मित्रों नये वर्ष में ये मेरा नया प्रयोग है..पहली बार कहानी लिखने का प्रयास किया है उम्मीद है मेरे इस प्रयोग को भी अप सभी स्नेह देंगे और साथ ही सुझाव भी ....धन्यवाद..
बच्चों के खातिर
शापिग कामप्लेक्स
में
घुसते
ही
जोरदार
स्लूट
मारकर
जिस
गेटकीपर
ने
दरवाजा
खोला,उसे
देखते
ही
मैं
अवाक
रह गई।अचानक
मुँह
से
निकल
पड़ा
“अरे!
श्यामलाल
यहाँ
कैसे
?.. कैसे
हो?”
उसके
जवाब
देने
से
पहले
ही
मैं
फिर
बोल
उठी
“ रिटार्ड
हो
गए
क्या? वह
झेपता
हुआ सा
हाथ
जोड़
कर
खड़ा
हो
गया
।
श्याम लाल
हमारे
स्कूल
में
एक
क्लास
फोर
कर्मचारी
था ।
अपनी
पत्नी
और
बच्चों
के साथ आराम
की
जिन्दगी
बसर कर रहा था
।
अचानक कुछ समय
बाद
पता
चला
कि
उसकी
पत्नी
को
कैंसर
होगया
। हँसमुख
श्याम लाल अब उदास रहने लगा । बहुत इलाज करवाया पर कोई फायदा नहीं,बीमारी अंतिम
चरण पर थी।एक दिन पता चला कि उसकी पत्नी चल बसी ।
पत्नी के इलाज में बेचारे श्याम लाल पर काफी कर्ज होगया था ।उसने हिम्मत नही
छोड़ी दिन रात और भी अधिक मेहनत करने लगा। हम लोग अकसर उससे कहा करते –“अरे श्याम लाल कभी तो आराम कर लिया करो “
जवाब में वह यही कहता –“साब !
बेटा पढ़ लिख कर अपने पैरों में खड़ा होजाए ,बेटी
अपने घर चली जाए, बस तभी आराम करूँगा।
इस बीच मेरा दूसरे शहर में तबादला होगया था और बारह साल बाद आज अचानक मुलाकात
हो गई ।गहरे स्लेटी रंग की वर्दी पहने ठकठकाते काले बूट और रंगे हुए काले बाल ।उसका
ये नया रुप देख कर मैं दंग रह गई थी ।
उसकी चुप्पी देख कर मैंने फिर प्रश्न दाग दिया- बच्चे
कैसे हैं ? बिटिया की शादी होगई?” अचानक
मैंने देखा उसकी आँखे डबड़बा
आई ।मैं
हैरान थी इसे क्या होगया । मैने धीरज देते हुए उससे फिर पूछा–“अरे क्या हुआ?
क्या बात है ? बताओ तो ?” मेरे इतने सारे प्रश्न पूछने के बाद उसने अपनी आँखें पोछी और धीरे से कहने
लगा –“साब! क्या बताऊँ बेटा पढ़ाई पूरी न
कर पाया ,गलत संगती में पड़ गया था । उसे शराब और जुए की लत लग गई,आए दिन पुलिस पकड़ कर लेजाती है और मारती पीटती है छुड़वाने के लिए बार
-बार उन्हें पैसे देना पड़ता है । बाप हूँ न कैसे देख सकता हूँ।“
“और बेटी..? उसकी शादी होगई ?” मैने फिर पूछा । आँखें पोछते हुए कहने लगा उसकी तो बड़े धूम-धाम से शादी कर दी थी दामाद भी अच्छा मिल गया था ,पर
भाग्य देखो! एक बस दुर्घटना में उसकी मौत होगई और घर वालों ने
उसे अपशगुनी कहकर घर से निकाल दिया, उसकी छह महिने की बच्ची भी
है अब वह मेरे पास ही रहती है । सोचा था रिटार्ड्मेंट के बाद आराम करूँगा ,पर क्या करूँ ? इन बच्चों के खातिर नौकरी करने के लिए
निकल पड़ा । बूढे को कौन नौकरी देता है साब ! इसी लिए बालों को
रंग कर जवान होने का ढ़ोंग करता हूँ ।बच्चों के लिए क्या-क्या
करना पड़ता है ?“ कहते –कहते वह दौड़ कर फिर
किसी दूसरे कस्टमर के लिए दरवाजा खोलने और स्लूट बजाने के लिए चल पड़ा और मै देर तक
उसे देखती ही रही ।
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महेश्वरी कनेरी
बहुत सुन्दर कहानी है दी....
ReplyDeleteबेहद मर्मस्पर्शी....
मन उदास सा हो गया !!
आशा है आप और कहानियाँ लिखेंगी अपने पाठकों के लिए.
सादर
अनु
जीवन के कड़ुवे सच हैं !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !
behad marmik kahani...
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनायें ...........बहुत अच्छी लगी कहानी .........
ReplyDeleteआभार शास्त्री जी.
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण एवं संवेदनशील रचना...सच है बच्चों के लिए माता-पिता को जो ना करना पड़े सो कम है।
ReplyDeleteमार्मिक चित्रण
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमार्मिक ....जिंदगी जो न दिखा दे वही ठीक
ReplyDeleteनियति के पास कुछ और ही लिखा होता है।
ReplyDeleteहृदयविदारक प्रस्तुति.
ReplyDeleteआभार
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत मर्मस्पर्शी कहानी !
ReplyDeleteनई पोस्ट सर्दी का मौसम!
मार्मिक प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीया-
जीवन का सच ऐसा भी होता है।
ReplyDeleteओह ...जीवन का रंग ये भी, समय जाने क्या क्या छुपा के रखता है ....
ReplyDeleteबच्चो के खातिर माँ बाप को बहुत कुछ सहना पड़ता है ....!
ReplyDeleteRECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
भविष्य का किसे पता होता है...बहुत मार्मिक प्रस्तुति...
ReplyDeleteयह सिर्फ कहानी नहीं सच है, ऐसा कई बार देखने को मिलता है. बहुत मार्मिक कहानी, बधाई.
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी... सुंदर अभिव्यक्ति.... बहुत सुंदर...!!
ReplyDeleteहैम सब के बीच पलती कहानी अच्छी लगी
ReplyDeleteऐसा ही एक ड्राइवर हमें एक बार मिला था, काफी उम्र हो गयी, पत्नी नहीं रही, एक बेटी है, नाती है, दामाद को फालिज हो गया, उन सबकी जिम्मेदारी निभाने के लिए इस उम्र में भी काम करता है...
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी कहानी ....
ReplyDeleteसमय जो करवा दे .....
बे-हद मार्मिक ....बच्चों के लिए इंसान क्या नहीं करता ..
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी.....
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