मौन जब मुखरित
हो
शब्दों
में
ढल
जाता
है
मिट जाते भ्रम
सभी
मन दर्पण हो जाता है ।
मौन जब मुखरित
हो
जाता
है…..
बोझिल
मन
शान्त
हो
सागर
सा
लहराता
है
वेदना सब
हवा
होजाती
भोर
दस्तक
देजाता
है ।
मौन जब मुखरित हो
जाता
है…..
धैर्य मन
का
सघन
हो
विश्वास
सबल हो
जाता है
पतझड़
मन
बसंत
बन
कोकिल
सा
किलकाता
है ।
मौन जब मुखरित हो
जाता
है…..
सुखद
अहसासों
से
भर
ह्रदय
पुलकित
होजाता
है
विचारों
में
पंख
लग
जाते
नया
इतिहास
रच
जाता
है ।
मौन जब मुखरित हो
जाता
है…..
*****************
महेश्वरी कनेरी
बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...
बहुत बहुत आभार आप का..
Deleteबहुत बहुत आभार रविकर जी..
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट |
ReplyDeleteअंततः मौन कुछ न कुछ जरूर कहता है
ReplyDeleteपतझड़ मन बसंत बन
ReplyDeleteकोकिल सा किलकाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है…
सच्ची दीदी
खूबसूरत अभिव्यक्ति
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
ReplyDeleteसच कहा दी....
ReplyDeleteमौन बड़ी घुटन पैदा करता है..मुखरित होते ही ह्रदय पुलकित होता है..
सुन्दर रचना
सादर
अनु
नया इतिहास रच जाता है ।
ReplyDeleteमौन जब मुखरित हो जाता है….
निशब्द भाषा … बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteNew Post : The Helpless God
उत्कृष्ट भाव....मौन मुखरित हो सब कह जाता है .....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत !
ReplyDeleteमौन जब मन में ही दबा रहता है
शब्दों के उबाल से हृदय
ज्वालामुखी बन जाता है !
इस लावे का बाहर निकल जाना ही श्रेयस्कर है ! बहुत सार्थक रचना !
मौन बुनने लगा सपने..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आंटी
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर भाव ....
ReplyDeleteमौन जब मुखर होता है तो वाकई सुखद होता है
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक रचना
सादर !
मौन का मुखरित होना सुखद होता है..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और मनभावन रचना..
:-)
बहुत सुंदर रचना ......!
ReplyDeleteमौन की अपनी अभिव्यक्ति है.. एक अध्यात्मिक आनन्द!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!!
मौन से जो शब्द फूटते हैं..गहरा अर्थ होता है उनमें...
ReplyDeleteबहुत ही सशक्त और सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
मौन जब मुखरित हो
ReplyDeleteशब्दों में ढल जाता है
मिट जाते भ्रम सभी
मन दर्पण हो जाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है ..... सशक्त भाव संयोजन
अनुपम अभिव्यक्ति
मन दर्पण हो जाता है !!
ReplyDeleteवाह !!
पतझड़ मन बसंत बन
ReplyDeleteकोकिल सा किलकाता है ।
मौन जब मुखरित हो जाता है…..
बहुत सुंदर रचना माहेश्वरी जी ....!!हृदय किलकाती हुई ...!!