनेरी

28 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आप का..

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  2. बहुत बहुत आभार रविकर जी..

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  3. बहुत भावपूर्ण रचना...

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  4. बहुत सुन्दर पोस्ट |

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  5. अंततः मौन कुछ न कुछ जरूर कहता है

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  6. पतझड़ मन बसंत बन
    कोकिल सा किलकाता है ।
    मौन जब मुखरित हो जाता है…
    सच्ची दीदी
    खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  7. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

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  8. सच कहा दी....
    मौन बड़ी घुटन पैदा करता है..मुखरित होते ही ह्रदय पुलकित होता है..
    सुन्दर रचना
    सादर
    अनु

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  9. नया इतिहास रच जाता है ।
    मौन जब मुखरित हो जाता है….
    निशब्द भाषा … बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना ...

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  11. बहुत सुन्दर रचना.
    New Post : The Helpless God

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  12. उत्कृष्ट भाव....मौन मुखरित हो सब कह जाता है .....

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  13. बहुत खूबसूरत !
    मौन जब मन में ही दबा रहता है
    शब्दों के उबाल से हृदय
    ज्वालामुखी बन जाता है !
    इस लावे का बाहर निकल जाना ही श्रेयस्कर है ! बहुत सार्थक रचना !

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  14. मौन बुनने लगा सपने..

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  15. बहुत ही बढ़िया आंटी


    सादर

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  16. बहुत सुंदर भाव ....

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  17. मौन जब मुखर होता है तो वाकई सुखद होता है
    सुन्दर सार्थक रचना
    सादर !

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  18. मौन का मुखरित होना सुखद होता है..
    बहुत ही सुन्दर और मनभावन रचना..
    :-)

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  19. बहुत सुंदर रचना ......!

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  20. मौन की अपनी अभिव्यक्ति है.. एक अध्यात्मिक आनन्द!
    बहुत सुन्दर रचना!!

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  21. मौन से जो शब्द फूटते हैं..गहरा अर्थ होता है उनमें...

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  22. बहुत ही सशक्त और सुंदर रचना.

    रामराम.

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  23. मौन जब मुखरित हो
    शब्दों में ढल जाता है
    मिट जाते भ्रम सभी
    मन दर्पण हो जाता है ।
    मौन जब मुखरित हो जाता है ..... सशक्‍त भाव संयोजन
    अनुपम अभिव्‍यक्ति

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  24. मन दर्पण हो जाता है !!
    वाह !!

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  25. पतझड़ मन बसंत बन
    कोकिल सा किलकाता है ।
    मौन जब मुखरित हो जाता है…..

    बहुत सुंदर रचना माहेश्वरी जी ....!!हृदय किलकाती हुई ...!!

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