सख्त लोकपाल विधेयक तैयार करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे गांधीवादी और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ।
चारों तरफ भ्रष्टाचार का ही शोर है.दिन-रात उसी पर चर्चा होती हैं, लोग लेख लिखते है,कविता करते हैंऔर भाषणबाजी भी करते हैं ‘-हम भ्रष्टाचार को जड़ से मिटा देंगे.’ .आश्चर्य तब होता है जब वही लोग गले-गले तक उसी में डूबे हुए दिखाई देते हैं.
आज देश में कोई भी ऎसा नागरिक नहीं, जो इससे बच पाया हो, या इससे पीड़ित ना हो. बच्चे के एड्मिशन से लेकर नौकरी तक धूसखोरी नामक भ्रष्टाचार के कांटे बीछे हुए हैं. आम आदमी को भी आज ठीक से जीने या आगे बढ़ने के लिये धूस से आमना-सामना करना पड़ रहा है. धूस लेने वाले को प्रायः ये कहते सुना जाता है- ‘हमें भी तो आगे देना पड़्ता है’ यानी ये एक ऎ्सी लम्बी चेन है जो न टूटती है न ही खत्म होती है .
भ्रष्टाचार जैसी बीमारी से निबटने के लिए देश को आज जनलोकपाल जैसे विधेयक की जरुरत है. समाजसेवक श्रीअन्ना हजारे ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ जो जंग की शुरुवात की है वो काबीले तारीफ है.अब तो जंग जन आंदोलन के रुप में सामने आने लगी. हर तरफ आवाज उठने लगी है-‘अन्ना हम तुम्हारे साथ हैं ‘ देखना है, ये आन्दोलन क्या रंग लाती है.
Let us all join in this fight against corruption
ReplyDeleteबोल, कि लब आज़ाद हैं तेरे
बोल, ज़बां अब तक तेरी है
तेरा सुतवां जिस्म है तेरा
बोल, कि जाँ अब तक तेरी है
देख कि आहन-गर की दुकां में
तुन्द हैं शोले, सुर्ख हैं आहन
खुलने लगे कुफ्लों के दहाने
फैला हर इक ज़ंजीर का दामन
बोल, कि थोड़ा वक्त बहुत है
ज़िस्मों ज़ुबां की मौत से पहले
बोल, कि सच ज़िन्दा है अब तक
बोल, जो कुछ कहना है कह ले
FAIZ