abhivainjana


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Monday 20 August 2012

हमारे बुजुर्ग..

हमारे बुजुर्ग..


हर बढ़ते कदम
उम्र की उस चौखट तक
पहुँचा देते हैं
जहाँ से लौट नही सकते
बस रह जाती हैं यादें,
और अनुभवों की एक भारी सी गठरी
बहुत कुछ कहने का मन करता है
पर सुनने वाला कोई नहीं
नितांत अकेला खालीपन लिये
सफर बोझिल सा लगता है
पर जीने की चाह नहीं मिटती
निढ़ाल शरीर, लड़खड़ाते कदम
आँखों में अपनों की चाहत लिए
आशीष लुटाते,
हमारे बुजुर्ग..
जिन्हें बेकार और बोझ समझ
किसी कोने में रख,भुला दिया जाता है
क्या सच हैं..?
 बुढ़ापा ! एक बोझ है..
परिवार के लिए..
एक अवरोधक
इस प्रगतिशील समाज के लिए ..
सोचो !..सोचो जरा..
मनन करो
कुछ विचारो
क्यों कि..
 कल हमें भी
उसी चौखट से गुजरना है
***********
महेश्वरी कनेरी..

32 comments:

  1. जो विचार करेगा वो उन्हें संबल मानेगा.....आशीष मानेगा...अपने सर पर रखी छत मानेगा......मगर वक्त कहाँ है किसी के पास विचारने का...सोचने का....बहुत सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना है दी...
    सादर
    अनु

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  2. सुंदर प्रस्तुति, आंखे खोलो भाई..


    क्या सच हैं..?
    बुढ़ापा ! एक बोझ है..
    परिवार के लिए..
    एक अवरोधक
    इस प्रगतिशील समाज के लिए ..

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  3. बुजुर्गो को बोझ न समझो,तुम पर भी बुढापा आएगा
    जैसा करोगे मात पिता संग ,वैसा ही फल तू पायेगा,,,,,
    RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,

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  4. कल हमें भी
    उसी चौखट से गुजरना है
    कभी-कभी बहुत डर लगता है .... :(

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  5. सोचो !..सोचो जरा..
    मनन करो
    कुछ विचारो
    क्यों कि..
    कल हमें भी
    उसी चौखट से गुजरना है

    bas isi bat ko to koi sochna nahi chahta

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  6. वृद्धावस्था अनुभव का अंबार है..

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  7. समय के साथ अब बूढ़ों ने भी जीने के तरीके इजाद कर लिए हैं. आने वाले समय में और भी बहुत कुछ आएगा लेकिन घर तो घर होता है. बूढ़ों को घर का बेहतर वातावरण चाहिए.

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  8. बुजुर्गों के प्रति आदर प्रकट करती एक उम्दा कविता |

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  9. जिस घर में बुज़ुर्गों का आदर होता है वह घर सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है...यह बात सबकी समझ में नहीं आती|
    बुज़ुर्गों से सम्मान के लिए बहुत अच्छी रचना लगाई है आपने !!

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  10. कल हमें भी
    उसी चौखट से गुजरना है... यह समझ रहे तो क्या बात है !

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  11. बहुत बहुत धन्यवाद राजेश कुमारी जी..

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  12. सभी जानते है कि कल उन्हें भी इसी चौखट से गुजरना है फिर भी बहुत कम घरों में बुजुर्गों का सम्मान होता है | मैं बचपन की एक घटना आज भी याद करती हूँ जब मेरे दोस्त की माँ अपने ससुर को खाना फ़ेंक कर दी थी | इत्तेफाक से मेरे पापा उसी घर में मेरी शादी की बात चलाये थे और जब उनसे ये बात मैं बताई तो उन्होंने यही कहा कि ऐसे घर में मेरी बेटी नहीं जाएगी |

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  13. सब का अपना पाथेय पंथ एकाकी है ,
    अब होश हुआ ,जब इने गिने दिन बाकी हैं .
    एक सक्रीय होबी आपको ज़िंदा रखती है ताउम्र ,अलबत्ता आप आर्थिक रूप से पर तंत्र न हों ,ये ज़रूरी है .आये हो तो कुछ देकर जाओ ,पर -मुख -अपेक्षी क्यों ?

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  14. उनके अनुभव हमारी थांती हैं...... सच में मनन तो करना ही होगा

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  15. बहुत सुंदर !

    बुढा़पा कहाँ बोझ होता है
    जिसके लिये होता है
    उसे कहाँ पता होता है
    वो बिना छत के एक
    मकान के नीचे रहता है !

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  16. 'कल हमें भी उस चौखट से गुजरना है' ----ये सब जानते है फिर भी लोग अपने को धोखा दिया करते है और सच को झुठलाने कोशिश करते हैं । बहुत बढियाँ मैम । "साथी" ब्लॉग पर आपका स्वागत है , हमें भी ज्वाइन करें ।

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  17. कल हमें भी उस चौखट से गुजरना है ....यही खयाल तो नहीं आता .... सुंदर प्रस्तुति

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  18. बुज़ुर्गों के सम्मान के लिए बहुत अच्छी रचना

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  19. सब सोच का ही तो खेल है कल हमें भी उसी चौखट से ही गुजरना है बस यही ख्याल तो नहीं आता सार्थक रचना....

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  20. क्यों कि..
    कल हमें भी
    उसी चौखट से गुजरना है
    बेहद सशक्‍त भाव लिए ... उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  21. नहीं सुधरे तो कल वो भी वहीँ होंगे जहाँ ये आज हैं... सार्थक रचना...

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  22. हर जवान कल वृद्ध होगा लेकिन हम इस बात को भुलाये रहते हैं..बुजुर्गों का सम्मान हमने करना चाहिए क्योंकि हम उन्हीं से हैं..

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  23. आजकल बुजुर्गों को उचित सम्मान और प्यार नहीं मिल पा रहा है। शायद लोग भौतिकवादी ज्यादा हो रहे हैं।

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  24. आज के बुजुर्गों की अवस्था का बहुत सटीक चित्रण...आज के युवा ये क्यों भूल जाते हैं कि एक दिन वे भी इस स्थिति को पहुंचेंगे..

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  25. अगर हमें याद रहे कि हम युवा रहने की अमर बूटी नहीं पी कर आये हैं ... तो शायद हम हमारे बुजुर्गों को सच में वह स्नेह और श्रद्धा दे पाएंगे जिस की उन्हें इस उम्र में सबसे अधिक आवश्यकता होती है . हृदयस्पर्शी रचना महेश्वरी जी .
    सादर .

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  26. आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद

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  27. हां, हम सबको उसी पड़ाव से गुजरना है।
    वयोवृद्धता तो वह कंचनवय है जो जीवन की भट्ठी से तपकर निखरा हुआ होता है।

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  28. बहुत ही भाव-प्रवण कविता। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  29. संझवाती बेला की छटा निराली..अति सुन्दर..

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  30. सभी को सजग करती कविता.
    हमारे बुजुर्ग हमारा मान होते हैं लेकिन वही उपेक्षित हैं..
    इसी चोखट से सभी को गुजरना है यह बात समझ आये तो समस्या ही न रहे.

    बेहद खूबसूरत भाव-अभिव्यक्ति.

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