abhivainjana


Click here for Myspace Layouts

Followers

Saturday 1 October 2011

मुझे ये हक दे दो माँ...



मुझे ये हक दे दो  माँ..


तेरी कोख को मैंने है चुना
मुझे निराश न करना माँ
जीने का हक देकर मुझको
उपकार इतना तुम करना माँ

अहसास मुझे है तेरे दुख का
तू जमाने से न कभी डरना
कोई कुछ भी कहता रहे,पर
हिम्मत  कभी न हारना

मुझे पता है मन ही मन
मुझे बहुत चाह्ती हो माँ
फिर क्यों कभी तुम इतनी
बेबस मज़बूर हो जाती ,माँ

मै तो तुम्हारी ही अक्स हूँ
  कैसे मुझे मिटा सकती हो  ?
 मै तो हूँ धड़कन तुम्हारी माँ
  मुझे कैसे भूला सकती हो  ?

कभी  समझना न बोझ मुझे
मैं सहारा बन कर आऊँगी  
छँट जाएँगे दुख के बादल
जब खुशियाँ  भर कर लाऊँगी

मेरे आ जाने से घर में माँ
कोई खर्च न होगा  ज्यादा
तू निश्चित रहकर देखना  
 तेरी अजन्मी बेटी का ये वादा

बचा-कूचा जो तुम  दोगी
वही खुशी-खुशी  खा लूँगी
उतरन पहन सब दीदी के
भाग्य पर मैं इठलाऊँगी

  मुझको भी जीने का हक है न ?
फिर मुझे ये हक दे दो  माँ
ममता के आँचल में अपनी
मुझ को भी तुम ले लो माँ

*****************

39 comments:

  1. बहुत मार्मिक रचना जो आज के हालात का सही चित्रण करती है..

    ReplyDelete
  2. मुझको भी जीने का हक है न ?
    फिर मुझे ये हक दे दो माँ
    ममता के आँचल में अपनी
    मुझ को भी तुम ले लो माँ... bhaut marmik rachna....

    ReplyDelete
  3. आमीन ... माँ की ममता सभी को मिले ...

    ReplyDelete
  4. नवरात्रों मे इससे अच्छी कामना कोई हो ही नहीं सकती।

    सादर

    ReplyDelete
  5. आदर्श विचार हैं। प्रकर्तिक संतुलन के लिए आवश्यक अपील की है।

    ReplyDelete
  6. ममता के आँचल में अपनी
    मुझ को भी तुम ले लो माँ

    भावमय करते शब्‍दों का संगम ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    ReplyDelete
  7. sundar mamtamayee komal bhawanon ki aawaj man ko bahut achhi lagi... sundar prerak prastuti ke liya aabhar....
    aapko spariwar NAVRATRI kee shubhkamnayen..

    ReplyDelete
  8. अहसास मुझे है तेरे दुख का
    तू जमाने से न कभी डरना
    कोई कुछ भी कहता रहे,पर
    हिम्मत कभी न हारना
    main tera garv hun, yaad rakhna maa

    ReplyDelete
  9. मार्मिक रचना ||

    बढ़िया प्रस्तुति ||

    बहुत-बहुत बधाई ||

    ReplyDelete
  10. बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति। यहाँ भी देखियेगा……http://vandana-zindagi.blogspot.com

    ReplyDelete
  11. भावुक करती हुई रचना .....सार्थक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  13. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
    चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

    ReplyDelete
  14. यह पुकार हर कोई सुने ... सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  15. मुझको भी जीने का हक है न ?
    फिर मुझे ये हक दे दो माँ
    ममता के आँचल में अपनी
    मुझ को भी तुम ले लो माँ

    मार्मिक भावपूर्ण रचना.

    ReplyDelete
  16. बेटी के मन से निकले ये आत्म उद्गार मार्मिक हैं।
    बस, इतना ही तो चाहती हैं बेटियां।

    ReplyDelete
  17. मार्मिक।
    बिटिया मारें पेट में, पड़वा मारें खेत
    नैतिकता की आँख में, भौतिकता की रेत।

    ReplyDelete
  18. बेटी अपनी दृष्टी है...
    बेटी है तो सृष्टी है....

    सार्थक कविता....
    सादर....

    ReplyDelete
  19. दिल में उतर गये शब्द शब्द!!

    ReplyDelete
  20. bahut dil ko choone vali marmik prastuti.dekho humara durbhaagya duniya me aane ke liye apne haq ke liye hume kis tarah gidgidana pad raha hai.

    ReplyDelete
  21. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! शानदार प्रस्तुती!
    दुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  22. आदरणीय महेश्वरी जी ..बहुत सुन्दर रचना काश ये बालिकाओं के विरोध करने वालों के कानों को भेद सके ..इतना सब कानून होने के बाद भी भ्रूण हत्या ...
    बधाई आप को लाजबाब ...
    धन्यवाद और आभार ..अपना स्नेह और समर्थन दीजियेगा
    भ्रमर ५

    मुझको भी जीने का हक है न ?
    फिर मुझे ये हक दे दो माँ
    ममता के आँचल में अपनी
    मुझ को भी तुम ले लो माँ

    ReplyDelete
  23. आद महेश्वरी जी आपकी ये कविता लिए जा रही हूँ ...
    यहाँ से एक पत्रिका निकलती है आगमन जो आजकल बेटियों की हत्या के विरोध में खूब लिख रही है
    उसमें भेजने के लिए आप अपना पता दे दें .....

    harkirathaqeer@gmail.com

    ReplyDelete
  24. आद महेश्वरी जी आपकी ये कविता लिए जा रही हूँ ...
    यहाँ से एक पत्रिका निकलती है आगमन जो आजकल बेटियों की हत्या के विरोध में खूब लिख रही है
    उसमें भेजने के लिए आप अपना पता दे दें .....

    harkirathaqeer@gmail.com

    ReplyDelete
  25. तेरी मूरत के नीचे, बैठ करें हम भ्रष्टाचार ...

    बहुत मार्मिक प्रस्तुति...मन को झकझोर देती है..

    यहाँ भी कभी आयें :
    http://batenkuchhdilkee.blogspot.com/2011/09/blog-post.html

    ReplyDelete
  26. अहसास मुझे है तेरे दुख का
    तू जमाने से न कभी डरना
    कोई कुछ भी कहता रहे,पर
    हिम्मत कभी न हारना


    मार्मिक एवं सार्थक विचार

    ReplyDelete
  27. सभी मित्र बंधुओ को बहुत-बहुत धन्यवाद..मेरी भावनाओ को सहारा देने के लिए.. आशा है आगे भी आपके उत्साह बढ़ानेवाले सन्देश मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /

    ReplyDelete
  28. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति ..कन्या को शक्ति रूप में पूजा करने वाले देश में क्या नवरात्रों में पैरों की पूजा तक सीमित रहेगी कन्या की नियति...?? कितना दुखद है ये सब...
    सादर !!!

    ReplyDelete
  29. आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।

    ReplyDelete
  30. आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  31. मार्मिक रचना .गीत याद आगया -माँ मुझे अपने आँचल में छिपा लो ,गले से लगा लो ,कि और मेरा कोई नहीं ...

    ReplyDelete
  32. मार्मिक अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  33. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति ..

    ReplyDelete
  34. विडम्बना यह है कि पढ़े-लिखे घर के लोग भी ऐसे अपराधों में लिप्त हैं जहाँ एक जान के साथ खिलवाड़ करना कोई जुर्म नहीं माना जाता..
    अशिक्षित तो यह नहीं पढ़ सकते पर शिक्षित लोग जो ऐसे काम कर रहे हैं, उनको यह ज़रूर पढ़ना चाहिए..

    ReplyDelete
  35. एक-एक शब्द.... अंतर्मन को उद्देलित करता....मार्मिक ....

    ReplyDelete
  36. बेस्ट ऑफ़ 2011
    चर्चा-मंच 790
    पर आपकी एक उत्कृष्ट रचना है |
    charchamanch.blogspot.com

    ReplyDelete